आदिकालीन जैन साहित्य
- जैन साहित्य मूलतः धार्मिक काव्य है, परंतु उसमें काव्यत्व भी है।
- जैस साहित्य की रचना में आचार, रास, फागु, चरित आदि विभिन्न शैलियॉं मिलती हैं।
- जैन रासो काव्य के मुख्या विषय तीर्थस्थान व धार्मिक स्थन है।
- फागु काव्य गुजरात व राजस्थान में रचे गए।
- चतुष्प्दीय काव्य का संबंध जैन कवियों से है।
- जैन कवियों ने दोहा, चौपाई, रोला में काव्य रचना की।
- हिंदी में रचित जैन साहित्य है –
लेखक | समय | रचना |
देवसेन
शुक्ल जी ने अपभ्रंश का पहला कवि देवसेन को माना। |
(933 ई) |
(1) श्रावकाचार (अपभ्रंश) – एक ग्रंथ के रूप में हिंदी प्रथम रचना है। इसमें 250 दोहों में श्रावक धर्म का प्रतिपादन किया गया है। (2) दब्ब सहाव पयास (द्रव्यस्वभावप्रकाश) (3) लघुनयचक्र (हिंदी) (4) दर्शनसार (हिंदी) |
शालिभद्र सूरि
गणपतिचंद्र गुप्त ने हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास में शालिभद्र सूरि को हिंदी का पहला कवि माना है। |
(1) भरतेश्वर बाहुबली रास- 205 छंदों का खंडकाव्य है।मुनिजिनविजय ने इसे जैनधर्म की रास परंपरा का पहला ग्रंथ माना।इसमें भरतेश्वर और बाहुबल का रचित वर्णन है। | |
आसुग कवि | (1) चंदनबाला रास – चंदनबाला का चरित वर्णन
(2) जीवदयारास |
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जिनधर्म सूरि | (1) स्थूलिभद्र रास – स्थूलिभद्र और कोशा वेश्या की कथा | |
विजयसेन सूरि | (1) रेवंतगिरि रास – तीर्थंकर नेमिनाथ की प्रतिभा तथा रेवंतगिरि तीर्थ का वर्णन | |
सुमतिगणि | (1) नेमिनाथ रास – 58 छंदों में नेमिनाथ का चरित वर्णन | |
प्रज्ञातिलक | (1) कच्छुली रास | |
पल्हण |
(1) आतुरास |