कक्षा 6 » लोकगीत (निबंध)

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लोकगीत

(भगवतशरण उपाध्याय)

शब्दार्थ :- लोच – लचीलापन, लचक। झाँझ – काँसे की दो तश्तरियों से बना हुआ वाद्य-यंत्र। करताल – एक प्रकार का वाद्य-यंत्र। हेय – हीन, तुच्छ। ओजस्वी – ओज भरा, प्रभावकारी। सिरजती – बनाती, सृजन करती। आनंदकर – हर्षकर। कृत्रिम – बनावटी। अबूझ – जो समझने योग्य न हो, क्लिष्ट। बखान – वर्णन, बड़ाई, गुण-कथन। उल्लसित – खुश। उद्दाम – बंधन रहित, बहुत ज्यादा।

पाठ का सार

लोकगीत नामक पाठ के लेखक भगवतशरण उपाध्याय लोकगीतों को हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग मानते हैं। आज के समय में जब मनोरंजन के विभिन्न साधनों की खोज हो चुकी है तो भी लोकगीतों का महत्वपूर्ण स्थान बना हुआ है। गीत–संगीत के बिना हमारा मन नीरस हो जाता है। लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता से जुड़े हैं। ये घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए किसी साधना की ज़रूरत नहीं होती। लोकगीत त्योहारों और विशेष अवसरों पर ये गाये जाते हैं। इनकी रचना में स्त्री और पुरुष दोनों ही भाग लेते हैं। ये गीत बाजों, ढोलक, करताल, झाँझ और बाँसुरी आदि की मदद से गाये जाते हैं। लोकगीतों के कई प्रकार हैं। इनका एक प्रकार बड़ा ही ओजस्वी और सजीव है। यह इस देश के आदिवासियों का संगीत है। मध्यप्रदेश, दक्कन और छोटा नागपुर में ये फैले हुए हैं। पहाडियों के अपने – अपने गीत हैं। वास्तविक लोकगीत देश के गाँवों और देहातों में हैं। सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये जाते हैं। चैता, कजरी, बारहमासा, सावन आदि मीर्जापुर, बनारस और उत्तर प्रेदश के पूरवी जिलों में गाये जाते हैं। बाउल और भतियाली बंगला के लोकगीत हैं। पंजाब में महिया गायी जाती है। राजस्थानी में ढ़ोला – मारू आदि गीत गाते हैं। भोजपुरी में बिदेसिया का प्रचार हुआ है। इन गीतों में अधिकतर रसिकप्रियों और प्रियाओं की बात रहती हैं। इन गीतों में करुणा और बिरह का रस बरसता है। जंगली जातियों में भी लोकगीत गाये जाते हैं। एक दूसरे के जवाब के रूप में दल बाँधकर ये गाये जाते हैं। आल्हा एक लोकप्रिय गान है। गाँवों और नगरों में गायिकाएँ होती हैं। स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। उनके गाने के साथ नाच का पुट भी होता है।

नीति : वैश्वीकरण के कारण लोकगीतों का नाश हो रहा है। इन्हें बचाये रखना हमारा कर्तव्य है।

 

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लोकगीत

प्रश्न-अभ्यास

निबंध से

प्रश्न :- निबंध में लोकगीतों के किन पक्षों की चर्चा की गई है? बिदुओं के रूप में उन्हें लिखो।

उत्तर:- इस निबंध में लोकगीतों के निम्नलिखित पक्षों की चर्चा हुई है-

  • लोकगीत लोकप्रिय होते हैं।
  • लोकगीतों के प्रकार, गायन शैली, राग
  • लोकगीत और शास्त्रीय संगीत
  • लोकगीतों की भाषा
  • लोकगीतों के प्रकार
  • लोकगीतों की लोकप्रियता।
  • सहायक वाद्य यंत्र, गायक समूह
  • लोकगीतों के साथ चलने वाले नृत्य
  • बिना किसी बाजे की मदद के भी गया जाना।

प्रश्न :- हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत कौन-कौन से हैं?

उत्तर :- हमारे यहाँ स्त्रियों के खास गीत निम्न हैं-

  • त्योहारों पर गाए जाने वाले गीत,
  • नहाने जाते समय रास्ते के गीत,
  • विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले गीत, 
  • ज्यौनार के गीत
  • जन्म आदि के गीत 

प्रश्न :- निबंध के आधार पर और अपने अनुभव के आधार पर (यदि तुम्हें लोकगीत सुनने के मौके मिले हैं तो) तुम लोकगीतों की कौन सी विशेषताएँ बता सकते हो?

उत्तर – लोकगीतों की अनेक विशेषताएँ हैं-

  1. लोकगीत गाँव के अनपढ़ पुरुष व औरतों के द्वारा रचे गए हैं।
  2. इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती।
  3. लोकगीतों में लचीलापन और ताजगी होती है।
  4. ये आम जनता के गीत हैं।
  5. ये त्योहारों और विशेष अवसरों पर ही गाए जाते हैं।

प्रश्न :-‘पर सारे देश के—अपने-अपने विद्यापति हैं’ इस वाक्य का क्या अर्थ है? पाठ पढ़कर मालूम करो और लिखो।

उत्तर- इस वाक्य का यह अर्थ है कि विद्यापति जैसे कवि भारत देश के हर कोने मेन मिल जाएंगे। जिनके गीतों की उस क्षेत्र में विशेष धूम रहती है। बुंदेलखंड के लोकगीत रचनाकार जगनिक का ‘आल्हा’ इसका उदाहरण है जो आज भी गाया जाता है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- क्या लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही गाए जाते हैं? शहरों के कौन से लोकगीत हो सकते हैं? इस पर विचार करके लिखो।

