हिन्दी साहित्य का इतिहास » रीतिकाल

रीतिसिद्ध कवि

बिहारीलाल (1595 से 1663)

बिहारी जयपुर के राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। बिहारी के दोहों के लिए महावीर प्रसाद द्विवेदी ने कहा-
सतसइया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर।
देखन में छोटे लगैं, घाव करें गंभीर।।

(1) सतसई या बिहारी सतसई (2) अमर चंद्रिका भी बिहारी की रचना है।

रसनिधि

(1) रतनहजारा (बिहारी सतसई के अनुकरण पर लिखी है।) (2) हिंडोला (3) अरिल्ल (4) बारहमासा

वृंद

(1) भावपंचाशिका (2) बारहमासा (3) नयन पचीसी (4) वृंद सतसई (नीतिकाव्य)

नृप शंभू

(1) नायिका भेद (2) नखसिख

नेवाज

(1) शकुंतलानाटक

हठीजी

(1) श्री राधासुधाशतक

विक्रमादित्य

(1) विक्रमसतसई

पजनेस

(1) नखशिख

मंडन

(1) रसविलास (2) नखशिख (3) नैनपचासा (4) रसरत्नावली (5) जानकी जू ब्याह, (प्रबंध काव्य) (6) पुरंदरमाया (प्रबंध काव्य)

उदयनाथ कवीन्द्र

(1) रसचंद्रोदय (2) विनोदचंद्रिका

जयकृष्ण भुजंग

(1) पिंगलरूपदीपभाषा

चंदन

(1) प्राज्ञविलास (2) कल्लोलतरंगिणी (3) शंृगार सागर (4)काव्याभरण

ब्रजवासीदास

(1) ब्रजविलास (कृष्ण काव्य)  (2) प्रबोधचंद्रोदय (नाटक)

यदुनाथ

(1) रसविलास

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