इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |
भगवान के डाकिए (कविता का अर्थ)
भगवान के डाकिए
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं
मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़
बाँचते हैं।
शब्दार्थ : बाँचना – पढ़ना, सस्वर पढ़ना।
भावार्थ : इन पंक्तियों में कवि कहता है कि आसमान में तैरते बादल और उड़ते पक्षी भगवान के भेजे डाकिए हैं। ये एक देश से उड़कर दूसरे देश तक जाते हैं और विशेष संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। इनके संदेश हम मनुष्य समझ नहीं पाते, लेकिन भगवान के संदेश को पर्वत, जल, पेड़-पौधे आदि समझ लेते हैं।
हम तो केवल यह आँकते हैं
कि एक देश की धरती
दूसरे देश को सुगंध भेजती है।
और वह सौरभ हवा में तैरते हुए
पक्षियों की पाँखों पर तिरता है।
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
शब्दार्थ : आँकना – अनुमान करना। पाँख – पंख, पर। सौरभ – सुगंध, सुबास।
भावार्थ : इन पंक्तियों में कवि ने प्रकृति के बारे में बताया है। हम तो धरती को सीमाओं में बांट लेते हैं। प्रकृति के लिए सब एक-समान हैं। वह किसी से भेदभाव नहीं करती। इसीलिए एक देश की धरती अपनी सुगंध दूसरे देश को भेजती है। ये सुगंध पक्षियों के पंखों पर बैठकर इधर-उधर फैलती है और एक देश की भाप दूसरे देश में पानी बनकर बरस जाती है। अर्थात एक देश में बने बादल किसी दूसरे देश में वर्षा करते हैं।
इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |
भगवान के डाकिए (प्रश्न-उत्तर)
कविता से
प्रश्न – कवि ने पक्षी और बादल को भगवान के डाकिए क्यों बताया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – डाकिए का मुख्य काम होता है संदेश को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाना। बादल बरसते समय जगह विशेष तथा पक्षी उड़ते समय देश की सीमाओं को देखे बिना अपना कार्य निस्वार्थ भाव से करते हैं। यानि ये हमें आपसी प्रेम, सद्भावना और एकता का संदेश देते हैं। इसीलिए कवि ने इन्हें ‘भगवान के डाकिए’ बताया है।
प्रश्न – पक्षी और बादल द्वारा लाइ गई चिट्ठियों को कौन-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।
उत्तर – पक्षी और बादल द्वारा लाइ गई चिट्ठियों को पर्वत, जल, पेड़-पौधे आदि ही पढ़ पाते हैं।
प्रश्न – किन पंक्तियों का भाव है-
(क) पक्षी और बादल प्रेम, सद्भाव और एकता का संदेश एक देश से दूसरे देश को भेजते हैं।
उत्तर –
भगवान के डाकिए
पक्षी और बादल,
ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से
दूसरे महादेश को जाते हैं।
(ख) प्रकृति देश-देश में भेदभाव नहीं करती। एक देश से उठा बादल दूसरे देश में बरस जाता है।
उत्तर –
और एक देश का भाप
दूसरे देश में पानी
बनकर गिरता है।
प्रश्न – पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
उत्तर – पक्षी और बादल की चिट्ठियों में छुपा प्रेम, सद्भावना और एकता का संदेश पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ आसानी से पढ़ जाते हैं और फिर भगवान के उस संदेश को अमल में भी लाते हैं।
प्रश्न – एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है’-कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रकृति के लिए सब एक-समान हैं। वह किसी से भेदभाव नहीं करती। इसीलिए एक देश की धरती अपनी सुगंध दूसरे देश को भेजती है। ये सुगंध पक्षियों के पंखों पर बैठकर इधर-उधर फैलती है।
पाठ से आगे
प्रश्न -पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?
उत्तर – पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को हम प्रेम, सौहार्द और आपसी सद्भाव की दृष्टि से देख सकते हैं। ये हमें यही संदेश देते हैं।
प्रश्न -आज विश्व में कहीं भी संवाद भेजने और पाने का एक बड़ा साधन इंटरनेट है। पक्षी और बादल की चिट्ठियों की तुलना इंटरनेट से करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर – पक्षी और बादल प्रकृति के अनुसार काम करते हैं किंतु इंटरनेट मनुष्य के अनुसार काम करते है। पक्षी और बादल का कार्य धीमी गति से होता है किंतु इंटरनेट का कार्य तीव्र गति से होता है। इंटरनेट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक बात पहुँचाने का ही सरल तथा तेज माध्यम है। इसके द्वारा हम किसी व्यक्तिगत रायों को जान सकते हैं किन्तु पक्षी और बादल की चिट्ठियाँ हमें भगवान का सन्देश देते हैं। वे बिना भेदभाव के सारी दुनिया में प्रेम और एकता का संदेश देते हैं। हमें भी इंटरनेट के माध्यम से प्रेम और एकता और भाईचारा का संदेश विश्व में फैलाना चाहिए। प्रकृति पर किसी प्रकार की बंदिश नहीं हो सकती, इंटरनेट पर रोक लगाई जा सकती है।
प्रश्न – ‘हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका’ क्या है? इस विषय पर दस वाक्य लिखिए।
उत्तर – डाकिया” भारतीय सामाजिक जीवन की एक आधारभूत कड़ी है। डाकिया द्वारा डाक लानाए पत्रों का बेसब्री से इंतज़ार, डाकिया से ही पत्र पढ़वाकर उसका जवाब लिखवाना इत्यादि तमाम महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। उसके परिचित सभी तबके के लोग हैं। हमारे जीवन में डाकिए की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। भले ही अब कंप्यूटर और इ-मेल का ज़माना आ गया है परए डाकिया का महत्त्व अभी भी उतना ही बना हुआ है जितना पहले था। कई अन्य देशों ने होम-टू-होम डिलीवरी को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाये हैंए या इसे सुविधा-शुल्क से जोड़ दिया हैए वहीं भारतीय डाकिया आज भी सुबह से शाम तक चलता ही रहता है। डाकिया कम वेतन पाकर भी अपना काम अत्यन्त परिश्रम और लगन के साथ संपन्न करता है। गर्मीए जाड़ा और बरसात का सामना करते हुए वह समाज की सेवा करता है। भारतीय डाक प्रणाली की गुडविल बनाने में उनका सर्वाधिक योगदान माना जाता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न – डाकिया, इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब (डब्ल्यू0 डब्ल्यू0 डब्ल्यू0 www)
तथा पक्षी और बादल-इन तीनों संवादवाहकों के विषय में अपनी कल्पना से एक लेख तैयार कीजिए। लेख लिखने के लिए आप ‘चिट्ठियों की अनूठी दुनिया’ पाठ का सहयोग ले सकते हैं।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
क्विज/टेस्ट
इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।
JOIN WHATSAPP CHANNEL | JOIN TELEGRAM CHANNEL |