JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL 0% Created by hindigyan कक्षा 12 HINDI MCQ PAPERS 1 1 / 40 1. अपठित गद्यांशअपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - मनुष्य किसलिए सजग रहा है? A. घर के सीमाओं की रक्षा के लिए B. गाँव की रक्षा के लिए। C. अपनी रक्षा के लिए। D. देश किस सीमाओं की रक्षा के लिए। 2 / 40 2. अपठित गद्यांश अपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - प्राचीन समय में किसके द्वारा युद्ध नहीं लड़ा जाता था? A. तलवार B. भाले C. मिसाइल D. धनुष बाण 3 / 40 3. अपठित गद्यांशअपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - रेडार का प्रयोग किस समय से शुरू हुआ? A. प्रथम विश्वयुद्ध से B. शीत युद्ध से C. 21वीं सदी के आरंभ से D. द्वितीय विश्वयुद्ध से 4 / 40 4. अपठित गद्यांशअपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - विज्ञान ने क्या कार्य किया है? A. मानव जीवन को विनाश की ओर ले गया है। B. लड़ाई को नया मोड़ दे दिया है। C. सभ्यताओं को पीछे ले गया है। D. मानव विकास के नए मार्ग बना दिए हैं। 5 / 40 5. अपठित गद्यांश अपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - युद्ध में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने से क्या हुआ? A. तीर, तलवारों, भालों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। B. मानव का स्थान बुद्धिजीवी प्राणियों ने ले लिया। C. मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने नहीं लिया। D. हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। 6 / 40 6. अपठित गद्यांश अपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - रेडार का विस्तारित रूप है- A. रोड़ डिटेक्शन एंड रेंजिंग B. रेडियो डिकटेशन एंड रेंजिंग C. रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग D. रिस्क डिटेक्शन एंड रेंजिंग 7 / 40 7. अपठित गद्यांश अपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - रेडार का क्या कार्य है? A. असीमित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात करना। B. केवल एक देश के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात करना। C. अनिश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात करना। D. निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात करना। 8 / 40 8. अपठित गद्यांश अपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - रेडार में कैसी तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है? A. अनुदैर्घ्य तरंगों। B. अनुप्रस्थ तरंगों। C. विद्युत चुंबकीय तरंगों। D. नाभिकीय तरंगों। 9 / 40 9. अपठित गद्यांश अपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - पद्यांश में आए शब्द 'परंतु', 'भी' व्याकरणिक दृष्टि से कैसे शब्द हैं? A. सर्वनाम शब्द। B. विशेषण शब्द। C. निपात शब्द। D. संज्ञा शब्द। 10 / 40 10. अपठित गद्यांश अपने देश की सीमाओं की दुश्मन से रक्षा करने के लिए मनुष्य सदैव सजग रहा है। प्राचीन काल में युद्ध क्षेत्र सीमित होता था तथा युद्ध धनुष-बाण, तलवार, भाले आदि द्वारा होता था, परंतु आज युद्धक्षेत्र सीमाबद्ध नहीं है। युद्ध में अंधविश्वास से हटकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है। आज विज्ञान ने लड़ाई को एक नया मोड़ दिया है। अब हाथी, ऊँट, घोड़ों का स्थान रेल, मोटरगाड़ियों और हवाई जहाजों ने ले लिया है। धनुष-बाण आदि का स्थान बंदूक व तोप की गोलियों और रॉकेट, मिसाइल, परमाणु तथा प्रक्षेपास्त्रों ने ले लिया है और उनके अनुसार राष्ट्र की सीमाओं के प्रहरियों में अंतर आया है।