आदिकालीन नाथ साहित्य
- नाथों की संख्या 9 मानी जाती है।
- गोरक्षसिद्धांत (संपादक – गोपीनाथ कविराज) में नवनाथ गिनाए हैं ’
- नागार्जुन
- जडभरत
- हरिश्चंद्र
- सत्यनाथ
- भीमनाथ
- गोरक्षनाथ
- चर्पट
- जलंधर
- मलयार्जुन
- नाथ साहित्य के प्रारंभकर्ता गोरखनाथ हैं।
- राहुल व हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार गोरखनाथ का समय 10 वीं सदी का है।
- शुक्ल के अनुसाद गोरखनाथ का समय 13 वीं सदी का है।
- हजारी प्रदास द्विवेदी के अनुसार – ‘गोरखनाथ अपने युग के सबसे बड़े नेता हैं’
- गोरखनाथ के गुरू थे – मछंदरनाथ (मत्स्येन्द्रनाथ)। जो एक सिद्ध थे।
- गोरखनाथ ने पतंजलि के योग को आधार बनाकर ‘हठयोग’ का प्रवर्तन किया।
- गोरखनाथ वज्रयान संप्रदाय में दीक्षित थे।
- शुक्ल के अनुसार गोरखनाथ की 10 रचनाएॅ हैं।
- डॉ- पीतांबर दत्त बडथ्वाल ने गोरखनाथ की 40 रचनाएॅं मानी हैं। जिनमें प्रमुख हैं – सबदी, पद, प्राणसंकल
संस्कृत पुस्तकें – सिद्ध-सिद्धांत पद्धति, विवेक मार्तंड, शक्ति-संगम-तंत्र, निरंजन पुराण, वैराट पुराण - डॉ- पीतांबर दत्त बडथ्वाल ने सर्वप्रथम गोरखनाथ की बानियों का संग्रह ‘गोरखबानी’ (1930) नाम से छपवाया।
- गोरखनाथ की महत्वपूर्ण पंक्तियॉं –
- जोइ-जोइ पिण्डे सोई ब्रह्मण्डे
- गोरख जगायो जोग, भगति भगायो लोग – (तुलसीदास ने कहा)