कक्षा 9 » माटी वाली (विद्यासागर नौटियाल)

माटी वाली
(पाठ का सार)

इस कहानी में विद्यासागर नौटियाल ने विस्थापन की समस्या को प्रभावी ढंग से उठाया है। गरीब और श्रमिक वर्ग इस समस्या से कैसे जूझ रहा है, लेखक ने इसका बहुत ही संवेदनशील और मार्मिक चित्र खींचा है। 

लेखक बताता है कि टिहरी में भागीरथी नदी पर बहुत बड़ा बाँध बना है जिसमें पूरा टिहरी शहर और उसके आस-पास के अनेक गाँव डूब गए. पहले जो लोग अपने घरों और व्यापारों से जुड़े थे उनके सामने अचानक विस्थापित होने का संकट उपस्थित हो गया।
बूढ़ी ‘माटी वाली ‘ पूरे टिहरी शहर में घर-घर लाल मिट्टी बाँटती है और उसी से उसका जीवन चलता है। घरो में लिपाई-पुताई में लाल मिट्टी काम आती है। एक पुराने कपड़े की गोल गद्दी सिर पर रखकर उस पर मिट्टी का कनस्तर रखे हुए वह घर-घर जाकर मिट्टी बेचती है, उसे सारे शहर के लोग माटी वाली के नाम से ही जानते हैं। एक दिन माटी वाली मिट्टी बेचकर एक घर में पहुँचती है तो मकान मालकिन  उसे दो रोटियाँ देती है। जब तक मालकिन चाय लेकर आती है तब तक माटी वाली उसमें से एक रोटी अपने सिर पर रखे गंदे कपड़े से बाँध लेती है। पीतल के पुराने गिलास में माटी वाली फूँक-फूँक  कर चाय सुड़कने लगती है। माटी वाली कहती है कि पूरे बाज़ार में अब किसी के पास ऐसी पुरानी चीजें नहीं रह गई हैं जिस पर मालकिन ने कहा की यह पुरखों  की चीज़े हैं, न जाने किन कष्टों के साथ इन्हे खरीदा गया होगा। अब लोग इनकी  कदर नहीं करते हैं। अपनी चीज़ का मोह बहुत बुरा होता है और टिहरी का मोह भी ऐसा ही है।
माटी वाली कहती है कि जिनके पास ज़मीन या कोई संपत्ति है उन्हें कोई ठिकाना मिल ही जाता है लेकिन माटी वाली जैसे बेघर–मजदूरों का क्या होगा? माटी वाली उस दिन दो-तीन घरों में मिट्टी पहुँचाकर तीन रोटी बांधकर अपने बुड्ढे पति के लिए लायी थी। वह बुड्ढा रोज़ इसी आस में बैठा रहता था। आज वह उसके लिए प्याज भी खरीद लायी थी यह सोच कर कि कूटकर रोटी के साथ दे देगी, घर पहुंची तो पाया की बूढ़ा  संसार छोड़कर जा चुका था।
माटी वाली
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न – ‘शहरवासी सिर्फ़ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे कौन से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?

उत्तर – हमारे अनुसार निम्नलिखित कारणों की वजह से ‘माटी वाली’ को सब पहचानते होंगे-

  • लाल मिट्टी के बिना किसी का काम नहीं चलता था क्योंकि उससे चूल्हे-चौके की पुताई की जाती थी . मिट्टी देने का यह काम उसके अलावा कोई और नहीं करता था. उसका कोई प्रतिद्वंदी नहीं था.
  • शहर की रेतीली मिट्टी से लिपाई का काम नहीं किया जा सकता था और शहर से माटाखान काफी दूर था इसलिए लोग अपने आप मिट्टी नहीं ला सकते थे।
  • माटी वाली मिलनसार महिला थी और सभी से अच्छी तरह बातें करती थी।

प्रश्न – माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?