अब मानव प्रहरियों का स्थान बहुत हद तक यांत्रिक प्रहरियों ने ले लिया है जो मानव से कहीं अधिक सजग, त्रुटिहीन और क्षमतावान् हैं। आधुनिक प्रहरियों में रेडार, सौनार, लौरान, शौरान आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। यहाँ रेडार का वर्णन किया जाता है।रेडार का उपयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में प्रारंभ हुआ। ‘रेडार’ शब्द ‘रेडियो डिटेक्शन एंड रेंजिंग के प्रथम अक्षरों से बना है। इसका अर्थ यह भी है कि किसी भी रेडार से एक निश्चित क्षेत्र के अंदर ही वायुयान की स्थिति ज्ञात की जा सकती है। यदि जहाज उस ‘रेंज’ से बाहर है तो पता नहीं लगाया जा सकता। रेडार एक अति लाभदायक व महत्त्वपूर्ण प्रहरी है, जिसमें विद्युत चुंबकीय तरंगों की मदद से उड़ते हुए शत्रु के विमानों की सही स्थिति का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।प्रश्न - पद्यांश का उचित शीर्षक क्या हो सकता है? A. मानव और विज्ञान। B. हथियारों की दुनिया। C. युद्ध का बदलता स्वरूप। D. वैज्ञानिक चेतना और हम । 11 / 40 11. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - कवि किसे तूफानों की ओर पतवार घुमाने के लिए कहता है? A. प्रेमिका को B. मित्र को C. नाविक को D. स्वयं को 12 / 40 12. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - तूफानों की ओर पतवार घुमाने का क्या आशय है? A. मुसीबतों के सामने घुटने टेक देना। B. मुसीबतों को बुलाना। C. इनमें से कोई नहीं। D. मुसीबतों का सामना करना। 13 / 40 13. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - कवि के अनुसार ज्वार कहाँ-कहाँ उठा है? A. हृदय में B. सिंधु में C. नदी में D. हृदय और सिंधु में 14 / 40 14. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - कवि को कभी-कभी जीवन में क्या मिलता है? A. प्रेमी का प्यार B. तूफानों का प्यार C. प्रेमिका का प्यार D. प्रकृति का प्यार 15 / 40 15. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - अंतिम पंक्ति में कौन-सा अलंकार है? A. यमक B. उत्प्रेक्षा C. मानवीकरण D. अनुप्रास 16 / 40 16. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - 'इस अंधड में साहस तोलो' से कवि का क्या अभिप्राय है? A. विपरीत परिस्थिति में समानता की परीक्षा । B. विपरीत परिस्थिति में न्याय की परीक्षा । C. विपरीत परिस्थिति में वीरता की परीक्षा । D. इनमें से कोई नहीं। 17 / 40 17. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - निम्न में से कौन-सा शब्द 'विष' का पर्यायवाची नहीं है? A. जहर B. पीयूष C. हलाहल D. गरल 18 / 40 18. अपठित पद्यांशतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारआज सिन्धु ने विष उगला हैलहरों का यौवन मचला हैआज हृदय में और सिन्धु मेंसाथ उठा है ज्वारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारलहरों के स्वर में कुछ बोलोइस अंधड में साहस तोलोकभी-कभी मिलता जीवन मेंतूफानों का प्यारतूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवारप्रश्न - इस पद्यांश में कवि किसका परिचय नहीं देना चाहता? A. विश्वास B. संघर्ष C. भय D. साहस 19 / 40 19. निम्न में से कौन-सा कविता का मुख्य घटक या तत्व नहीं है? A. सहज सम्प्रेषण शक्ति B. अनुभव और कल्पना का समंजस्य C. भाव और विचार की अनुभूति D. घटना प्रधान विषय-वस्तु 20 / 40 20. बाह्य संवेदनाएँ किस स्तर पर बिंब के रूप में बदल जाती हैं। A. आत्मा के स्तर पर B. मन के स्तर पर C. मस्तिष्क के स्तर पर D. विचार के स्तर पर 21 / 40 21. 