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ल्हासा की ओर (पाठ का सार)
इस पाठ में लेखक राहुल सांकृत्यायन अपनी पहली तिब्बत यात्रा के विषय में बताते हैं। लेखक भिक्षु सुमति के साथ ये यात्रा करते हैं क्योंकि वह पहले यहां आ चुके थे और रस्तों अच्छी समझ रखते थे। लेखक ने तिब्बत जाने के लिए नेपाल के जिस रास्ते को चुना था, उससे हमारे देश की वस्तुएं भी तिब्बत जाया करती थी। उस पूरे रास्ते में पुराने किले बने थे। इन किलों में चीनी फौजें डेरा डाले हुए थी। वहाँ के समाज का वर्णन करते हुए लेखक कहते हैं कि वहाँ की औरतें पर्दा नहीं करती थी। वहाँ जाति – पाति, धर्म, छुआछूत नहीं थी। सबसे अच्छी बात कि वहाँ के लोग बहुत मददगार थे। चाहे वे अपने जानने वाले हो या अनजान वे सभी की सहायता करते हैं। तिब्बत का विशेष पेय पदार्थ चाय है, जिसे आप जैसे चाहे वैसे ही बनवा सकते हैं।
लेखक बताते हैं कि उनको तिब्बत की एक सबसे अधिक ऊंचाई वाली जगह थोङ्ला को करनी थी। ये जोखिम भरा भी था। जिसकी कुल ऊंचाई 16000 से 17000 फिट थी। जिसके कारण दूर-दूर तक कोई गांव नहीं था इसी बात का फायदा उठाकर खतरनाक डाकू यहां आराम से आवास कर सकते थे। अक्सर आने जाने वाले यात्रियों की मौके पर लूटपाट करके उनके खून कर दिए जाते थे। वे लोग भिखारी के वेश में थे इसलिए हत्या की उन्हें परवाह नहीं थी लेकिन ऊंचाइयों का डर बना रहता था। दूसरे दिन वें पहाड़ की खड़ी चढ़ाई पर चढ़ने के लिए अपने घोड़ों पर सवार होकर चल पड़े। रास्ते में चाय पी और फिर दोपहर तक 17-18 हजार फीट ऊंचे डाँड़ें पर पहुंच गए। उन्हें उत्तर की ओर पहाड़ों पर कुछ बर्फ दिखी। सबसे ऊंची जगह पर पत्थरों के ढेर रंग बिरंगे कपड़े की झंडियों से सजा डाँड़ें के देवता का स्थान और जानवरों के सींग दिखे। उतरते वक्त लेखक राहुल सांकृत्यायन का घोड़ा धीरे-धीरे चलने की वजह से पीछे रह गया था। जैसे ही वे आगे बढ़े तो आगे दो रास्ते फूट रहे थे। जिस रास्ते को लेखक ने चुना उस पर काफी दूर चलने पर पता चला कि वह रास्ता गलत है। इसलिए लेखक को वापस हटना पड़ा और तब सही रास्ते पर चलने लगे। जिसके कारण उन्हें गाँव पहुंचते-पहुंचते शाम हो गई। सुमति के गुस्से को शांत करने के लिए लेखक कहते हैं कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं। लङ्कोर में वह सही स्थान पर रुके थें। वहां उन्हें चाय, सत्तू और थुक्पा का आदि पदार्थ खाने को मिला।
लेखक के अनुसार अब वे एक ऐसे दुर्गम स्थान पर थे। जो पहाड़ों से घिरे टापू की तरह लग रहा था। सामने एक छोटी सी पहाड़ी दिखाई पड़ती थी जिसे तिङ्ऱी-समाधि गिरी के नाम से जाना जाता था। अगली सुबह उन्हें कोई भी सामान ढ़ोने वाला नहीं मिला आग बरसती धूप में उन्हें चलना पड़ रहा था। उस जगह की धूप बहुत कठोर थी। उनका सिर धूप से तिलमिला रहा था और पीछे कंधा ठंडा पड़ा था। उन्होंने पीठ पर अपना सामान लादा और सुमति के साथ शेकर विहार की ओर चल दिए। तिब्बत की जमीनें कई छोटे-बड़े जागीरदारों के हाथों में बंटी हुई है। इनका अधिकांश हिस्सा मठों में मिला हुआ है। अपनी-अपनी जागीर में हर जागीदार कुछ खेती स्वयं ही करते थे। वहां वे एक मंदिर में गए जहां बुध्दवचन-अनुवाद की हस्तलिखित 103 पोथियाँ रखी हुई थी, वही लेखक का आसन भी लगाया गया,फिर लेखक उसे पढ़ने में लग गए। फिर उन्होंने अपना-अपना सामान अपने पीठ पर लादा और भिक्षु नम्से से विदाई लेकर चल पड़े।
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ल्हासा की ओर (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न 1. थोड्ला के पहले के आखिरी गाँव पहुँचने पर भिखमंगे के वेश में होने के बावजूद लेखक को ठहरने के लिए उचित स्थान मिला जबकि दूसरी यात्रा के समय भद्र वेश भी उन्हें उचित स्थान नहीं दिला सका। क्यों?
