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नादान दोस्त
लेखक : प्रेमचंद
शब्दार्थ :- कार्निस – दीवार के ऊपर का आगे बढ़ा हुआ भाग। सुध – ध्यान, जानकारी। फुर्सत – खाली समय। तसल्ली – सांत्वना। फुर्र से – शीघ्र। गर्व – अभिमान, घमंड। बगैर – बिना। पेंचीदा – मुश्किल। जिज्ञासा – जानने की इच्छा , उत्सुकता। अधीर- जिसमें धैर्य न हो ,उतावला। अनुमान- अंदाजा। आखिर – अंत। प्रस्ताव – सुझाव। स्वीकृत होना – मंजूर होना। चाव – शौक। आँख बचाकर – नजरों से बचकर। उधेड़बुन – सोच विचार। आखिरकार – अंत में। हल करना – सुलझाना। सूराख – छेद। हिकमत – उपाय, युक्ति। बहलाना – खुश करना। हिफाजत – रक्षा। वक्त – समय। दबी आवाज से – धीरे से। वरना – नहीं तो। चिथड़े – फटे हुए पुराने कपड़े। आहिस्ता से – धीरे-धीरे। चटनी कर डालना – खूब पीटना। किवाड़ – दरवाजा। मोहब्बत – प्यार , प्रेम। कसूर – दोष, अपराध। हिस्सेदार – भागीदार, साथी। वजह – कारण । यकायक – एकदम, सहसा, अचानक। ताकना – देखना। संयोग से – यकायक, सहसा, अचानक से। उल्टे पांव दौड़ना – देखते ही दौड़ पड़ना। चेहरे का रंग उड़ना – घबरा जाना। सहमी हुई – घबराई हुई। उजला – साफ़। सोटी – डंडा या छड़ी। तरस – दया। भीगी बिल्ली बना – डरा हुआ। थामना – सहारा देना ,पकड़ना। सूरत – शक्ल। अफसोस – दुख। हिफाजत – सुरक्षा। जोग – प्रयास ,कोशिश, युक्ति। सत्यानाश – पूर्ण नाश , बहुत हानि।
पाठ का सार
‘नादान दोस्त’ प्रेमचंद जी द्वारा लिखित बाल कहानी है। इस कहानी में प्रेमचंद ने केशव और उसकी बहन श्यामा के माध्यम से बाल सुलभ मासूमियत, नादानी और पक्षियों के प्रति उनकी उत्सुकता का वर्णन किया है। केशव और उसकी बहन श्यामा अपने घर पर कार्निस के ऊपर पड़े अंडों को बड़े ध्यान से देखकर आनंदित होते। अंडों को लेकर उनके दिल में तरह-तरह के सवाल उठते थे। अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? घोंसला कैसा होगा? अण्डों के बारे में दोनों बच्चों की जिज्ञासा दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी। उन्होंने बच्चों के लिए दाना-पानी जुटाने के लिए चावल रख दिए, पत्थर की प्याली को साफ कर उसमें पानी भार दिया। कूड़ा फेंकने वाली टोकरी के सूराख में थोड़ा सा कागज ठूँसकर उसे एक टहनी से टिका कर घोंसले के लिए छत तैयार कर दी। केशव ने देखा वहाँ तीन अंडे थे। श्यामा भी देखना चाहती थी लेकिन केशव ने मना कर दिया। केशव ने श्यामा से कपड़ा मंगाकर उससे एक गद्दी बनाई और तीनों अण्डों को उस पर रख दिया। टोकरी को एक टहनी से टिका दिया। श्यामा ने केशव से गिड़गिड़ा कर कहा कि उसे भी ऊपर चढ़ाकर अंडे दिखा दे लेकिन केशव को डर था कि यदि श्यामा गिर गई तो अम्मा खूब पीटेगी इसलिए केशव ने उससे कहा कि तू उन्हें देख कर क्या करेगी? अंडे आराम से हैं. दोनों चिड़ियाँ बार-बार कार्निस पर आती थीं और बिना बैठे ही उड़ जाती थीं। केशव ने सोचा कि उनके डर से चिड़ियाँ वहाँ नहीं बैठतीं। इस कारण केशव ने स्टूल उठाकर कमरे में रख दिया और चौकी भी वहाँ से ले गया। इसी बीच माँ की नींद खुल गई .उसने केशव और श्यामा से पूछा कि तुम दोनों बाहर कब निकले? किवाड़ किसने खोला था? दरवाजा केशव ने खोला था पर श्यामा ने माँ को यह नहीं बताया। माँ ने दोनों को डाँट- डपट कर फिर कमरे में बंद कर दिया। चार बजे अचानक श्यामा की नींद खुली। वह दौड़ी हुई कार्निस के पास आई . अचानक से उसकी नजर नीचे गई जहाँ अंडे गिरे पड़े थे। वह बोली – बच्चे उड़ गए हैं ! केशव घबराकर बाहर आया। पानी की प्याली भी एक तरफ टूटी पड़ी थी। यह देख वह घबरा गया उसने श्यामा से कहा कि अंडे फूट गए हैं। अंडों में से उजला-उजला पानी निकल आया है। उसी पानी से दो-चार दिन में बच्चे बन जाते। माँ ने छड़ी हाथ में लिए हुए कहा – धूप में क्या कर रहे हो? श्यामा ने कहा – अम्मा जी चिड़िया के अंडे टूटे पड़े हैं। माँ ने गुस्से में कहा कि तुमने उन्हें छुआ होगा। श्यामा ने कहा कि भैया ने उन्हें इस तरह रख दिया कि वे नीचे गिर पड़े. माँ ने केशव से कहा कि छूने से चिड़िया के अंडे गंदे हो जाते हैं। चिड़िया फिर उन्हें नहीं सेती (पालती ) है। केशव द्वारा अंडों को कपड़े की गद्दी पर रखने की बात सुनकर माँ को हँसी आ गई। केशव को अपनी गलती पर बहुत अफसोस हुआ। उसने अंडों की हिफाजत करते-करते उनका सत्यानाश कर डाला था।
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प्रश्न-अभ्यास
कहानी से
प्रश्न :- केशव और श्यामा के मन में अंडों को देखकर तरह-तरह के सवाल क्यों उठते थे?
उत्तर :- केशव और श्यामा छोटे बच्चे थे। उनके मन में जिज्ञासा थी। इसलिए अंडों को देखकर उनके मन में अनेक प्रश्न उठते थे।
प्रश्न :- अंडों के बारे में दोनाें आपस ही में सवाल-जवाब करके अपने दिल को तसल्ली क्यों दे दिया करते थे?
उत्तर :- केशव और श्यामा की माता जी घर के कामों में बहुत व्यस्त रहती थीं और उनके पिता के पास पढ़ाई-लिखाई का कार्य हुआ करता था। उन दोनों के सवालों का जवाब देने के लिए कोई नहीं रहा था इसलिए वे स्वयं ही एक दूसरे के सवालों का जवाब देकर तसल्ली दे दिया करते थे।
प्रश्न :- अंडों के टूट जाने के बाद माँ के यह पूछने पर कि-‘तुम लोगों ने अंडों को छुआ होगा।’ के जवाब में श्यामा ने क्या कहा और उसने ऐसा क्यों किया?
उत्तर – श्यामा ने अपनी माँ को सच बता दिया कि केशव ने ही अंडों को छुआ था। उसने ऐसा डर के मारे किया होगा।
प्रश्न :- पाठ के आधार पर बताओ कि अंडे गंदे क्यों हुए और उन अंडों का क्या हुआ?
उत्तर :- केशव और श्यामा ने चिड़िया के अंडों की रक्षा करने के लिए उनके नीचे चिथड़े लगा दिए थे। केशव द्वारा छूने से अंडे गंदे हो गई, जिनको चिड़िया ने दुबारा नहीं सेया और उन अंडों को घोंसले से गिरा दिया। बच्चों की नादानी की वजह से अंडे बर्बाद हो गए।
प्रश्न :- सही उत्तर क्या है?
अंडों की देखभाल के लिए केशव और श्यामा धीरे से बाहर निकले क्योंकि-
(क) वे माँ की नींद नहीं तोड़ना चाहते थे।
(ख) माँ नहीं चाहती थीं कि वे चिड़ियों की देखभाल करें।
(ग) माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
उत्तर :- माँ नहीं चाहती थीं कि वे बाहर धूप में घूमें।
प्रश्न :- केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए किन तीन बातों का ध्यान रखा?
