हिन्दी साहित्य का इतिहास » आदिकाल

आदिकालीन जैन साहित्य

  1. जैन साहित्य मूलतः धार्मिक काव्य है, परंतु उसमें काव्यत्व भी है।
  2. जैस साहित्य की रचना में आचार, रास, फागु, चरित आदि विभिन्न शैलियॉं मिलती हैं।
  3. जैन रासो काव्य के मुख्या विषय तीर्थस्थान व धार्मिक स्थन है।
  4. फागु काव्य गुजरात व राजस्थान में रचे गए।
  5. चतुष्प्दीय काव्य का संबंध जैन कवियों से है।
  6. जैन कवियों ने दोहा, चौपाई, रोला में काव्य रचना की।
  7. हिंदी में रचित जैन साहित्य है –
लेखक समय रचना
देवसेन

शुक्ल जी ने अपभ्रंश का पहला कवि देवसेन को माना।

(933 ई)

(1) श्रावकाचार (अपभ्रंश) – एक ग्रंथ के रूप में हिंदी प्रथम रचना है। इसमें 250 दोहों में श्रावक धर्म का प्रतिपादन किया गया है।

(2) दब्ब सहाव पयास (द्रव्यस्वभावप्रकाश)

(3) लघुनयचक्र (हिंदी)

(4) दर्शनसार (हिंदी)

शालिभद्र सूरि

गणपतिचंद्र गुप्त ने हिंदी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास में शालिभद्र सूरि को हिंदी का पहला कवि माना है।

  (1) भरतेश्वर बाहुबली रास- 205 छंदों का खंडकाव्य है।मुनिजिनविजय ने इसे जैनधर्म की रास परंपरा का पहला ग्रंथ माना।इसमें भरतेश्वर और बाहुबल का रचित वर्णन है।
आसुग कवि   (1) चंदनबाला रास – चंदनबाला का चरित वर्णन

(2) जीवदयारास

जिनधर्म सूरि   (1) स्थूलिभद्र रास – स्थूलिभद्र और कोशा वेश्या की कथा
विजयसेन सूरि   (1) रेवंतगिरि रास – तीर्थंकर नेमिनाथ की प्रतिभा तथा रेवंतगिरि तीर्थ का वर्णन
सुमतिगणि   (1) नेमिनाथ रास – 58 छंदों में नेमिनाथ का चरित वर्णन
प्रज्ञातिलक   (1) कच्छुली रास
पल्हण
  (1) आतुरास

 

आदिकालीन अन्य तथ्य
1. आदिकाल का नामकरण 2. पुरानी हिन्दी/पहला कवि
3. प्राकृत/अपभ्रंश साहित्य 4. आदिकाल सिद्ध साहित्य
5. आदिकाल नाथ साहित्य 6. आदिकाल जैन साहित्य
7. आदिकाल रासो साहित्य 8. आदिकाल लोक साहित्य
9. गद्य साहित्य तथा अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

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