खेद सम्बन्धी पत्र
(1) अपने मित्र की शादी में न पहुँच पाने की असमर्थता बताते हुए खेद सम्बन्धी पत्र लिखिए।
15/2, अलीपुर,
दिल्ली।
दिनांक 15 फरवरी, 20XX
प्रिय मित्र सुधांशु,
सप्रेम नमस्कार।
मित्र सबसे पहले मैं तुम्हें तुम्हारी शादी की ढेरों शुभकामनाएँ देना चाहूँगा। मुझे खेद हैं कि मैं तुम्हारी शादी में पहुँच नहीं सका। हालाँकि मुझे तुम्हारी शादी का निमन्त्रण पत्र समय पर मिल गया था, किन्तु काम की व्यस्तताओं में मैं इतना उलझा हुआ था कि चाहकर भी समय नहीं निकाल सका।
जिस दिन तुम्हारी शादी थी, उसी दिन मुझे कम्पनी के काम से दिल्ली से बाहर जाना पड़ा था। यदि मैं नहीं जाता, तो कम्पनी का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता था।
मित्र, मैं समझता हूँ तुम मेरी विवशताओं को समझोगे। एक बार पुनः मैं तुम्हें शादी की शुभकामनाएँ देता हूँ। भाभी को मेरा नमस्कार कहिएगा।
शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा अभिन्न मित्र,
राकेश मेहरा
(2) अपने चाचा जी को पत्र लिखिए, जिसमें पर्वतीय स्थलों पर घूमने हेतु चाचा जी के आमन्त्रण पर न पहुँच पाने के लिए खेद प्रकट किया हो।
15, महेन्द्रगढ़,
राजस्थान।
दिनांक 16 अगस्त, 20XX
पूजनीय चाचा जी,
सादर चरण स्पर्श।
पिछले दिनों मुझे आपका पत्र मिला। पत्र में आपने मुझे हिमाचल आकर घूमने का निमन्त्रण दिया हैं। इसके लिए मैं आपका धन्यवाद करना चाहूँगा।
चाचा जी, मेरी तमन्ना भी हिमाचल घूमने की हैं। वहाँ की पर्वतों से घिरी सुन्दर, आकर्षक वादियों का मैं भी लुत्फ उठाना चाहता हूँ।
मेरे कई दोस्त हिमाचल घूम कर आ चुके हैं। उनके मुँह से मैंने वहाँ की काफी तारीफ सुनी हैं। मेरा भी मन हैं कि मैं भी वहाँ आकर आपके साथ हिमाचल घूमकर वहाँ की वादियों का आनन्द लूँ। किन्तु मुझे खेद हैं कि मैं अभी वहाँ नहीं आ सकता। अगले महीने मेरी अर्द्धवार्षिक की परीक्षाएँ होने वाली हैं। इस समय मेरा पूरा ध्यान उन्हीं परीक्षाओं की तैयारी पर हैं। मैं परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करना चाहता हूँ।
चाचा जी, परीक्षाओं के बाद दशहरा की छुट्टियों में मैं हिमाचल जरूर आना चाहूँगा।
चाची जी को चरण-स्पर्श, रोहन-मोहन को प्यार।
आपका भतीजा,
राजेश कुमार
(3) पिताजी को अपनी गलती के लिए क्षमा-याचना करते हुए पत्र लिखिए।
18, दरियागंज,
दिल्ली।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
पूजनीय पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श।
मैं इस पत्र के माध्यम से पिछले दिनों हुई अपनी गलती के लिए माफी माँगना चाहता हूँ। पिछले दिनों मैंने अपने पत्र में क्रोधवश बड़े भैया के लिए कुछ अनुचित शब्दों का प्रयोग किया था। पत्र पढ़कर भैया को दुःख पहुँचा। इसका मुझे खेद हैं।
मेरे मन में बड़े भैया के लिए सदैव आदर का भाव रहा हैं। परन्तु मैंने भ्रमवश उनके हृदय को ठेस पहुँचाने का अक्षम्य अपराध किया हैं।
मैं अपनी भूल के लिए भाई साहब से तथा आपसे क्षमा-याचना करता हूँ। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी गलती मुझसे भूलकर भी नहीं होगी। आशा हैं कि आप मुझे अबोध जान कर क्षमा कर देंगे।
माताजी को चरण-स्पर्श तथा पूनम को प्यार।
आपका पुत्र,
रमन कुमार