कक्षा 8 » सूर के पद (कविता)

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सूर के पद
(कविता का अर्थ)

(1)

मैया, कबहि बढ़ैगी चोटी?
किती बार मोहि दूध पियत भई, यह अजहूँ है छोटी।
तू जो कहति बल की बेनी ज्यौं, ह्नै है लाँबी-मोटी।
काढ़त-गुहत न्हवावत जैहै, नागिनी सी भुइँ लोटी।
काँचौ दूध पियावत पचि-पचि, देति न माखन-रोटी।
सूर चिरजीवौ दोउ भैया, हरि-हलधर की जोटी।

शब्दार्थ :- अजहूँ – आज भी। बल – बलराम। बेनी – चोटी। ह्नै – होगी। काढ़त – बाल बनाना। गुहत – गूँथना। भुइँ – पृथ्वी, भूमि। लोटी – लोटने लगी। पचि-पचि – बार-बार। हरि-हलधर- कृष्ण-बलराम। जोटी – जोड़ी।  

भावार्थ :- कवि सूरदास इस पद में कृष्ण के बचपन की लीला का वर्णन किया है। माँ यशोदा कृष्ण को दूध पीने के लिए कहती है और लालच देती है कि इससे उनकी चोटी लंबी और मोटी हो जाएगी। कृष्ण इसी विश्वास में काफी दिन दूध पीते रहते हैं। एक दिन उन्हें ध्यान आता है कि उनकी चोटी तो बढ़ ही नहीं रही है। तब वो यशोदा माँ से कहते हैं।

माँ मेरी चोटी कब बढ़ेगी। मुझे दूध पीते हुए बहुत समय हो गया है, लेकिन ये तो अब भी छोटी ही है। आपने तो कहा था कि दूध पीने से मेरी चोटी बलराम की चोटी की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी। उसे कंघी से काढ़ा जाएगा, गूंथा जाएगा और  नहाते समय वो पृथ्वी पर नागिन की तरह लहराएगी। चोटी बढ़ाने के लिए  तूने मुझे बार-बार कच्चा दूध पिलाया है  और माखन-रोटी नहीं खाने दी।

अंतिम पंक्ति में कवि सूरदास कृष्ण और बलराम की जोड़ी पर मुग्ध होकर उनकी लंबी उम्र की कामना करते हैं।

(2)

तेरैं लाल मेरौ माखन खायौ।
दुपहर दिवस जानि घर सूनो ढूँढ़ि-ढँढ़ोरि आपही आयौ।
खोलि किवारि, पैठि मंदिर मैं, दूध-दही सब सखनि खवायौ।
ऊखल चढ़ि, सींके कौ लीन्हौ, अनभावत भुइँ मैं ढरकायौ।
दिन प्रति हानि होति गोरस की, यह ढोटा कौनैं ढँग लायौ।
सूर स्याम कौं हटकि न राखै तैं ही पूत अनोखौ जायौ।

शब्दार्थ :- पैठि – घुसकर। सींके – छींका जिसमें दूध-दही आदि रखा जाता है। गोरस – गाय के दूध से बने पदार्थ दही, मक्खन, घी आदि। ढोटा – लड़का।

भावार्थ :- इस पद में कृष्ण की माखन चोरी का वर्णन है। गोपियां यशोदा माँ के पास आकर कहती हैं –

“हे यशोदा! तुम्हारे पुत्र कृष्ण ने हमारा माखन चोरी करके खा लिया है। दोपहर में वो घर को सूना देखकर भीतर घुस गया। वह दरवाजा खोलकर घर में घुसकर अपने दोस्तों के साथ मिलकर सारा दूध-दही खा गया।” आगे गोपियाँ कहती हैं-

“कान्हा ने ओखली पर चढ़कर छींके से मक्खन उतारा खा लिया। जो माखन उसे नहीं भाया वह ज़मीन पर भी फैला दिया। यशोदा तुमने  ऐसा उत्पाती लड़का पैदा कर दिया है जिसके कारण हमें हर रोज़ दूध-दही का नुकसान हो रहा है। तुम उसे रोकती क्यों नहीं हो, क्या तुमने ही संसार में अनोखे पुत्र को जन्म दिया है?”

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सूर के पद
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न :- बालक श्रीकृष्ण किस लोभ के कारण दूध पीने के लिए तैयार हुए?

उत्तर :- बालक श्रीकृष्ण चोटी बढ़ने के लोभ से दूध पीने को तैयार हुए।

प्रश्न :- श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में क्या-क्या सोच रहे थे?