'कागद कारे' किस समाचार पत्र का स्तम्भ लेखन रहा है?"अपना मालवा : खाऊ उजाडू सभ्यता से ..." पाठ के आधार पर बताइए। A. हिंदुस्तान B. जनसत्ता C. नवभारत D. दैनिक जागरण 22 / 40 22. एंकर विजुअल किसे कहते हैं? A. घटना स्थल पर मौजूद संवाददाता घटना के विषय में बताना। B. घटना स्थल की तस्वीर के साथ घटना के बारे में दर्शको को बताना। 23 / 40 23. समाचार लेखन के किस भाग में क्या, कौन, कब, कहाँ के अनुसार खबर के बारे में बताया जाता है। A. इनमें से कोई नहीं B. इंट्रो C. बॉडी D. समापन 24 / 40 24. पठित काव्यांशजब हम सत्य को पुकारते हैंतो वह हमसे परे हटता जाता हैजैसे गुहारते हुए युधिष्ठिर के सामने सेभागे थे विदुर और भी घने जंगलों मेंसत्य शायद जानना चाहता हैकि उसके पीछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैंप्रश्न - कविता में युधिष्ठिर किसे पुकार रहे हैं? A. अर्जुन B. कृष्ण C. भीम D. विदुर 25 / 40 25. पठित काव्यांशजब हम सत्य को पुकारते हैंतो वह हमसे परे हटता जाता हैजैसे गुहारते हुए युधिष्ठिर के सामने सेभागे थे विदुर और भी घने जंगलों मेंसत्य शायद जानना चाहता हैकि उसके पीछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैंप्रश्न - कविता में युधिष्ठिर के पुकारने पर विदुर कहाँ भागे चले जाते हैं? A. पर्वत की ओर। B. वन की ओर। C. अपने घर की ओर। D. राज महल की ओर। 26 / 40 26. पठित काव्यांशजब हम सत्य को पुकारते हैंतो वह हमसे परे हटता जाता हैजैसे गुहारते हुए युधिष्ठिर के सामने सेभागे थे विदुर और भी घने जंगलों मेंसत्य शायद जानना चाहता हैकि उसके पीछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैंप्रश्न - इस काव्यांश के कवि का नाम क्या है? A. विष्णु खरे। B. रघुवीर सहाय। C. जयशंकर प्रसाद। D. केदारनाथ सिंह। 27 / 40 27. पठित काव्यांशजब हम सत्य को पुकारते हैंतो वह हमसे परे हटता जाता हैजैसे गुहारते हुए युधिष्ठिर के सामने सेभागे थे विदुर और भी घने जंगलों मेंसत्य शायद जानना चाहता हैकि उसके पीछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैंप्रश्न - इस काव्यांश किस कविता का अंश है? A. सत्य। B. तोड़ो। C. वसंत आया। D. एक कम। 28 / 40 28. पठित काव्यांशजब हम सत्य को पुकारते हैंतो वह हमसे परे हटता जाता हैजैसे गुहारते हुए युधिष्ठिर के सामने सेभागे थे विदुर और भी घने जंगलों मेंसत्य शायद जानना चाहता हैकि उसके पीछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैंप्रश्न - इस काव्यांश के अनुसार सत्य क्या जानना चाहता है? A. इनमें से कोई नहीं। B. कि हम सत्य का पीछा कब छोडते हैं। C. कि हम रास्ते में कब रुकते हैं। D. कि हम सत्य को जानने के लिए कितना संघर्ष कर सकते हैं। 29 / 40 29. पठित गद्यांशसंवाद सुनाते समय बड़ी बहुरिया सिसकने लगी। हरगोबिन की आँखें भी भर आईं।--- बड़ी हवेली की लक्ष्मी को पहली बार इस तरह सिसकते देखा है हरगोबिन ने। वह बोला, 'बड़ी बहुरिया, दिल को कड़ा कीजिए'।'और कितना कड़ा करूँ दिल?--- माँ से कहना, मैं भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी। बच्चाें की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं--- अब नहीं रह सकूँगी। ---कहना, यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जाएगी तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरुँगी।--- बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए--- किसके लिए?'हरगोबिन का रोम-रोम कलपने लगा। देवर-देवरानियाँ भी कितने बेदर्द हैं। ठीक अगहनी धान के समय बाल-बच्चों को लेकर शहर से आएँगे। दस-पंद्रह दिनों में कर्ज-उधार की ढेरी लगाकर, वापस जाते समय दो-दो मन के हिसाब से चावल-चूड़ा ले जाएँगे। फिर आम के मौसम में आकर हाजिर। कच्चा-पक्का आम तोड़कर बोरियों में बंद करके चले जाएँगे। फिर उलटकर कभी नहीं देखते---राक्षस हैं सब!प्रश्न - संवाद सुनाते समय बड़ी बहुरिया क्यों सिसकने लगी? A. संवाद की गंभीरता जताने के लिए। B. लोक-निंदा से बचने के लिए। C. अत्यधिक दुखी होने के कारण।] D. हरगोबिन की संवेदना प्राप्त करने के लिए 30 / 40 30. पठित गद्यांशसंवाद सुनाते समय बड़ी बहुरिया सिसकने लगी। हरगोबिन की आँखें भी भर आईं।--- बड़ी हवेली की लक्ष्मी को पहली बार इस तरह सिसकते देखा है हरगोबिन ने। वह बोला, 'बड़ी बहुरिया, दिल को कड़ा कीजिए'।'और कितना कड़ा करूँ दिल?--- माँ से कहना, मैं भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी। बच्चाें की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं--- अब नहीं रह सकूँगी। ---कहना, यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जाएगी तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरुँगी।--- बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए--- किसके लिए?'हरगोबिन का रोम-रोम कलपने लगा। देवर-देवरानियाँ भी कितने बेदर्द हैं। ठीक अगहनी धान के समय बाल-बच्चों को लेकर शहर से आएँगे। दस-पंद्रह दिनों में कर्ज-उधार की ढेरी लगाकर, वापस जाते समय दो-दो मन के हिसाब से चावल-चूड़ा ले जाएँगे। फिर आम के मौसम में आकर हाजिर। कच्चा-पक्का आम तोड़कर बोरियों में बंद करके चले जाएँगे। फिर उलटकर कभी नहीं देखते---राक्षस हैं सब!प्रश्न - 'आँखें भर आना' मुहावरे का अर्थ है- A. आँखों में कुछ लग जाना। B. आँख से आँसू आना। C. आँखों में दर्द होना। D. आँख से रक्त आना। 31 / 40 31. पठित गद्यांशसंवाद सुनाते समय बड़ी बहुरिया सिसकने लगी। हरगोबिन की आँखें भी भर आईं।--- बड़ी हवेली की लक्ष्मी को पहली बार इस तरह सिसकते देखा है हरगोबिन ने। वह बोला, 'बड़ी बहुरिया, दिल को कड़ा कीजिए'।'और कितना कड़ा करूँ दिल?--- माँ से कहना, मैं भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी। बच्चाें की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं--- अब नहीं रह सकूँगी। ---कहना, यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जाएगी तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरुँगी।--- बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए--- किसके लिए?'हरगोबिन का रोम-रोम कलपने लगा। देवर-देवरानियाँ भी कितने बेदर्द हैं। ठीक अगहनी धान के समय बाल-बच्चों को लेकर शहर से आएँगे। दस-पंद्रह दिनों में कर्ज-उधार की ढेरी लगाकर, वापस जाते समय दो-दो मन के हिसाब से चावल-चूड़ा ले जाएँगे। फिर आम के मौसम में आकर हाजिर। कच्चा-पक्का आम तोड़कर बोरियों में बंद करके चले जाएँगे। फिर उलटकर कभी नहीं देखते---राक्षस हैं सब!प्रश्न - बड़ी बहुरिया मायके संदेश क्यों भेजना चाहती है? A. ताकि माँ देवर-देवरानियों को समझा दे। B. ताकि माँ उसे अपने पास बुला ले। C. ताकि माँ कर्ज चुका दे। D. ताकि माँ घर खर्च भेज दे। 32 / 40 32. पठित गद्यांशसंवाद सुनाते समय बड़ी बहुरिया सिसकने लगी। हरगोबिन की आँखें भी भर आईं।--- बड़ी हवेली की लक्ष्मी को पहली बार इस तरह सिसकते देखा है हरगोबिन ने। वह बोला, 'बड़ी बहुरिया, दिल को कड़ा कीजिए'।'और कितना कड़ा करूँ दिल?--- माँ से कहना, मैं भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी। बच्चाें की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं--- अब नहीं रह सकूँगी। ---कहना, यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जाएगी तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरुँगी।--- बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए--- किसके लिए?'हरगोबिन का रोम-रोम कलपने लगा। देवर-देवरानियाँ भी कितने बेदर्द हैं। ठीक अगहनी धान के समय बाल-बच्चों को लेकर शहर से आएँगे। दस-पंद्रह दिनों में कर्ज-उधार की ढेरी लगाकर, वापस जाते समय दो-दो मन के हिसाब से चावल-चूड़ा ले जाएँगे। फिर आम के मौसम में आकर हाजिर। कच्चा-पक्का आम तोड़कर बोरियों में बंद करके चले जाएँगे। फिर उलटकर कभी नहीं देखते---राक्षस हैं सब!प्रश्न - हरगोबिन बड़ी बहुरिया के देवर-देवरानियों को क्या मानता है? A. राक्षस B. सभ्य C. भले D. मददगार 33 / 40 33. पठित गद्यांशसंवाद सुनाते समय बड़ी बहुरिया सिसकने लगी। हरगोबिन की आँखें भी भर आईं।--- बड़ी हवेली की लक्ष्मी को पहली बार इस तरह सिसकते देखा है हरगोबिन ने। वह बोला, 'बड़ी बहुरिया, दिल को कड़ा कीजिए'।'और कितना कड़ा करूँ दिल?--- माँ से कहना, मैं भाई-भाभियों की नौकरी करके पेट पालूँगी। बच्चाें की जूठन खाकर एक कोने में पड़ी रहूँगी, लेकिन यहाँ अब नहीं--- अब नहीं रह सकूँगी। ---कहना, यदि माँ मुझे यहाँ से नहीं ले जाएगी तो मैं किसी दिन गले में घड़ा बाँधकर पोखरे में डूब मरुँगी।--- बथुआ-साग खाकर कब तक जीऊँ? किसलिए--- किसके लिए?'हरगोबिन का रोम-रोम कलपने लगा। देवर-देवरानियाँ भी कितने बेदर्द हैं। ठीक अगहनी धान के समय बाल-बच्चों को लेकर शहर से आएँगे। दस-पंद्रह दिनों में कर्ज-उधार की ढेरी लगाकर, वापस जाते समय दो-दो मन के हिसाब से चावल-चूड़ा ले जाएँगे। फिर आम के मौसम में आकर हाजिर। कच्चा-पक्का आम तोड़कर बोरियों में बंद करके चले जाएँगे। फिर उलटकर कभी नहीं देखते---राक्षस हैं सब!प्रश्न - इस गद्यांश के लेखक कौन हैं? A. ब्रजमोहन व्यास B. चंद्रधर शर्मा गुलेरी C. फणीश्वरनाथ रेणु D. रामचन्द्र शुक्ल 34 / 40 34. बालक रामचन्द्र की साहित्य में रुचि बढ़ती गयी क्योंकि A. बाद में लेखक के घर में साहित्यिक वातावरण बन गया था। B. बचपन से ही लेखक को साहित्यिक वातावरण मिला। 35 / 40 35. ढेले चुन लो निबंध का मूल प्रतिपाद्य है - A. रूढ़िवादी सोच का बहिष्कार B. वैज्ञानिक दृष्टिकोण के अनुसार जीना C. ये सभी D. अंधविश्वास का खंडन 36 / 40 36. "सुमिरिनी के मनके" पाठ के आधार पर बताएँ -लेखक के अनुसार जिन धर्मों ने अपने जड़ रीति-रिवाजों को बदला वे सभी धर्म - A. समाप्त हो गए B. उन्नत हो गए C. पीछे हो गए D. इनमें से कोई नहीं 37 / 40 37. बालक के द्वारा इनाम में लड्डू माँगे जाने पर क्या हुआ?लेखक प्रसन्न हुआ।बालक के पिता को निराशा हुई।अध्यापक निराश हो गए। A. केवल 1 सही है। B. केवल 2 सही है। C. तीनों सहीं हैं। D. केवल 3 सही है। 38 / 40 38. 'सूरदास की झोपड़ी' कहानी प्रेमचंद के किस उपन्यास का अंश है? A. गोदान B. रंगभूमि C. कर्मभूमि D. निर्मला 39 / 40 39. तिरलोक सिंह क्यों आश्चर्यचकित रह गया? A. ये सभी B. रूप सिंह अचानक गाँव लौटा था। C. रूप सिंह पहाड़ पर चढ़ने की नौकरी करता है। D. सरकार रूप सिंह को पहाड़ चढ़ने के चार हजार रूपये देती है। 40 / 40 40. महीप अपने विषय में बात पूछे जाने पर क्यों टाल देता है? A. वह अभी बहुत छोटा है। B. वह शर्मीले स्वभाव का है। C. वह जान जाता है कि रूप सिंह उसका चाचा है। D. उसे अजनबियों से बात करना अच्छा नहीं लगता। Your score is LinkedIn Facebook Twitter VKontakte 0% Restart quiz PLEASE RATE THIS PAPER Send feedback JOIN WHATSAPP CHANNEL JOIN TELEGRAM CHANNEL 2023-08-26