कक्षा 9 » मेघ आए (सर्वेश्वर दयाल सक्सेना)

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मेघ आए
 (कविता का अर्थ)

शब्दार्थ – आगे-आगे नाचती गाती बयार चली – वर्षा के आगमन की खुशी में हवा बहने लगी, शहरी मेहमान के आगमन की खबर सारे गाँव में तेजी से फैल गई। बाँकी चितवन – बाँकपन लिए दृष्टि, तिरछी नजर। जुहार करना – आदर के साथ झुककर नमस्कार करना। क्षितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी  –  अटारी पर पहुँचे अतिथि की भाँति क्षितिज पर बादल छा गए। बिजली चमकी, तन-मन आभा से चमक उठा। क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की – बादल नहीं बरसेगा का भ्रम टूट गया, प्रियतम अपनी प्रिया से अब मिलने नहीं आएगा यह भ्रम टूट गया।  बाँध टूटा झर-झर ढरके – मेघ झर-झर बरसने लगे, प्रिया-प्रियतम के मिलन से खुशी मिलन के अश्रु के आँसू छलक उठे।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

संदर्भ:- प्रस्तुत काव्यांश क्षितिज भाग 1 में संकलित कविता ‘मेघ आए’ से है। इसके कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी है।
प्रसंग:- ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर जो हँसी-खुशी का माहौल आता है उसको मेघ रूपी शहरी मेहमान के आने के रूप में दर्शाया गया है।
व्याख्या :- कवि कहते हैं कि बादल बड़े बन-ठन कर आकाश रूपी ससुराल में आए हैं। उनके स्वागत में हवा आगे-आगे नाचती गाती हुई चल रही है। जिस प्रकार किसी अतिथि के आने पर खुशी का वातावरण बन जाता है उसी प्रकार मेघ रूपी मेहमान के आने पर सभी लोग खुश होकर अपने दरवाजे और खिड़कियां खोल खोल कर देख रहे हैं। कवि कहता कि ये जो बादल रूपी मेहमान कोई साधारण मेहमान नहीं है बल्कि दूर रहने वाले दामाद की तरह बहुत दिनों के बाद आए हैं।
विशेष:-
  1. बादल की तुलना मेहमान से की है।
  2. भाषा साधारण बोलचाल की खड़ी बोली हिन्दी है।
  3. मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया है।
  4. ‘पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के’ पंक्ति में उत्प्रेक्षा अलंकार है।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

संदर्भ – प्रस्तुत काव्यांश क्षितिज भाग 1 में संकलित कविता ‘मेघ आए’ से है। इसके कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी है।

प्रसंग – ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर जो हँसी-खुशी का माहौल आता है उसको मेघ रूपी शहरी मेहमान के आने के रूप में दर्शाया गया है।

व्याख्या – प्रस्तुत काव्यांश में कवि कहते हैं कि जिस प्रकार शहरी मेहमान के आने पर गांव के सभी लोग उसे देखने के लिए कभी अपनी गर्दन झुकाते हैं तो कभी उठाकर देखते हैं और कुंवारी युवतियाँ भी उसे देखकर खुशी से झूम उठती है और अपनी घाघरा उठा कर सूचना देने के लिए दौड़ पड़ती है। गांव की दुल्हन भी उस नए मेहमान को देखने के लिए अपना घूँघट थोड़ा-सा उठाकर तिरछी नजर से देखने लगती है। ठीक उसी प्रकार मेघ के आने पर आँधी चलने से पेड़ पौधे कभी झुकते कभी उठते हैं धूल भी दूर-दूर तक फैले लगती है और नदियों में भी हलचल होने लगती है   कवी आगे कहते हैं कि जिस प्रकार से मेघ के‌ आने से सभी तरफ हलचल मच जाती है ठीक उसी प्रकार शहरी मेहमान यानी कि दामाद के आने पर सभी ओर हलचल मची हुई है।

विशेष:-

  1. बादल की तुलना मेहमान से की है।
  2. भाषा साधारण बोलचाल की खड़ी बोली हिन्दी है।
  3. मानवीकरण अलंकार  है।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’-
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

संदर्भ – प्रस्तुत काव्यांश क्षितिज भाग 1 में संकलित कविता ‘मेघ आए’ से है। इसके कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी है।
 
