कक्षा 8 » लाख की चुड़ियाँ (कहानी)

इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।

JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL
लाख की चुड़ियाँ

शब्दार्थ : चाव – चाह, तीव्र इच्छा। सलाख – सलाई, धातु की छड़। मुँगरी – गोल, मुठियादार लकड़ी जो ठोकने-पीटने के काम आती है। पैतृक – पूर्वजों का, पिता से प्राप्त या पुश्तैनी। खपत – माल की बिक्री। वस्तु-विनिमय – पैसों से न खरीदकर एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु लेना। कसर – घाटा पूरा करना, कमी। नाजुक – कोमल। पगड़ी – सिर पर लपेट कर बाँधा जाने वाला लंबा कपड़ा, पाग। मरहम-पट्टी- जख्म का इलाज, घाव पर दवा लगाकर पट्टी बाँधना। मचिया – बैठने के उपयोग में आने वाली सुतली आदि से बुनी छोटी/चौकोर खाट। मुखातिब – देखकर बात करना।डलिया – बाँस का बना एक छोटा पात्र। फबना – सजना, शोभा देना।

पाठ का सार

कामतानाथ जी द्वारा लिखित “लाख की चूड़ियाँ” कहानी में लेखक ने मशीनों द्वारा छिनते रोजगार साथ एक कुशल कारीगर के स्वाभिमान को भी दिखाया है।

बचपन में लेखक गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने अपने मामा के पास जाया करते थे और एक-डेढ़ महीना रहकर आते थे। वहाँ पर उसे बदलू नाम का व्यक्ति सबसे अच्छा लगता था चूँकि वह लेखक को लाख की गोलियाँ देता था। वह पेशे से चूड़ियाँ बनाने वाला था। वह लाख की सुन्दर चूड़ियाँ बनाया करता था। बदलू का मकान गाँव में कुछ ऊँचाई पर था। उसके मकान के सामने नीम का पेड़ था। उसी की बगल में बनी भट्ठी पर बदलू लाख पिघलाया करता था। लाख को मुंगेरिओ पर चढ़ाकर वह उन्हें चूडिय़ों का आकार देता था।

सभी बच्चे उसे बदलू काका कहकर पुकारा करते थे। लेखक भी अन्य बच्चों की तरह उसे बदलू काका कहता था। आसपास के गाँव की औरतें भी चूड़ियाँ बदलू काका से ही ले जाती थीं। बदलू काका चूड़ियों के बदले पैसे ना लेकर अनाज लिया करता था। शादी-ब्याह के मौकों पर वह चूड़ियों का मुँह माँगा दाम लेता था। वह स्वभाव से बहुत सीधा सादा था।

उसे काँच की चूडिय़ों से नफरत थी। वह किसी महिला की कलाई पर काँच की चूडिय़ाँ देखकर गुस्सा हो जाता था। बदलू बचपन में लेखक से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा करता। लेखक उसे बताता कि शहर में सभी औरतें काँच की चूडिय़ाँ पहनती हैं। वह लेखक को रंग-बिरंगी लाख की गोलियों के अलावा गाय के दूध की मलाई तथा आम की फसल के समय खाने को आम दिया करता था।

लेखक के पिता की बदली शहर में हो गई थी, जिसके कारण वह आठ-दस वर्षों तक गाँव न जा सका। जब लेखक को आठ दस साल के बाद गाँव जाने का अवसर मिला तो उसने देखा कि गाँव की सभी स्त्रियाँ अब काँच की चूड़ियाँ पहनने लगी थीं। एक दिन उसके मामा की लड़की फिसलकर गिर गई और काँच की चूडिय़ों के चुभने से उसकी कलाई में घाव हो गया। लेखक ने उसकी पट्टी कराई। इस घटना से लेखक को बदलू का ध्यान आ गया। वह बदलू से मिलने उसके घर गया। आज भी वह उसी नीम के पेड़ के नीचे चारपाई बिछा लेटा था। बदलू काका का शरीर बुढा हो चुका था उसे खाँसी भी थीं। बदलू ने लेखक को पहचाना न सका। लेखक द्वारा अपना परिचय दिए जाने पर ही बदलू  ने उसे पहचाना।

लेखक ने देखा कि मशीनी काँच की चूड़ियों के कारण बदलू की लाख की चूड़ियों का काम बर्बाद हो गया था। उसकी गाय भी बिक चुकी थी। बदलू काका ने लेखक को बताया कि आजकल सभी काम मशीन से होते हैं। मशीनी काँच की चूड़ियाँ लाख की चूड़ियों से अधिक सुन्दर होती हैं।