उत्तर- नहीं! लोकगीत और नृत्य सिर्फ गाँवों या कबीलों में ही नहीं गाए जाते, बल्कि शहरों में भी गाए जाते हैं। शहरों के लोग देश के अलग-अलग ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बसे हुए होते हैं। वे अपनी रुचि और परिवेश के अनुसार गाँवों में गाए जाने वाले लोकगीतों का अनुसरण करते हैं। 

प्रश्न :- ‘जीवन जहाँ इठला-इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्रोतों की कमी हो सकती है? उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने प्रतीक हैं।’ क्या तुम इस बात से सहमत हो? ‘बिदेसिया’ नामक लोकगीत से कोई कैसे आनंद प्राप्त कर सकता है और वे कौन लोग हो सकते हैं जो इसे गाते-सुनते हैं? इसके बारे में जानकारी प्राप्त करके कक्षा में सबको बताओ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न :- ‘लोक’ शब्द में कुछ जोड़कर जितने शब्द तुम्हें सूझें, उनकी सूची बनाओ। इन शब्दों को ध्यान से देखो और समझो कि इनमें अर्थ की दृष्टि से क्या समानता है। इन शब्दों से वाक्य भी बनाओ, जैसे-लोककला।

उत्तर – 

  • लोकनृत्य- लोकनृत्य ग्रामीण संस्कृति की पहचान हैं।
  • लोकतंत्र- भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।
  • लोकनीति- लोकनीति लोगों के कल्याण के लिए होनी चाहिए।
  • लोकगीत- लोकगीत विशेष अवसर पर गाए जाते हैं।
  • लोकप्रिय- शिवांशु स्कूल का लोकप्रिय छात्र है।
  • लोकहित-  नेताओं को लोकहित का ध्यान रखना चाहिए।

प्रश्न :-  बारहमासा गीत में साल के बारह महीनों का वर्णन होता है। अगले पृष्ठ पर विभिन्न अंकों से जुड़े कुछ शब्द दिए गए हैं। इन्हें पढ़ो और अनुमान लगाओ कि इनका क्या अर्थ है और वह अर्थ क्यों है? इस सूची में तुम अपने मन से सोचकर भी कुछ शब्द जोड़ सकते हो-

उत्तर – शब्द – अनुमान वाले अर्थ

  • इकतारा – एक तार वाला वाद्य यंत्र
  • सरपंच – पंचों में प्रमुख
  • तिराहा – जहाँ तीन रास्ते मिलते हैं।
  • दोपहर – दो पहरों का मिलन
  • चारपाई – चार पायों वाली
  • छमाही – छह महीने में होने वाला
  • सप्तर्षि – सात ऋषियों का समूह
  • नवरात्र – नौ रात्रियों के समूह
  • अठन्नी – आठ आने का सिक्का
  • नवरत्न – नौ रत्नों का समूह
  • शताब्दी – सौ सालों का समूह
  • चतुर्भुज – चार भुजाओं का समूह

प्रश्न :- को, में, से आदि वाक्य में संज्ञा का दूसरे शब्दों के साथ संबंध दर्शाते हैं। ‘झाँसी की रानी’ पाठ में तुमने का के बारे में जाना। नीचे ‘मंजरी जोशी’ की पुस्तक ‘भारतीय संगीत की परंपरा’ से भारत के एक लोकवाद्य का वर्णन दिया गया है। इसे पढ़ो और रिक्त स्थानों में उचित शब्द लिखो-

उत्तर – 

तुरही भारत के कई प्रांतों में प्रचलित है। यह दिखने में अंग्रेजी के एस या सी अक्षर की तरह होती है। भारत के विभिन्न प्रांतों में पीतल या काँसे का बना यह वाद्य अलग-अलग नामों से जाना जाता है। धातु की नली को घुमाकर एस का आकार इस तरह दिया जाता है कि उसका एक सिरा संकरा रहे और दूसरा सिरा घंटीनुमा चौड़ा रहे। फेंक मारने को एक छोटी नली अलग से जोड़ी जाती है। राजस्थान में इसे बर्गे कहते हैं। उत्तर प्रदेश में यह तूरी, मध्य प्रदेश और गुजरात में रणसिंघा और हिमाचल प्रदेश में नरसिंघा के नाम से जानी जाती है। राजस्थान और गुजरात में इसे काकड़सिंधी भी कहते हैं।

भारत के मानचित्र में

प्रश्न :- भारत के नक्शे में पाठ में चर्चित राज्यों के लोकगीत और नृत्य दिखाओ।

उत्तर – छात्र स्वयं करें। 

कुछ करने को

प्रश्न :- अपने इलाके के कुछ लोकगीत इकट्ठा करो। गाए जाने वाले मौकों के अनुसार उनका वर्गीकरण करो।

उत्तर – छात्र स्वयं करें। 

प्रश्न :- जैसे-जैसे शहर फैल रहे हैं और गाँव सिकुड़ रहे हैं, लोकगीतों पर उनका क्या असर पड़ रहा है? अपने आसपास के लोगों से बातचीत करके और अपने अनुभवों के आधार पर एक अनुच्छेद लिखो।

उत्तर – छात्र स्वयं करें। 

प्रश्न :- रेडियो और टेलीविजन के स्थानीय प्रसारणों में एक नियत समय पर लोकगीत प्रसारित होते हैं। इन्हें सुनो और सीखो।

उत्तर – छात्र स्वयं करें। 

 

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