प्रसंग – ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर जो हँसी-खुशी का माहौल आता है उसको मेघ रूपी शहरी मेहमान के आने के रूप में दर्शाया गया है।
व्याख्या –  प्रस्तुत काव्यांश के द्वारा कवि कहते हैं कि जिस प्रकार शादी के बाद पहली बार दामाद के आने पर गांव के बूढ़े बुजुर्ग सबसे पहले उनका स्वागत करते हैं उसी प्रकार मेघरूपी मेहमान के आने पर सबसे पहले बुजुर्ग या बूढ़े पीपल आगे बढ़कर मेघों का स्वागत करते हैं। बरसों बाद दामाद गांव आए हैं जिसके कारण उनकी पत्नी उनसे नाराज हैं गुस्सा है क्योंकि इतने दिनों के बीच एक बार भी उनकी हाल खबर या सुधि नहीं ली और अब दर्शन दिए हैं जिसके कारण से वे बाहर नहीं आती है और किवाड़ की आड़ से ही उन्हें झांक कर देखने लगती हैं। लताएँ वर्षा होने का इंतजार करते ही रहती है इतने दिनों के बाद वर्षा आने के कारण लताएँ मेघों से इतरा रही है और पेड़ों के पीछे से ही उन्हें नज़रें चुरा कर देख रही है। आगे कवि कहते हैं कि मेहमान रूपी मेघ को देख कर तालाब बहुत खुश हैं और मेहमान के पैरों को धोने के लिए तालाब परात में पानी भरकर लाया है क्योंकि वर्षा न होने के कारण जो तालाब का पानी सूख रहा था अब वह तालाब फिर से भर जाएगा।
विशेष –
  1. बादल की तुलना मेहमान से की है।
  2. भाषा साधारण बोलचाल की खड़ी बोली हिन्दी है।
  3. मानवीकरण अलंकार  है।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

संदर्भ – प्रस्तुत काव्यांश क्षितिज भाग 1 में संकलित कविता ‘मेघ आए’ से है। इसके कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी है।
प्रसंग – ग्रामीण संस्कृति में दामाद के आने पर जो हँसी-खुशी का माहौल आता है उसको मेघ रूपी शहरी मेहमान के आने के रूप में दर्शाया गया है।
व्याख्या – प्रस्तुत काव्यांश में कवि कहते है कि मेघ रूपी मेहमान के आने का सब्र का बाँध अब टूट चुका है। मेघ रूपी मेहमान क्षितिज रूपी अटारी पर अब पहुंच चुके हैं यानी काले बादल अब चारों ओर छा चुके हैं और बिजली की चमक से उनके आने का पता चल रहा है। अब तो प्रेमिका और प्रेमी का मिलना संभव है। इस बात से सभी मेघ से क्षमा मांगते हुए कहते हैं कि तुम्हारे आने और ना आने का जो शंका थी वह अब खत्म हो चुकी है। साथ ही प्रेमिका का भ्रम भी मेघ रूपी मेहमान (दामाद) को सामने देख कर टूट चुका है और वियोग के बाद फिर से संयोग या फिर से एक बार मिलने की खुशी से दोनों की आंखों से आंसू निकल आते हैं और उनके आंसू के साथ ही झर-झर बारिश शुरू हो जाती है।
विशेष:
  1. बादल की तुलना मेहमान से की है।
  2. भाषा साधारण बोलचाल की खड़ी बोली हिन्दी है।
  3. मानवीकरण अलंकार  है।

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मेघ आए
(प्रश्न-उत्तर)

प्रश्न – बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।

उत्तर – बादलों के आने पर प्रकृति में निम्नलिखित गतिशील क्रियाएँ हुई

  1. हवा नाचती-गाती चलने लगी। आँधी चलने लगी। धूल उठने लगी।
  2. पेड़ झुकने लगे, मानो वे गरदन उचकाकर बादलों को निहार रहे हों।
  3. नदी मानो बाँकी नज़र उठाकर ठिठक गई। पीपल का पेड़ झुकने लगा।
  4. लताएँ पेड़ों की शाखाओं में छिप गईं।
  5. क्षितिज पर बिजली चमकने लगी।
  6. तालाब जल से भर गए।

प्रश्न – निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं?

उत्तर – 

  1. धूल- उत्साहित अल्हड़ बालिका का प्रतीक है।
  2. पेड़- गाँव के आम व्यक्ति का प्रतीक है।
  3. नदी- गाँव की नवविवाहिता का प्रतीक है।
  4. लता- नवविवाहिता नायिका का प्रतीक है।
  5. ताल- घर के नवयुवक का प्रतीक है।

प्रश्न – लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों?