उत्तर :- श्रीकृष्ण अपनी चोटी के विषय में सोच रहे थे कि दूध पीने से मेरी चोटी बलराम की चोटी की तरह लंबी और मोटी हो जाएगी। उसे कंघी से काढ़ा जाएगा, गूंथा जाएगा और  नहाते समय वो पृथ्वी पर नागिन की तरह लहराएगी। 

प्रश्न :- दूध की तुलना में श्रीकृष्ण कौन-से खाद्य पदार्थ को अधिक पसंद करते हैं?

उत्तर :- दूध की तुलना में श्रीकृष्ण माखन-रोटी को अधिक पसंद करते हैं।

प्रश्न :- ‘तैं ही पूत अनोखौ जायौ’- पंक्तियों में ग्वालन के मन के कौन-से भाव मुखरित हो रहे हैं?

उत्तर :- इन पक्तियों में ग्वालन अपने मन की खीज प्रकट कर रहीं हैं।

गोपियाँ कहती हैं- “कान्हा ने ओखली पर चढ़कर छींके से मक्खन उतारा खा लिया। जो माखन उसे नहीं भाया वह ज़मीन पर भी फैला दिया। यशोदा तुमने  ऐसा उत्पाती लड़का पैदा कर दिया है जिसके कारण हमें हर रोज़ दूध-दही का नुकसान हो रहा है। तुम उसे रोकती क्यों नहीं हो, क्या तुमने ही संसार में अनोखे पुत्र को जन्म दिया है?

प्रश्न :- मक्खन चुराते और खाते समय श्रीकृष्ण थोड़ा-सा मक्खन बिखरा क्यों देते हैं?

उत्तर :- जो माखन कृष्ण को नहीं भाया वो श्रीकृष्ण ने भूमि पर बिखरा दिया।

प्रश्न :- दोनों पदों में से आपको कौन-सा पद अधिक अच्छा लगा और क्यों?

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- दूसरे पद को पढ़कर बताइए कि आपके अनुसार उस समय श्रीकृष्ण की उम्र क्या रही होगी?

उत्तर :- दूसरे पद को पढ़कर आभास होता है कि उस समय श्रीकृष्ण की उम्र चार-पाँच वर्ष रही होगी।

प्रश्न :- ऐसा हुआ हो कभी कि माँ के मना करने पर भी घर में उपलब्ध किसी स्वादिष्ट वस्तु को आपने चुपके-चुपके थोड़ा-बहुत खा लिया हो और चोरी पकड़े जाने पर कोई बहाना भी बनाया हो। अपनी आपबीती की तुलना श्रीकृष्ण की बाल लीला से कीजिए।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न :- किसी ऐसी घटना के विषय में लिखिए जब किसी ने आपकी शिकायत की हो और फिर आपके किसी अभिभावक (माता-पिता, बड़ा भाई-बहिन इत्यादि) ने आपसे उत्तर माँगा हो।

उत्तर :- छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न :- श्रीकृष्ण गोपियों का माखन चुरा-चुराकर खाते थे इसलिए उन्हें माखन चुरानेवाला भी कहा गया है। इसके लिए एक शब्द दीजिए।

उत्तर :- माखनचोर।

प्रश्न :- श्रीकृष्ण के लिए पाँच पर्यायवाची शब्द लिखिए।

उत्तर :- नन्दलाल, मुरलीधर, गोविन्द, हरि, रणछोड़, वासुदेव। 

प्रश्न :- कुछ शब्द परस्पर मिलते-जुलते अर्थवाले होते हैं, उन्हें पर्यायवाची कहते हैं। और कुछ विपरीत अर्थवाले भी। समानार्थी शब्द पर्यायवाची कहे जाते हैं और विपरीतार्थक शब्द विलोम, जैसे-

पर्यायवाची-

  • चंद्रमा-शशि, इंदु, राका
  • मधुकर-भ्रमर, भौंरा, मधुप
  • सूर्य-रवि, भानु, दिनकर

विपरीतार्थक-

  • दिन-रात
  • श्वेत-श्याम
  • शीत-उष्ण

पाठों से दोनों प्रकार के शब्दों को खोजकर लिखिए।

उत्तर :- 

पर्यायवाची शब्द

  • बेनी – चोटी
  • मैया – जननी, माँ, माता
  • दूध – दुग्ध, पय, गोरस
  • काढ़त – गुहत
  • बलराम – दाऊ, हलधर
  • ढोटा – सुत, पुत्र, बेटा

विपरीतार्थक शब्द

  • लम्बी – छोटी
  • स्याम – श्वेत
  • संग्रह – विग्रह
  • विज्ञ – अज्ञ
  • रात – दिन
  • प्रकट – ओझल

टेस्ट/क्विज

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