उत्तर- लेखक पहली में एक भिक्षुक सुमति के साथ थे। सुमति वहाँ के लोगों जानते थे इसलिए भिगमंगे के वेश में होने के बावजूद भी उनको ठहरने का स्थान मिल गया था। दूसरी यात्रा में बिना जान-पहचान के यात्री न होने के कारण उनको भटकना पड़ा। दूसरे, तिब्बत के लोग शाम छः बजे के बाद मदमस्त हो जाते थे। तब वे यात्रियों की सुविधा का ध्यान नहीं रखते थे।
प्रश्न 2. उस समय के तिब्बत में हथियार का कानून न रहने के कारण यात्रियों को किस प्रकारे का भय बना रहता था?
उत्तर- उस समय तिब्बत में हथियार संबंधी कानून न होने से यात्रियों को हमेशा अपनी जान को खतरा बना रहता था। डाकू यात्रियों या लोगों लूटने के लिए उन्हें मार देते थे। वाहहन हथियार रखने के लिए लाइसेंस अनिवार्य नहीं था। इसलिए लोग हथियारों को लाठी-डंडे की तरह लेकर चलते थे।
प्रश्न 3. लेखक लड्कोर के मार्ग में अपने साथियों से किस कारण पिछड़ गया?
उत्तर- लङ्कोर के रास्ते में लेखक के अपने साथियों से पिछड़ने के दो कारण थे-
- लेखक का घोड़ा बहुत सुस्त था।
- लेखक रास्ता भटककर एक-डेढ़ मील गलत रास्ते पर चला गया था। उसे वहाँ से वापस आना पड़ा।
प्रश्न 4. लेखक ने शेकर विहार में सुमति को उनके यजमानों के पास जाने से रोका, परंतु दूसरी बार रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया?
उत्तर- पहली बार में लेखक को लगा कि सुमति हफ्ता भर वहाँ लगा देंगे इतने समय लेखक क्या करेगा। लेकिन दूसरी बार में लेखक को पुस्तकें मिल गई थी, जिनको पढ़ने में लेखक को समय लगता। इसलिए लेखक ने दूसरी बार में सुमति को रोकने का प्रयास नहीं किया।
प्रश्न 5. अपनी यात्रा के दौरान लेखक को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर- अपनी तिब्बत-यात्रा के दौरान लेखक को निम्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- क. एक बार वह भूलवश रास्ता भटक गया।
- ख. जानकारी न होने के कारण ठहरने के लिए सही स्थान का न मिलना।
- ग. पहाड़ी रास्ते में डाकुओं द्वारा मारे जाने का डर।
- घ. बहुत तेज धूप के कारण परेशान होना पड़ा।
प्रश्न 6. प्रस्तुत यात्रा-वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
उत्तर- इस यात्रा वृतांत से उस समय तिब्बती समाज के विषय में निम्नलिखित बातें पता चलती है –
- क. तिब्बती समाज में पर्दा-प्रथा, छुआछूत जैसी बुराइयाँ न था।
- ख. महिलाएँ अजनबी लोगों को भी चाय बनाकर दे देती थी।
- ग. निम्न श्रेषी के भिखमंगों को छोड़कर कोई भी किसी के घर में आ जा सकता था।
- घ. पुरुषवर्ग शाम के समय छक पीकर मदहोश रहते थे।
- ङ. समाज में अंधविश्वास का बोलबाला था। वे गंडों पर अगाध विश्वास रखते थे।
प्रश्न 7. ‘मैं अब पुस्तकों के भीतर था।’ नीचे दिए गए विकलों में से कौन-सा इस वाक्य का अर्थ बतलाता है-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
(ख) लेखक पुस्तकों की शैल्फ़ के भीतर चला गया।
(ग) लेखक के चारों ओर पुस्तकें ही थीं।
(घ) पुस्तक में लेखक का परिचय और चित्र छपा था।
उत्तर-
(क) लेखक पुस्तकें पढ़ने में रम गया।
प्रश्न 8. सुमति के यजमान और अन्य परिचित लोग लगभग हर गाँव में मिले। इस आधार पर आप सुमति के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का चित्रण कर सकते हैं?
