हिन्दी साहित्य का इतिहास » रीतिकाल

रीतिकाल की कृष्णकाव्यधारा

मंचित कवि

(1) कृष्णायन (प्रबंध काव्य) (2)सुरभि-दानलीला (प्रबंध काव्य)

रूपरसिकदेव

(1) लीलाविशंति (2) हरिव्यासयशमृत (3) नित्यविहारपदावली (4) वृहदोत्सव मणिमाल

नागरीदास

(1) इश्कचमन (2) जुगलरस माधुरी (3) फागविलास (4) रासरसलता (5) फागविहार (6) भक्तिसार (7) रसिकरत्नावली (8) वर्षा के कवित (9) कृष्णजन्मोत्सव कवित (10) प्रियाजन्मोत्सव कवित (11) गोवर्द्धन धरण के कवित (12) पदप्रसंगमाला (ब्रजभाषा गद्य)

भगवतरसिक – (सखी संप्रदाय)

महात्मा ललित मोहिनीदास के शिष्य थे

भगवतरसिक की वीणा।

वृंदावन देव – (निम्बार्क संप्रदाय)

घनानंद गुरू

कृष्णामृत गंगा या गीतामृतगीता

पीताम्बरदास (सखी सप्रदाय)

किशोरीदास के गुरू थे।

(1) केलिमाल की टीका, (2) समय प्रबंध (3) सिद्धांत और रस की साखी (4) सिद्धांत और रस के पद

सुंदरीकुवांरीबाई (राधावल्लभ संप्रदाय)

(1) नेहनिधि (2) वृंदावन गोपी महात्म्य (3) संकेत युगल, (4) रसपुॅंज, (5) प्रेमसंपुट (6) सारसंग्रह (7) रंगझर (8) भावनाप्रकाश (9) रासरहस्य

बख्शी हंसराज श्रीवास्तव ‘प्रेमसखी’

(सखी संप्रदाय)

इनके गुरू विजयसखी वैष्णव थे।

(1) स्नेहसागर, (2) विरहविलास (3) कृष्णजू की पाती (4) बारहमास (5) विरहपत्रिका (6) चुरिहारिनलीला (7) फागतरंगिनी

सहचरिसरनदास (सखी संप्रदाय)

(1)ललित प्रकाश (2) सरस मंत्रवली

कृष्णदास

(1) माधुर्य महरी, (2) भागवतभाषा पद्य (3) भागवत महात्म्य

रत्नकुंवरि

ये राजा शिवप्रसाद ‘सितारे हिंद’ की दादी थी।

(1) प्रेमरत्न (प्रबंधकाव्य)

दामोदर चौधरी ‘उरदाम’

(1) उरदाम प्रकाश, (2) कूबरीकिलोल (3) कान्हा की बंसी (4) मनमौजसागर (5) कोरदार बतीसी

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