उत्तर – लताएँ वर्षा होने का इंतजार करते ही रहती है इतने दिनों के बाद वर्षा आने के कारण लताएँ मेघों से इतरा रही है और पेड़ों के पीछे से ही उन्हें नज़रें चुरा कर देख रही है।

प्रश्न – भाव स्पष्ट कीजिएµ
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
उत्तर – भाव यह है कि साल भर बीतने को है और बादल नहीं आए थे। इस पर नवविवाहिता लता को शंका थी कि कहीं मेघ न आए। अब लता के मन में जो भ्रम बन गया था वह मेघ के आने से टूट गया और वह क्षमा माँगने लगी।

(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।

उत्तर – भाव यह है कि मेघ रूपी मेहमान को देखने के लिए नदी रूपी नवविवाहिता ठिठक गई और उसने पूँघट उठाकर मेहमान को देखा।

प्रश्न – मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर – मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा चलने लगी। आँधी और धूल चलने लगी, जिससे पेड़ झुकने लगे। नदी बाँकी होकर बहने लगी। बूढे पीपल झुकने लगे। लताएँ पेड़ की ओट में छिपने लगीं। तालाब जल से भर उठे। आकाश में मेघ छा गए। अंत में धारासार वर्षा हुई।

प्रश्न – मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?

उत्तर – मेघों के लिए ‘बन-ठन के, सँवर के आने की बात इसलिए कही गई है क्योंकि वर्षा के मेघ काले-भूरे रंग के होते हैं। नीले आकाश में उनका रंग अद्भुत लगता है। गाँवों में बादलों का बहुत इंतजार किया जाता है। इनके आने से प्रकृति में खुशियाँ आती हैं।

प्रश्न – कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकार के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर –

मानवीकरण-

  • मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के
  • आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली
  • पेड़ झुक झाँकने लगे, गरदन उचकाए
  • धूल भागी घाघरा उठाए
  • बाँकी चितवन उठा, नदी ठिटकी
  • बूढे पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की
  • ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं
    बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
  • हरसायो ताल लाया पानी परात भर के।

रूपक – क्षितिज-अटारी गहराई।

प्रश्न – कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।

उत्तर – कविता में निम्नलिखित रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है; जैसे-

  • मेहमान के आने पर सभी गाँववालों का उत्साह से भर जाना और मेहमान को देखना।
  • घर के बुजुर्ग व्यक्ति द्वारा मेहमान का सत्कार करना।
  • मेहमान के पैर धोने के लिए थाल में पानी भर लाना।
  • नवविवाहिता स्त्रियॉं द्वारा घूँघट की ओट से मेहमान को देखना।
  • मायके वालों के सामने नवविवाहिता नायिका द्वारा अपने पति से बात न करना।

प्रश्न – कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।

उत्तर – मेघ रूपी मेहमान के आने से हवा चलने लगी। आँधी और धूल चलने लगी, जिससे पेड़ झुकने लगे। नदी बाँकी होकर बहने लगी। बूढे पीपल झुकने लगे। लताएँ पेड़ की ओट में छिपने लगीं। तालाब जल से भर उठे। आकाश में मेघ छा गए। अंत में धारासार वर्षा हुई।

प्रश्न – काव्य-सौंदर्य लिखिए-
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

उत्तर – काव्य-सौंदर्य को दो बिन्दुओं द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है-

भाव सौंदर्य- इन पंक्तियों में शहर में रहने वाले दामाद का गाँव में सज-सँवरकर आने का सुंदर चित्रण है।

शिल्प-सौंदर्य

  • पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
  • ‘बड़े बन-ठनके’ में अनुप्रास अलंकार है।
  • ‘मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के’ में मानवीकरण अलंकार है।
  • भाषा साहित्यिक खड़ी बोली है।
  • रचनामें तुकांतता है।
  • दृश्य बिंब है।
  • माधुर्य गुण है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न – वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।

