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बाज और साँप (पाठ का सार)
शब्दार्थ :- शिखर – पहाड़ की चोटी। सरिता – नदी। सिटपिटाना – भय या घबड़ाहट से सहम जाना। असीम – जिसकी कोई सीमा न हो, अपार। खोखल – खोखली जगह, बड़ा छेद।
निर्मल वर्मा द्वारा लिखित कहानी “बाज और साँप” उन लोगों के प्रति सम्मान जगाती है जो अपने जीवन की परवाह किए बिना साहस का परिचय देते हैं। इस कहानी में एक साँप पहाड़ी पर बनी गुफा में रहता है। वह वहाँ के प्राकृतिक वातावरण से खुश है। एक दिन एक घायल बाज उसके पास आकर गिरता है। साँप डरते-डरते उसके पास जाता है। दोनों में बाते शुरू हो जाती हैं। साँप आकाश में उड़ने का आनंद व्यक्त करते हुए फिर से उड़ने की इच्छा रखता है। साँप उसे गुफा और उसके आस -पास के वातावरण के आनंद के विषय में बताता है। थोड़ी देर बाद बाज के कहने पर साँप पहाड़ी से छलांग लगाकर उड़ने का प्रयास करता है। उसका यह प्रयास असफल रहता है और वह नदी की लहरों के साथ बहता हुआ अनंत सागर में मिल जाता है। उसके प्राण निकल जाते हैं। यह देखकर साँप आश्चर्यचकित होकर सोचता है कि आखिर आकाश में ऐसा क्या है जो बाज ने उड़ने के लिए अपने प्राण भी त्याग दिए। वह आकाश के रहस्य का पता लगाने के लिए पहाड़ी से कूदकर उड़ने का प्रयास करता है लेकिन उड़ नहीं पाता। किसी तरह उसकी जान बच पाती है। अंत में साँप अपनी ही गुफा और खोखल को रहने के लिए उपयुक्त मानता है। इतने में उसे समुद्र की लहरों से गीत गाने की आवाज़ सुनाई देती है। जो साहसी लोगों के लिए कहती हैं – “हमारा गीत जिदगी के उन दीवानों के लिए है जो मर कर भी मृत्यु से नहीं डरते।”
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बाज और साँप (प्रश्न-उत्तर)
शीर्षक और नायक
प्रश्न :- लेखक ने इस कहानी का शीर्षक कहानी के दो पात्रों के आधार पर रखा है। लेखक ने बाज और साँप को ही क्यों चुना? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर – छात्र चर्चा करें।
कहानी से
प्रश्न :- घायल होने के बाद भी बाज ने यह क्याेंं कहा, ‘मुझे कोई शिकायत नहीं
है।’ विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :- बाज ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि वह किसी भी स्थिति में हार नहीं मानना चाहता। उसने अपनी ज़िंदगी को भरपूर भोगा। वह असीम आकाश में जी भरकर उड़ान भर चुका था। जब तक उसके शरीर में ताकत रही तब तक ऐसा कोई सुख नहीं बचा जिसे उसने न भोगा हो। वह अपने जीवन से पूर्णतः संतुष्ट था।
प्रश्न :- बाज जिंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह उड़ना क्यों चाहता था?
उत्तर :- बाज जिंदगी भर आकाश में ही उड़ता रहा फिर घायल होने के बाद भी वह
उड़ना इसलिए चाहता था क्योंकि वह साहसी था। वह किसी भी स्थिति में हार नहीं मानना चाहता। वह कायर की मौत नहीं मरना चाहता था। वह अंतिम क्षण तक जीवन की आवश्यकताओं के लिए संघर्ष करना चाहता था।
प्रश्न :- साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था। फिर उसने उड़ने की कोशिश क्यों की?
उत्तर :- साँप उड़ने की इच्छा को मूर्खतापूर्ण मानता था फिर उसने उड़ने की कोशिश इसलिए की क्योंकि वह बाज के मन की उड़ने की तीव्र इच्छा का कारण जानना चाहता था। वह आकाश के मुक्त जीवन का अहसास करना चाहता था।
प्रश्न :- बाज के लिए लहरों ने गीत क्यों गाया था?
