आदिकालीन प्राकृत / संस्कृत / अपभ्रंश के लेखक
लेखक | समय | रचना |
जैनाचार्य मेरूतुंग | प्रबंध चिंता मणि (संस्कृत) | |
हेमचंद्र
हेमचंद्र जैन मुनी थे। |
1088-1197 |
(1) सिद्ध हेमचंद्र (प्राकृत)- इसमें अपभ्रंश रचनाओं से दोहे शामिल हैं। (2) शब्दानुशासन (3) कुमारपालचरित (4) देशीनाम माला |
सोमप्रभ सूरि | (1) कुमारपाल प्रतिबोध | |
अज्ञात |
(1) प्राकृत पैंगलम् प्राकृत/अपभ्रंश- यह छंदशास्त्र की पुस्तक है. आचार्य शुक्ल ने इसके आठ छंदो के आधार पर ‘हम्मीर रासो का पता लगाया तथा उसका लेखक शार्डगंधर बताया। राहुल जी ने हम्मीर रासो को जज्वल कवि की रचना माना। शुक्ल जी का मत सही है। कई लोग हम्मीर रासो के रचियता महेश को मानते हैं। |
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कवि स्वयंभू | 783 ई |
(1) पउमचरिउ (अपभ्रंश) – इसमें राम के चरित्र का विस्तार से वर्णन है। यह पद्धडिया छंद में है। (2) रिट्ठणेमी चरिउ (3) पंचमी चरिउ (4) स्वयंभू छंद (5) हरिवंश पुराण – इसमें कृष्ण कथा कही है। |
पुष्पदंत
पुष्पदंत पहले शैव थे, बाद में जैन हो गए। रामकुमार वर्मा ने अपभ्रंश का पहला कवि पुष्पदंत को माना। |
10 वीं |
(1) महापुराण – सदी इसमें 63 महापुरूषों के चरित्र हैं। (2) णयकुमारचरिउ (3) जसहरचरिउ (4) हरवंशपुराण |
धनपाल | 10 वीं सदी |
(1) भविसयत कहा – इसमें एक वणिक की कथा में मनुष्य के हृदय की मार्मिक अभिव्यक्ति है। (2) तिलकमंजरी |
अद्दहमाण या अब्दुर्रहमान | (1) संदेशरासक (अपभ्रंश, खंडकाव्य)- विक्रमपुर की एक वियोगिनी की विरह कथा है। | |
जिनदत्त सूरि | (1) उपदेशरसायन रास- यह एक नृत्यगीत (रासलीला) काव्य है। रास काव्य का पहला ग्रंथ माना जाता है। | |
जोइन्दु कवि
इनसे अपभ्रंश में दोहा काव्य का आरंभ होता है। |
(1) परमात्म प्रकाश
(2) योगसार |
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रामसिंह | 11 वीं सदी | (1) पाहुड दोहा – इसमें इंद्रियनिग्रह, त्याग एवं ज्ञान की चर्चा की गई है। |
करकामर मुनि | (1) करकंडचरिउ | |
विनयचंद्र सूरि | (1) नेमिनाथ चउपई- इसमें पहली बार बारहमास मिलता है। | |
हरिभद्र सूरि | (1) नेमिनाथ चरिउ | |
नयनन्दि मुनि | (1) सुदसण चरिउ | |