उत्तर – उसका घर शहर से दूर था जिस कारण वह प्रात: काल निकल जाती थी। वह पूरा दिन माटीखान से माटी खोदती व शहर में लगभग सभी घरों तक माटी को पहुँचाती थी। माटी ढोते-ढोते उसे रात हो जाती थी। इसी कारण उसके पास समय नहीं था कि अपने अच्छे या बुरे भाग्य के विषय में सोच पाती।

प्रश्न – ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?

उत्तर – इस बात का आशय है कि भूख लगने पर साधारण खाना या बासी खाना भी मनुष्य को स्वादिष्ट व मीठा लगता है और भूख न होने पर अच्छे भोजन में भी वह स्वाद नहीं आता। इसलिए बुजुर्गों ने कहा है – ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा।’ अर्थात् भूख स्वयं में ही मिठास होती है जो भोजन में भी मिठास उत्पन्न कर देती है।

प्रश्न – ‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीजों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’-मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर – इस कथन में मालकिन द्वारा अपने पुरखों की मेहनत के प्रति आदर व सम्मान का भाव व्यक्त होता है। वह अपने पुरखों की परिस्थितियों को समझने की पूरी कोशिश करती है कि उन्होंने किन परिस्थितियों में संघर्ष कर घर की ये चीज़ें बनाई है। इसलिए वह उस संघर्ष के प्रति सम्मान भाव रखते हुए उन्हें व्यर्थ ही बेच देना नहीं चाहती।

प्रश्न – माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?

उत्तर – माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाने से माटी वाली की दरिद्रता का पता चलता है। सुबह से शाम तक की कड़ी मेहनत के बावजूद वह घर के लिए दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाती। लोगों द्वारा रोटी दिए जाने पर वह पूरा हिसाब लगा लेती है ताकि वह दोनों के खाने का प्रबन्ध कर सके। फिर चाहे वह आधा पेट ही भोजन क्यों न हो।

प्रश्न – आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – माटी वाली का पति अत्यधिक वृद्ध होने के कारण बीमारियों से ग्रस्त है। उसका पाचनतंत्र भी भली-भाँति से काम नहीं करता है। ‘आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी’ – इस कथन में उसका अपने पति के प्रति असीम प्रेम झलकता है। वह उसका इतना ध्यान रखती है कि उसे रुखी रोटियाँ नहीं देना चाहती

प्रश्न – ‘गरीब आदमी का शमशान नहीं उजड़ना चाहिए।’ इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – गरीबों को रहने का स्थान ही बड़ी मुश्किल से मिलता है। अधिकतर गरीब  उसी स्थान पर वह जीते हैं और मर जाते हैं। अगर टिहरी जैसे बांधों के कारण वह स्थान भी डूब जाए तो गरीब के लिए मरने व जीने का स्थान भी नहीं बचेगा। इसलिए बूढ़ी अपनी वेदना को प्रकट कर इस बात को कहती है।

प्रश्न – ‘विस्थापन की समस्या’ पर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर – भारत जिस रफ्तार से “विकास” की दौड़ में आगे बढ़ रहा है इससे शहरों और गाँवों में रह रहे लोगों को विस्थापन की समस्या को झेलना पड़ रहा है और जो भी थोड़ा बहुत सामान या अन्य वस्तु उनके पास हैं वो सब उनसे छिन जाती है। सरकार उनकी ज़मीन और रोजी रोटी तो छीन लेती है। टिहरी बाँध इस बात का ज्वलंत उदाहरण है। लोग पुराने टिहरी को नहीं छोड़ना चाहते थे। इसके लिए कितने ही विरोध हुए, जूलूस निकाले गए पर सरकार के दबाव के कारण उन्हें नए टिहरी में विस्थापित होना पड़ा। अपने पूर्वजों की उस विरासत को छोड़कर जाने में उन्हें किस दु:ख से गुजरना पड़ा होगा उस वेदना को वही जानते हैं। सरकार को चाहिए कि इस विषय में गंभीरता से सोचे और  ऐसे कार्य करने चाहिए जिससे विस्थापन की स्थिति न आए ।

 

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