उत्तर :- केशव और श्यामा ने चिड़िया और अंडों की देखभाल के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा:-
- केशव और श्यामा ने उनके लिए कपड़े का चिथड़ा बिछाया, जिससे उन्हें आरामदायक घोंसला दिया जा सके।
- धूप से बचाने के लिए अंडों के सिर पर एक टोकरी लगा दी।
- उनके दाना-पानी के लिए चावल के दाने व प्याली का इंतजाम किया।
प्रश्न :- कार्निस पर अंडों को देखकर केशव और श्यामा के मन में जो कल्पनाएँ आईं और उन्होंने चोरी-चुपके जो कुछ कार्य किए, क्या वे उचित थे? तर्क सहित उत्तर लिखो।
उत्तर :- बच्चों द्वारा नादानी में अंडों की रक्षा के लिए किए गए कार्य उचित कहे जा सकते हैं। वे अपने बालपन के कारण उन जानकारियों से अनजान थे। उन्हें इस बात का ज्ञान नहीं था कि चिड़िया छुए अंडों को दुबारा नहीं सेती। अगर उन्हें इस बात का पता होता तो वो इस तरह की गलती कभी नहीं करते।
प्रश्न :- पाठ से मालूम करो कि माँ को हँसी क्यों आई? तुम्हारी समझ से माँ को क्या करना चाहिए था?
उत्तर :- माँ ने जब बच्चों से अंडों के टूटने का कारण पूछा तो बच्चों ने बड़ी मासूमयित से कहा कि आरामदायक घोंसला देने के लिए उन्होंने अंडों को चिथड़ों के ऊपर रख दिया था। बच्चों की नादानी सुनकर माँ का गुस्सा हँसी में बदल गया।
कहानी से आगे
प्रश्न :- पाठ में चिड़ियों की चर्चा है। तुम पेड़-पौधों और अन्य जीव-जंतुओं के बारे में जानकारी इकट्ठी करो। तुम्हारे आसपास जो मौजूद हों उसके साथ तुम्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसे लिखो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में क्या-क्या अनुमान लगाए? यदि उस जगह तुम होते तो क्या अनुमान लगाते और क्या करते?
उत्तर :- केशव और श्यामा ने अंडों के बारे में अनुमान लगाए –
- अंडे कितने बड़े होंगे?
- किस रंग के होंगे?
- घोंसला कैसा होगा?
छात्र अपने अनुमान स्वयं लिखें।
प्रश्न :- माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर क्यों निकल आए? माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण क्यों नहीं बताया?
उत्तर :- माँ के सोते ही केशव और श्यामा दोपहर में बाहर चिड़िया के अंडो की देखभाल के लिए निकल आए।
माँ के पूछने पर भी दोनों में से किसी ने किवाड़ खोलकर दोपहर में बाहर निकलने का कारण इसलिए नहीं बताया क्योंकि अगर माँ को उनकी हरकत का पता चल जाता तो उनकी पिटाई होती।
प्रश्न :- प्रेमचंद ने इस कहानी का नाम ‘नादान दोस्त’ रखा। तुम इसे क्या शीर्षक देना चाहोगे?
उत्तर :- ये कहानी उन नादान बच्चों की है हमारे अनुसार इस कहानी का नाम “नादान बचपन” या “नादान बच्चे” हो सकता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- इस पाठ में गर्मी के दिनों की चर्चा है। अगर सर्दी या बरसात के दिन होते तो क्या-क्या होता? अनुमान करो और अपने साथियों को सुनाओ।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :-पाठ पढ़कर मालूम करो कि दोनों चिड़ियाँ वहाँ फिर क्यों न दिखाई दीं? वे कहाँ गई होंगी? इस पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर बातचीत करो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न :- अनजाने में हुई गलती पर केशव को कई दिनों तक अफ़सोस होता रहा। दोबारा उससे कोई ऐसी गलती न हो इसके लिए तुम उसे क्या सुझाव दे सकते हो, इसे लिखो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
4- प्रश्न :-किसी नई चीज, जगह या बात पर कौतूहल महसूस हुआ है? ऐसे किसी अनुभव का वर्णन करो और बताओ कि ऐसे में तुम्हारे मन में क्या-क्या सवाल उठे?
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न :- श्यामा माँ से बोली मैंने आपकी बातचीत सुन ली है। ऊपर दिए उदाहरण में मैंने का प्रयोग ‘श्यामा’ के लिए और आपकी का प्रयोग ‘माँ’ के लिए हो रहा है। जब सर्वनाम का प्रयोग कहने वाले, सुनने वाले या किसी तीसरे के लिए हो, तो उसे पुरुषवाचक सर्वनाम कहते हैं। नीचे दिए गए वाक्यों में तीनों प्रकार के पुरुषवाचक सर्वनामों के नीचे रेखा खींचो-
उत्तर :-
एक दिन दीपू और नीलू यमुना तट पर बैठे शाम की ठंडी हवा का आनंद ले रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक लंबा आदमी लड़खड़ाता हुआ उनकी ओर चला आ रहा है। पास आकर उसने बड़े दयनीय स्वर में कहा, ‘‘मैं भूख से मरा जा रहा हूँ। क्या आप मुझे कुछ खाने को दे सकते हैं?’’