उत्तर :- बाज ज़िंदगी के खतरे का सामना करने से पीछे नहीं हटा। इसके लिए उसने उसने अपने प्राण गँवा दिए। बाज से साहस पर प्रसन्न होकर लहरों ने गीत गाया था।
प्रश्न :- घायल बाज को देखकर साँप खुश क्यों हुआ होगा?
उत्तर :- बाज साँप का शत्रु है क्योंकि साँप बाज का आहार होता है। घायल बाज उसे किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँचा सकता था इसलिए घायल बाज को देखकर साँप के लिए खुश हुआ होगा।
कहानी से आगे
प्रश्न :- कहानी में से वे पंक्तियाँ चुनकर लिखिए जिनसे स्वतंत्रता की प्रेरणा मिलती हो।
उत्तर :-
- जब तक शरीर में ताकत रही, कोई सुख ऐसा नहीं बचा जिसे न भोगा हो। दूर-दूर तक उडानें भरी हैं, आकाश की असीम ऊँचाइयों को अपने पंखों से नाप आया हूँ।
- “आह! काश, मैं सिर्फ एक बार आकाश में उड पाता।”
- पर वह समय दूर नहीं है, जब तुम्हारे खून की एक-एक बूँद जिंदगी के अँधेरे में प्रकाश फैलाएगी और साहसी, बहादुर दिलों में स्वतंत्रता और प्रकाश के लिए प्रेम पैदा करेगी।
प्रश्न :- लहरों का गीत सुनने के बाद साँप ने क्या सोचा होगा? क्या उसने फिर से उड़ने की कोशिश की होगी? अपनी कल्पना से आगे की कहानी पूरी कीजिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- क्या पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा या स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता ही नहीं? विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर :- स्वाभाविक कार्य में आनंद का अनुभव होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि पक्षियों को उड़ते समय सचमुच आनंद का अनुभव होता होगा।
प्रश्न :-मानव ने भी हमेशा पक्षियों की तरह उड़ने की इच्छा की है। आज मनुष्य उड़ने की इच्छा किन साधनों से पूरी करता है।
उत्तर :- आज मनुष्य उड़ने की इच्छा पूरी करने के लिए हवाई जहाज का आविष्कार कर दिखाया। आज मनुष्य अपने उड़ने की इच्छा की पूर्ति हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर, गैस-बैलून आदि से करता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- यदि इस कहानी के पात्र बाज और साँप न होकर कोई और होते तब कहानी कैसी होती? अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न :- कहानी में से अपनी पसंद के पाँच मुहावरे चुनकर उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :-
- भाँप लेना – बाज चीख को सुनकर साँप ने उसकी हालत को भाँप लिया।
- हिम्मत बाँधना – माता की मृत्यु के बाद केशव ने आगे बढ़ने की हिम्मत बाँधी।
- अंतिम साँस गिनना – दादी जी हालत देखकर डॉक्टर समझ गए कि अब वे जीवन की अंतिम साँसे गिन रहीं हैं।
- मन में आशा जागना – साँप और बाज की कहानी जीवन में हार मान चुके लोगों के मन में आशा जगाती है।
- प्राण हथेली में रखना – बाज अपने प्राणों को हथेली पर रखकर पहाड़ी से कूद गया।
प्रश्न :- ‘आरामदेह’ शब्द में ‘देह’ प्रत्यय है। यहाँ ‘देह’ ‘देनेवाला’ के अर्थ में प्रयुक्त है। देनेवाला के अर्थ में ‘द’, ‘प्रद’, ‘दाता’, ‘दाई’ आदि का प्रयोग भी होता है, जैसे-सुखद, सुखदाता, सुखदाई, सुखप्रद। उपर्युक्त समानार्थी प्रत्ययों को लेकर दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर :-
आरामदेह – देह प्रत्यय – नए शब्द – विश्रामदेह, लाभदेह।
सुखद – द प्रत्यय – नए शब्द – दुखद, विपद।
सुखदाता – दाता प्रत्यय – नए शब्द – दुखदाता, परामर्शदाता।
सुखदाई – दाई प्रत्यय – नए शब्द – दुखदाई, पीड़ादाई।
सुखप्रद – प्रद प्रत्यय – नए शब्द – हानिप्रद, लाभप्रद।
टेस्ट/क्विज
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