उत्तर- इस आधार पर सुमति की निम्न विशेषताओं का पता चलता है; जैसे-
- सुमति मिलसार व्यक्ति थे।
- उनकी जान-पहचान का दायरा विस्तृत था।
- सुमति चतुर थे। वे लोगों की आस्था का अनुचित लाभ उठाते थे। यजमानों को बोध गया से लाए कपड़े के गंडे बनाकर दिया करते थे
- वे बौद्ध धर्म में गहरी आस्था रखते थे।
प्रश्न 9. हालाँकि उस वक्त मेरा भेष ऐसा नहीं था कि उन्हें कुछ भी ख़याल करना चाहिए था।’-उक्त कथन के अनुसार हमारे आचार-व्यवहार के तरीके वेशभूषा के आधार पर तय होते हैं। आपकी समझ से यह उचित है अथवा अनुचित, विचार व्यक्त करें।
उत्तर- मेरे विचार से केवल वेशभूषा के आधार पर व्यवहार करना पूरी तरह ठीक नहीं है। अनेक संत-महात्मा और भिक्षु अत्यंत साधारण वस्त्र धारण करते हैं किंतु वे उच्च चरित्र के व्यक्ति होते हैं, पूज्य होते हैं।
प्रश्न 10. यात्रा-वृत्तांत के आधार पर तिब्बत की भौगोलिक स्थिति का शब्द-चित्र प्रस्तुत करें। वहाँ की स्थिति आपके राज्य/ शहर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर – इस यात्रा वृत्तांत से पता चलता है कि तिब्बत भारत और नेपाल से लगता हुआ देश है। जहाँ कुछ समय तक यात्रा करने पर प्रतिबंध था। यह स्थान समुद्र तल से बहुत ऊँचा है। यहाँ सत्रह-अठारह हजार फीट ऊँचे डाँड़े हैं जो खतरनाक जगहें हैं। यहाँ एक ओर बर्फ से ढके शिखर हैं तो दूसरी ओर भीटे हैं जिन पर बहुत कम बर्फ रहती है। यहाँ विशाल मैदान भी हैं जो पहाड़ों से घिरे हैं। तिब्बत की यह स्थिति हमारे राज्य/शहर से पूरी तरह भिन्न है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 13. किसी भी बात को अनेक प्रकार से कहा जा सकता है, जैसे-
सुबह होने से पहले हम गाँव में थे।
पौ फटने वाली थी कि हम गाँव में थे।
तारों की छाँव रहते-रहते हम गाँव पहुँच गए।
नीचे दिए गए वाक्य को अलग-अलग तरीके से लिखिए-
‘जान नहीं पड़ता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।’
उत्तर-
- पता नहीं चलता था कि घोड़ा आगे जा रहा है या पीछे।
- कभी लगता था कि घोड़ा आगे जा रहा है, कभी लगता था पीछे जा रहा है।
प्रश्न 14. ऐसे शब्द जो किसी ‘अंचल’ यानी क्षेत्र विशेष में प्रयुक्त होते हैं उन्हें आंचलिक शब्द कहा जाता है। प्रस्तुत पाठ में से आंचलिक शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर- भरिया, छङ्, फरीकलिपोर, चोकी, डाँड़ा, थुक्पा, कंजुर, खोटी आदि।
प्रश्न 15. पाठ में कागज, अक्षर, मैदान के आगे क्रमशः मोटे, अच्छे और विशाल शब्दों का प्रयोग हुआ है। इन शब्दों से उनकी विशेषता उभर कर आती है। पाठ में से कुछ ऐसे ही और शब्द छाँटिए जो किसी की विशेषता बता रहे हों।
उत्तर- इस पाठ में प्रयुक्त विशेषण शब्द निम्नलिखित हैं- मुख्य, व्यापारिक, दूधवाली, सैनिक, फ़ौजी, चीनी, बहुत-से, परित्यक्त, टोटीदार, सारा, दोनों, आखिरी, अच्छी, भद्र, गरीब, विकट, निर्जन, हजारों, श्वेत, मारे हुए, दो, बिल्कुल नंगे, सर्वोच्च, रंग-बिरंगे, थोड़ी, मेरा, गरमागरम, विशाल, छोटी-सी, कितने-ही, पतली-पतली चिरी बत्तियाँ।
क्विज/टेस्ट
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