- उत्तम पुरूषवाचक सर्वनाम− मैं, मुझे
- मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम − आप
- अन्य पुरूषवाचक सर्वनाम − उन्होंने, उनकी, उसने
प्रश्न :- तगड़े बच्चे मसालेदार सब्जी बड़ा अंडा इसमें रेखांकित शब्द क्रमशः बच्चे, सब्जी और अंडा की विशेषता यानी गुण बता रहे हैं इसलिए ऐसे विशेषणों को गुणवाचक विशेषण कहते हैं। इसमें व्यक्ति या वस्तु के अच्छे-बुरे हर तरह के गुण आते हैं। तुम चार गुणवाचक विशेषण लिखो और उनसे वाक्य बनाओ।
उत्तर :- गुण वाचक विशेषण :-
(i) | सफ़ेद | ये सफ़ेद फूल किसने तोड़ा? |
(ii) | पतला | वह पतला लड़का है। |
(iii) | मोटा | मोटे बच्चे नटखट होते हैं। |
(iv) | जंगली | जंगली जानवर बहुत खतरनाक होते हैं। |
प्रश्न :- नीचे कुछ प्रश्नवाचक वाक्य दिए गए हैं, उन्हें बिना प्रश्नवाचक वाक्य के रूप में बदलो- अंडे कितने बड़े होंगे? किस रंग के होंगे? कितने होगें? क्या खाते होंगे? उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे? बच्चों के पर कैसे निकलेंगे? घोंसला कैसा है?
उत्तर :-
- अंडे कितने बड़े होंगे? —— अंडे बड़े होंगे।
- किस रंग के होंगे? ——– उनका रंग बताओ।
- कितने होगें? ———- उनकी संख्या बताओ।
- क्या खाते होंगे? ———-उनका खाना बताओ।
- उनमें से बच्चे किस तरह निकल आएँगे? ——– उनमें से बच्चे निकल आएँगे।
- बच्चों के पर कैसे निकलेंगे? ——- बच्चों के परों के बारे में बताओ।
- घोंसला कैसा है? ————घोंसले के बारे में बताओ।
प्रश्न :- (क) केशव ने झुँझलाकर कहा—
(ख) केशव रोनी सूरत बनाकर बोला—
(ग) केशव घबराकर उठा—
(घ) केशव ने टोकरी को एक टहनी से टिकाकर कहा—
(घ) श्यामा ने गिड़गिड़ाकर कहा—
ऊपर लिखे वाक्यों में रेखांकित शब्दों को ध्यान से देखो। ये शब्द रीतिवाचक क्रियाविशेषण का काम कर रहे हैं क्योंकि ये बताते हैं कि कहने, बोलने और उठने की क्रिया कैसे हुई। ‘कर’ वाले शब्दों के क्रियाविशेषण होने की एक पहचान यह भी है कि ये अकसर क्रिया से ठीक पहले आते हैं। अब तुम भी इन पाँच क्रियाविशेषणों का वाक्यों में प्रयोग करो।
उत्तर :-
झुँझलाकर | देव ने झुँझलाकर बैट फेंक दिया। |
बनाकर | शिवांशु ने चित्रकारी बनाकर दी। |
घबराकर | अभिनव ने घबराकर झूठ बोल दिया। |
टिकाकर | प्रिया ने डंडा टिकाकर रख दिया। |
गिड़ागिड़ाकर | राहुल ने गिड़गिड़ाकर अपनी बारी माँगी। |
प्रश्न :- नीचे प्रेमचंद की कहानी ‘सत्याग्रह’ का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ-
उत्तर –
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे, चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले! खोमचेवाला – “कहिए क्या दूँ?” “भूख लग आई न, अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं मोटेराम।” अबे क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं? चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जरा अपनी कुप्पी मुझे दे, देखूँ तो वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।
कुछ करने को
प्रश्न – गर्मियों या सर्दियों में जब तुम्हारी लंबी छुट्टियाँ होती हैं, तो तुम्हारा दिन कैसे बीतता है? अपनी बुआ या किसी और को एक पोस्टकार्ड पर पत्र लिखकर बताओ।
उत्तर – छात्र स्वयं करें।
क्विज / टेस्ट
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