इसी बीच बदलू की बेटी रज्जो डलिया में आम ले आई। लेखक ने रज्जो के हाथ की चूड़ियों को देखा जो लाख की थीं। बदलू ने लेखक को बताया यही उसके द्वारा बनाया गया आखिरी जोड़ा है। इन चूड़ियों को उसने जमींदार की लड़की के विवाह के लिए बनाया था। जमींदार इस जोड़े के केवल दस आने दे रहा था। इस दाम पर बदलू ने उसे चूडिय़ों का जोड़ा नहीं दिया और शहर से लाने को कह दिया। बदलू की इस बात में लेखक को बदलू का स्वाभिमान दिखाई दिया।

इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।

JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL
लाख की चुड़ियाँ
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न – बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?

उत्तर – बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से इसलिए जाता था क्योंकि लेखक के मामा के गाँव में लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला कारीगर बदलू रहता था। लेखक को बदलू से बहुत लगाव था। बादलू उसे ढेर सारी लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ देता था।

गाँव के सभी लोग बदलू को “बदलू काका” कहकर बुलाते थे इस कारण लेखक भी “बदलू मामा” न कहकर “बदलू काका” कहता था।

प्रश्न – वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?

उत्तर – “वस्तु-विनिमय” में वस्तु के लिए पैसे नहीं लिए जाते थे बल्कि एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु ली जाती थी।

वर्तमान परिवेश में मुद्रा के चलन के कारण वस्तु का लेन-देन मुद्रा के द्वारा होता है। विनिमय की प्रचलित पद्धति पैसा है।

प्रश्न – ‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।’-इस पंक्ति में लेखक ने किस  व्यथा की ओर संकेत किया है?

उत्तर – इस पंक्ति में लेखक ने कारीगरों की व्यथा की ओर संकेत किया है। मशीनों के आने के कारण काम मशीन से होने लगे जिससे कारीगरों के हाथ से काम-धंधा छिन गया। मानो उनके हाथ ही कट गए हों।  वे लोग पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी इस कला को बढ़ाते चले आ रहे हैं और अपनी रोज़ी रोटी भी चला रहें हैं। परन्तु मशीनी युग ने जहाँ उनकी रोज़ी रोटी पर वार किया है वहीं मशीनों ने इन लोगों को बेरोजगार भी बना दिया।

प्रश्न – बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।

उत्तर – बदलू लाख की चूड़ियाँ बनाकर बेचता था। जैसे-जैसे काँच की चूडियों का प्रचलन बढ़ता गया उसका व्यवसाय ठप पड़ने लगा। अपने व्यवसाय की यह दुर्दशा बदलू को मन ही मन कचौटती थी। अब लोग कारीगरी की कद्र न करके दिखावटी चमक पर अधिक ध्यान देने लगे थे। यह व्यथा लेखक से छिपी न रह सकी।

प्रश्न -मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?

उत्तर – मशीनी युग से बदलू के जीवन में बदलाव आया कि उसका का काम-धंधा बंद हो गया। वह बेरोजगार हो गया। काम न करने से उसका शरीर भी ढल गया। उसके हाथों-माथे पर नसें उभर आईं। अब वह बीमार रहने लगा।

कहानी से आगे

प्रश्न -आपने मेले-बाजार आदि में हाथ से बनी चीजों को बिकते देखा होगा। आपके मन में किसी चीज को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न – लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं? ज्ञात कीजिए।

उत्तर – लाख की वस्तुओं का निर्माण सर्वाधिक उत्तरप्रदेश में होता है। लाख से चूड़ियाँ, मूर्तियाँ, गोलियाँ तथा सजावट की वस्तुओं का निर्माण होता है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न – घर में मेहमान के आने पर आप उसका अतिथि-सत्कार कैसे करेंगे?

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न -आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है? लिखिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न -मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न – बाजार में बिकने वाले सामानों की डिजाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं? आपस में चर्चा कीजिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न – हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न -‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से’ और बदलू स्वयं कहता है-फ्जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?य् ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न -‘बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे-लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि (ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे-चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा। (ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे-सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है।पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।

उत्तर –

(क) व्यक्तिवाचक संज्ञा – बदलू, बेलन, मचिया।
(ख) जातिवाचक संज्ञा – आदमी, मकान, शहर।
(ग) भाववाचक संज्ञा – स्वभाव, रूचि, व्यथा।

प्रश्न – गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।

उत्तर –

इंसान – मनुष्य
रंज – दुख
गम – मायूसी
ज़िंदगी – जीवन
औलाद – संतान

 

क्विज/टेस्ट

इस पाठ के टेस्ट के लिए यहाँ क्लिक करें।

JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL