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मैं क्यों लिखता हूँ? (पाठ का सार)
हिदी में एक समय इस पर चर्चा हुई थी कि लेखक क्यों लिखता है, किसके लिए लिखता है, उसके लेखन का प्रयोजन क्या है? अज्ञेय का यह निबंध भी उसी बहस से जुड़ा है। अज्ञेय ने अपने इस छोटे से निबंध में यह बताया है कि रचनाकार की भीतरी विवशता ही उसे लेखन के लिए मजबूर करती है और लिखकर ही रचनाकार उससे मुक्त हो पाता है। अज्ञेय का मानना है कि प्रत्यक्ष अनुभव जब अनुभूति का रूप धारण करता है तभी रचना पैदा होती है। अनुभव के बिना अनुभूति नहीं होती परंतु जरूरी नहीं कि हर अनुभव अनुभूति बने। अनुभव जब भाव-जगत और संवेदना का हिस्सा बनता है तभी वह कलात्मक अनुभूति में रूपांतरित होता है। अज्ञेय ने हिरोशिमा कविता के उदाहरण द्वारा अपनी बात स्पष्ट की है।
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मैं क्यों लिखता हूँ? (प्रश्न-उत्तर)
प्रश्न :- लेखक के अनुसार प्रत्यक्ष अनुभव की अपेक्षा अनुभूति उनके लेखन में कहीं अधिक मदद करती है, क्यों?
उत्तर :- लेखक के अनुसार सच्चा लेखन भीतरी विवशता से पैदा होता है। यह विवशता मन के अंदर से उपजी अनुभूति से पैदा होती है। जब तक कवि का हृदय किसी अनुभव के कारण पूरी तरह संवेदित नहीं होता और उसमें अभिव्यक्त होने की पीड़ा नहीं अकुलाती, तब तक वह कुछ लिख नहीं पाता।
प्रश्न :- लेखक ने अपने आपको हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता कब और किस तरह महसूस किया?
उत्तर :- अपनी जापान यात्रा के दौरान लेखक ने एक पत्थर में मानव की उजली छाया देखी। विज्ञान का विद्यार्थी होने के कारण लेखक समझ गया कि विस्फोट के समय पत्थर के पास कोई व्यक्ति खड़ा होगा। विस्फोट से विसर्जित रेडियोधर्मी पदार्थ ने उस व्यक्ति को भाप बना दिया और पत्थर को झुलसा दिया। इस प्रत्यक्ष अनुभूति ने लेखक के हृदय को झकझोर दिया। इस प्रकार लेखक हिरोशिमा के विस्फोट का भोक्ता बन गया।
प्रश्न :- मैं क्यों लिखता हूँ? के आधार पर बताइए कि-
(क) लेखक को कौन-सी बातें लिखने के लिए प्रेरित करती हैं?
उत्तर :- लेखक की आंतरिक विवशता उसे लिखने के लिए प्रेरित करती है। लेखक विवशता को पहचान कर उसे लिख देता है और उससे मुक्त हो जाता है| ऐसा करने से वह अपनी विवशता को तटस्थ होकर देख और पहचान पाता है।
(ख) किसी रचनाकार के प्रेरणा स्रोत किसी दूसरे को कुछ भी रचने के लिए किस तरह उत्साहित कर सकते हैं?
उत्तर :- अनेक बार बाहरी दबाव ऐसे उत्प्रेरक की तरह काम करता है जो किसी लेखक को उसकी नई कृति रचने के लिए प्रोत्साहित करे। किसी दूसरे रचनाकार का प्रेरणा स्रोत ऐसे ही बाहरी दबाव का काम करता है।
प्रश्न :- कुछ रचनाकारों के लिए आत्मानुभूति/स्वयं के अनुभव के साथ-साथ बाह्य दबाव भी महत्त्वपूर्ण होता है। ये बाह्य दबाव कौन-कौन से हो सकते हैं?
उत्तर :- लेखक के अनुसार ये बाह्य दबाव कई हो सकते हैं जैसे -सामाजिक परिस्थितियाँ, संपादक का आग्रह, प्रकाशक का तकाजा, आर्थिक विवशता आदि।
प्रश्न :- क्या बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित करते हैं या अन्य क्षेत्रें से जुडे़ कलाकारों को भी प्रभावित करते हैं, कैसे ?
उत्तर :- बाह्य दबाव केवल लेखन से जुड़े रचनाकारों को ही प्रभावित नहीं करते हैं, बल्कि अन्य रचनाकारों को भी प्रभावित करते हैं। जैसे अभिनेता निर्देशक के आग्रह, निर्माता के तकाजे, धन कमाने के कारण काम करता है। कई मशहूर पेंटर कई बार किसी बड़ी हस्ती के आग्रह पर उसकी पेंटिंग बनाते हैं।
प्रश्न :- हिरोशिमा पर लिखी कविता लेखक के अंतः व बाह्य दोनों दबाव का परिणाम है यह आप कैसे कह सकते हैं?
उत्तर :- कवि ने हिरोशिमा के भयंकर रूप को देखा था और वहाँ के आहत लोगों को भी देखा था। उस दृश्य को देखकर लेखक के मन में उन लोगों के प्रति सहानुभूति तो उत्पन्न हुई होगी किन्तु उनकी व्यक्तिगत त्रासदी नहीं बनी। जब लेखक ने पत्थर पर मनुष्य की उस काली छाया को देखा तो उन्हें उनके हृदय से अणु बम के विस्फोट का प्रतिरूप त्रासदी बनकर समाने आया और वही त्रासदी जीवंत हुई और कविता के रूप में परिवर्तित हो गई।
प्रश्न :- हिरोशिमा की घटना विज्ञान का भयानकतम दुरुपयोग है। आपकी दृष्टि में विज्ञान का दुरुपयोग कहाँ-कहाँ और किस तरह से हो रहा है।
उत्तर :- विज्ञान ने दुरुपयोग के क्षेत्रों का विस्तार कर लिया है – जैसे
- लैब में कोरोना जैसे जैविक हथियार बनाना।
- भ्रूण हत्याओं का बढ़ता ग्राफ।
- खेतों में जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग।
- वायरस के द्वारा कंप्यूटर को हानि पहुँचना।
- आधुनिक हथियारों को आतंकवादियों द्वारा निर्दोषों की हत्या के लिए प्रयोग में लाना।
प्रश्न :- एक संवेदनशील युवा नागरिक की हैसियत से विज्ञान का दुरुपयोग रोकने में आपकी क्या भूमिका है?
उत्तर :-
- प्रदूषण फैलाने तथा बढ़ाने वाले उत्तरदायी कारकों के बारे में लोगों को जागरूक करना
- कन्या शिशु की भ्रूण-हत्या के बारे में आम जनता का जागरूक करने का प्रयास करना।
- टी0वी0 आदि पर प्रसारित अश्लील कार्यक्रमों का खुलकर विरोध करना।
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