उत्तर – वर्षा के आने आसपास के वातावरण में अनेक परिवर्तन होते हैं जैसे आकाश बादलों से घिर जाता है। धूप अपना बस्ता समेटकर जाने कहाँ छिप जाती है। लोग अपने-अपने घरों की ओर दौड़ने लगते हैं। स्त्रियाँ आँगन में रखा अपना सामान समेटने लगती हैं। सड़कों पर आना-जाना कम हो जाता है। काले और रंगबिरंगे छाते दीखने लगते हैं। पशु-पक्षी किसी ओट की खोज में भटकने लगते हैं। मार्गों पर जल भर आता है। बच्चे बड़े उल्लास से वर्षा का आनंद लेते हैं। व्यापारी अपना सामान ढँकने लगते हैं। इस प्रकार वर्षाकाल मनमोहक हो उठता है।

प्रश्न – कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है? पता लगाइए।

उत्तर – पीपल का पेड़ आकार में बहुत विशाल, छायादार होने के साथ शुभ भी माना जाता है। पूजा-पाठ आदि मांगलिक कार्यों में इसका पूजन किया जाता है, इसीलिए कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग कहा है।

प्रश्न – कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।

उत्तर – आज अतिथि-सत्कार की परंपरा का निरंतर ह्रास हो रहा है क्योंकि आज परिस्थितियाँ तेजी से बदल रही हैं। मनुष्य के बाहरी संपर्क और कार्य बढ़ रहे हैं। मनुष्य व्यस्त होता जा रहा है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न – कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।

उत्तर –

  • बन-ठनकर आना – मंडप में दुल्हन बन-ठनकर आई थी।
  • गरदन उचकाना – वह गरदन उचकाकर फोटो खिंचवा रहा था।
  • सुधि लेना – विदेश जाने के बाद लोग अपने परिवार की सुधि लेना भूल जाते हैं।
  • गाँठ खुलना – भ्रम  की गाँठ खुलते सारा भेद मिट गया।
  • बाँध टूटना – झूठ सुन-सुनकर उसके सब्र का बाँध टूट गया।

प्रश्न – कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।

उत्तर – पाहुन, घाघरा, पूँघट, जुहार, ओट, किवार, परात, अटारी, भरम।

प्रश्न – मेघ आए कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा रचित कविता ‘मेघ आए’ की भाषा सरल और सहज  है। कविता में साधारण बोल-चाल के शब्दों के साथ-साथ आंचलिक शब्दों का भी प्रयोग है। कवि ने अपनी बात को अत्यंत सरल शब्दों में कह दिया है।

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पाठेतर सक्रियता

प्रश्न – वसंत ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

प्रश्न – प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएµ
धिन-धिन-धा धमक-धमक
मेघ बजे
दामिनि यह गई दमक
मेघ बजे
दादुर का कंठ खुला
मेघ बजे
धरती का हृदय धुला
मेघ बजे
पंक बना हरिचंदन
मेघ बजे
हल का है अभिनंदन
मेघ बजे
धिन-धिन-धा————

(1) ‘हल का है अभिनंदन’ में किसके अभिनंदन की बात हो रही है और क्यों?

उत्तर – वर्षा ऋतु आने और बादलों के बरसने पर हल द्वारा कृषि का काम शुरू हो जाता है। 

(2) प्रस्तुत कविता के आधार पर बताइए कि मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए?

उत्तर – मेघों के आने पर आकाश में गर्जना होने लगी, बिजली चमकने लगी, मेढक बोलने, धरती धुली-धुली-सी नजर आने लगी और कीचड़ नज़र आने लगा।

(3) ‘पंक बना हरिचंदन’ से क्या आशय है?

उत्तर – वर्षा होने से धरती पर कीचड़ हो गया। इसमें जीवन की आशा छिपी है। यह माथे पर लगाने योग्य होने के कारण हरिचंदन-सा प्रतीत हो रहा है।

(4) पहली पंक्ति में कौन सा अलंकार है?

उत्तर – पहली पंक्ति में पुनरुक्ति प्रकाश और अनुप्रास अलंकार है।

(5) ‘मेघ आए’ और ‘मेघ बजे’ किस इंद्रिय बोध की ओर संकेत हैं?

उत्तर – ‘मेघ आए’ में दृश्य बिंब की ओर तथा ‘मेघ बजे’ में श्रव्य बिंब की ओर संकेत है।

प्रश्न – अपने शिक्षक और पुस्तकालय की सहायता से केदारनाथ सिंह की ‘बादल ओ’, सुमित्रनंदन पंत की ‘बादल’ और निराला की ‘बादल-राग’ कविताओं को खोजकर पढ़िए।

उत्तर – छात्र संबन्धित कविताओं को पढ़ें।

टेस्ट/क्विज

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