हिन्दी साहित्य का इतिहास » रीतिकाल

रीतिकाल का सूफी/प्रेमाख्यान काव्य

कासिमशाह

हंस जवाहिर (भाषा – अशुद्ध अवधी, छंद – कडवक (7 अर्द्धाली पर एक दोहा)

नूर-मुहम्मद

(1) इंद्रावती (भाषा – जनपदीय अवधी, छंद – कडवक (5 अर्द्धाली पर एक दोहा)
(2) अनुराग बांसुरी – कट्टर सांप्रदायिक रचना। भाषा – अवधी। छंद – कडवक) एकमात्र अपवाद जिसमें ‘दोहा-चौपाई’ या ‘सोरठा-चौपाई’ की प्रचलित पद्धति छोडकर ‘बरवै चौपाई’ को अपनाया गया है।)

पंक्तियॉं –
‘जानत है वह सिरजनहारा, जो किछु है मन मरम हमारा।
हिंदू मग पर पांव न राखेउॅफ़, का जो बहुतै हिंदी भखिऊं।
कामयाब कह कौन जगावा, फिर हिंदी भाखै पर आवा।
छांडि फारसी कंद नवातैं, अरूझाना हिंदी रस बातै।’

शेख निसार

युसुफ-जुलेखा (भाषा – जनपदीय अवधी, छंद – कडवक (9 अर्द्धालियों पर एक दोहा)

सूरदास

नलदमन

दुखहरनदास

पुहुपावती (भाषा – जनपदीय अवधी तथा हल्का सा ब्रज का पुट, छंद योजना – दोहा, कवित।

केसि

माधवानल नाटक (भाषा – अवधी, छंद – दोहा-चौपाई)

दामोदर कवि

माधवालन कथा

हंस कवि

चंद्रकुंवर री वात

अज्ञात

सारंगा-सदावृक्ष रा दूहा

बोधा

विरहवारीश

जनकुंज

उषाचरित

चतुर्भुजदास

मधुमालती

सेवाराम

नलदमयंती चरित्र

जीवनदास नागर

उषा – अनिरूद्ध

मुरलीदास

उषा – अनिरूद्ध

रामदास

उषा – अनिरूद्ध

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