अपठित बोध » कक्षा 11 से 12 अपठित पद्यांश

अपठित पद्यांश 1

तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
आज सिन्धु ने विष उगला है
लहरों का यौवन मचला है
आज हृदय में और सिन्धु में
साथ उठा है ज्वार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार
लहरों के स्वर में कुछ बोलो
इस अंधड में साहस तोलो
कभी-कभी मिलता जीवन में
तूफानों का प्यार
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार

प्रश्न -1 कवि किसे तूफानों की ओर पतवार घुमाने के लिए कहता है?

नाविक को

प्रश्न -2 तूफानों की ओर पतवार घुमाने का क्या आशय है?

मुसीबतों का सामना करना।

प्रश्न -3 कवि के अनुसार ज्वार कहाँ-कहाँ उठा है?

हृदय और सिंधु में

प्रश्न -4 कवि को कभी-कभी जीवन में क्या मिलता है?

तूफानों का प्यार

प्रश्न -5 अंतिम पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?

अनुप्रास

प्रश्न -6 ‘इस अंधड में साहस तोलो’ से कवि का क्या अभिप्राय है?

विपरीत परिस्थिति में वीरता की परीक्षा ।

प्रश्न -7 निम्न में से कौन-सा शब्द ‘विष’ का पर्यायवाची नहीं है?

गरल/जहर/पीयूष/हलाहल

उत्तर – पीयूष

प्रश्न -8 इस पद्यांश में कवि किसका परिचय नहीं देना चाहता?

संघर्ष/भय/विश्वास/साहस

उत्तर – भय

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