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पार नज़र के
जयंत विष्णु नार्लीकर
शब्दार्थ :- सिक्योरिटी – सुरक्षा। चंद – कुछ। चुनिंदा – चुना हुआ। मौका – अवसर।संदेहास्पद – संदेहपूर्ण। खैरियत – कुशल। हरकत – हिलना-डोलना। वफ़द – आकार, देह की ऊँचाई-लंबाई। माहौल – वातावरण, परिस्थिति। मुमकिन – संभव।
किस्म – प्रकार। सतर्कता – सावधानी। शिफ़्ट – पारी। मंशा – इच्छा। अडिग – स्थिर। यान – वाहन। अवलोकन – निरीक्षण। प्रबंध – व्यवस्था। गिर्द – आसपास। खाक – धूल, मिट्टी, राख। गलतफ़हमी – गलत समझना। दरख्वास्त – निवेदन, अर्जी। उकेरना – खोद कर उठाना। सहसा – अचानक। दुरुस्त – ठीक।
पाठ का सार
जयंत विष्णु नार्लीकर इस पाठ के माध्यम से मंगल ग्रह के निवासियों की भावनाहों को व्यक्त करते हैं। कहानी में छोटू नमक एक बच्चा अपने पिता के काम करने की जगह पर जाने की जिज्ञासा रखता है। माता उसे माना करती है। वह कहती है कि चंद चुनिंदा लोग ही इस सुरंगनुमा रास्ते का इस्तेमाल कर सकते हैं और छोटू के पापा इन्हीं चुनिंदा लोगों में से एक हैं। एक दिन छोटू के पापा घर ही पर आराम फ़रमा रहे थे। नजर बचाकर, चोरी-छुपे छोटू ने पापा का सिक्योरिटी-पास हथिया ही लिया और चल दिया सुरंग की तरफ़। वैसे तो उनकी पूरी कालोनी ही जमीन के नीचे बसी थी। यह जो सुरंगनुमा रास्ता था-अंदर दीये जल रहे थे और प्रवेश करने से पहले एक बंद दरवाजे का सामना करना पड़ता था। दरवाजे में एक खाँचा बना हुआ था। छोटू ने खाँचे में कार्ड डाला, तुरंत दरवाजा खुल गया। छोटू ने सुरंग में प्रवेश किया। छोटू ने चारों तरफ़ नजर दौड़ाई। सुरंग में जगह-जगह लगाए निरीक्षक यंत्र ने तुरंत छोटू की तसवीर खींच ली। किसी एक नियंत्रण केंद्र में इस तसवीर की जाँच की गई और खतरे की सूचना दी गई। तभी सिपाही छोटू को पकड़कर वापस घर छोड़ आए। घर पर माँ छोटू का इंतजार कर रही थी। पापा ने छोटू को बचा लिया। बोले, ‘‘छोटू, मैं जहाँ काम करता हूँ न, वह क्षेत्र जमीन से ऊपर है। आम आदमी वहाँ नहीं जा सकता, क्योंकि वहाँ के माहौल में जी ही नहीं सकता।’’ ‘‘तो फिर आप कैसे जाते हैं वहाँ?’’ छोटू का सवाल लाजिमी था। ‘‘मैं वहाँ एक खास किस्म का स्पेस-सूट पहनकर जाता हूँ। इस स्पेस-सूट से मुझे ऑक्सीजन मिलता है, जिससे मैं साँस ले सकता हूँ। इसी स्पेस-सूट की वजह से बाहर की ठंड से मैं अपने आपको बचा सकता हूँ। खास किस्म के जूतों की वजह से जमीन के ऊपर मेरा चलना मुमकिन होता है। जमीन के ऊपर चलने-फिरने के लिए हमें एक विशेष प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है। सूरज से हमें रोशनी मिलती है, ऊष्णता मिलती है। इन्हीं तत्वों से जीवों का पोषण होता है। सूरज में परिवर्तन होते ही यहाँ का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया। प्रकृति के बदले हुए रूप का सामना करने में यहाँ के पशु-पक्षी, पेड़-पौधे अन्य जीव अक्षम साबित हुए। केवल हमारे पूर्वजों ने इस स्थिति का सामना किया। अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर हमने जमीन के नीचे अपना घर बना लिया। जमीन के ऊपर लगे विभिन्न यंत्रों के सहारे हम सूर्य-शक्ति, सूरज की रोशनी और गर्मी का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। उन्हीं यंत्रों के सहारे हम यहाँ जमीन के नीचे जी रहे हैं। यंत्र सुचारू रूप से चलते रहें, इसके लिए बड़ी सतर्कता बरतनी पड़ती है। मुझ जैसे कुछ चुनिंदा लोग इन्हीं यंत्रों का ध्यान रखते है। ‘‘बड़ा हो जाऊँगा तो मैं भी यही काम करूँगा।’’ छोटू ने अपनी मंशा जाहिर की। दूसरे दिन छोटू के पापा काम पर चले गए। देखा तो कंट्रोल रूम का वातावरण बदला-बदला-सा था। शिफ़्ट खत्म कर घर जा रहे स्टाफ़ के प्रमुख ने टी-वी- स्क्रीन की तरफ़ इशारा किया। स्क्रीन पर एक बिंदु झलक रहा था। वह बताने लगा, ‘‘यह कोई आसमान का तारा नहीं है, क्योंकि कंप्यूटर से पता चल रहा है कि यह अपनी जगह अडिग नहीं रहा है। पिछले कुछ घंटों के दौरान इसने अपनी जगह बदली है। वफ़ंप्यूटर के अनुसार यह हमारी धरती की तरफ़ बढ़ता चला आ रहा है।’’ ‘‘अंतरिक्ष यान तो नहीं है?’’ छोटू के पापा ने अपना संदेह प्रकट किया। ‘‘संदेह हमें भी है। आप अब इस पर बराबर ध्यान रखिएगा।’’ छोटू के पापा सोच में डूब गए। क्या सचमुच अंतरिक्ष यान होगा? कहाँ से आ रहा होगा? सौर मंडल में हमारी धरती के अलावा और कौन से ग्रह पर जीवों का अस्तित्व होगा? कैसे हो सकता है? और अगर होगा भी तो क्या इतनी प्रगति कर चुका होगा कि अंतरिक्ष यान छोड़ सके?— वैसे तो हमारे पूर्वजों ने भी अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों का प्रयोग किया था। मगर अब हमारे लिए यह असंभव है। उसके लिए आवश्यक मात्र में ऊर्जा तो हो! काश! इस नए मेहमान को नजदीक से देखा जा सकता! हाँ अगर वह इसी तरफ़ आ रहा होगा, तब तो यह संभव हो सकेगा। देखें। — अब अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। हर पल उसकी लंबाई बढ़ती ही जा रही थी — छोटू के पापा ने अवलोकन जारी रखा। कालोनी की प्रबंध समिति की सभा बुलाई गई थी। अध्यक्ष भाषण दे रहे थे, ‘‘हाल ही में मिली जानकारी से पता चलता है कि दो अंतरिक्ष यान हमारे मंगल ग्रह की तरफ़ बढ़ते चले आ रहे हैं। इनमें से एक अंतरिक्ष यान हमारे गिर्द चक्कर काट रहा है। वफ़ंप्यूटर के अनुसार ये अंतरिक्ष यान नजदीक के ही किसी ग्रह से छोड़े गए हैं। ऐसी हालत में हमें क्या करना चाहिए-इसकी कोई सुनिश्चित योजना बनानी जरूरी है। नंबर एक आपका क्या खयाल है?’’ कालोनी की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी नंबर एक पर थी। उन्होंने कुछ कागज समेटते हुए बोलना आरंभ किया, ‘‘इन दोनों अंतरिक्ष यानों को जलाकर खाक कर देने की क्षमता हम रखते हैं, मगर इससे हमें कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकेगी। अंतरिक्ष यान बेकार कर जमीन पर उतरने पर मजबूर कर देने वाले यंत्र हमारे पास नहीं हैं। हालाँकि, अगर ये अंतरिक्ष यान खुद-ब-खुद जमीन पर उतरते हैं, तो उन्हें बेकार कर देने की क्षमता हममें अवश्य है। मेरी जानकारी के अनुसार इन अंतरिक्ष यानों में सिर्फ यंत्र हैं। किसी तरह के जीव इनमें सवार नहीं हैं।’’ ‘‘नंबर एक की बात सही लगती है।’’ नबंर दो एक वैज्ञानिक थे। वे बोले, ‘‘हालाँकि यंत्रें को बेकार कर देने में भी खतरा है। इनके बेकार होते ही दूसरे ग्रह के लोग हमारे बारे में जान जाएँगे। इसलिए मेरी राय में हमें सिर्फ अवलोकन करते रहना चाहिए।’’ ‘‘जहाँ तक हो सके हमें अपने अस्तित्व को छिपाए ही रखना चाहिए, क्योंकि हो सकता है जिन लोगों ने अंतरिक्ष यान भेजे हैं, वे कल को इनसे भी बड़े सक्षम अंतरिक्ष यान भेजें। हमें यहाँ का प्रबंध कुछ इस तरह रखना चाहिए जिससे इन यंत्रें को यह गलतफ़हमी हो कि इस जमीन पर कोई भी चीज इतनी महत्वपूर्ण नहीं है कि जिससे वे लाभ उठा सकें। अध्यक्ष महोदय से मैं यह दरख्वास्त करता हूँ कि इस तरह का प्रबंध हमारे यहाँ किया जाए।’’ नंबर तीन सामाजिक व्यवस्था का काम देखते थे। उनकी बात के जवाब में अध्यक्ष कुछ बोलने जा ही रहे थे कि प़्ाफ़ोन की घंटी बजी। अध्यक्ष ने चोंगा उठाया, एक मिनट बाद सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भाइयो, अंतरिक्ष यान क्रमांक एक हमारी जमीन पर उतर चुका है।’’ वह दिन छोटू के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण दिन था। पापा उसे कंट्रोल रूम ले गए थे। यहाँ से अंतरिक्ष यान क्रमांक एक साफ़ नजर आ रहा था। ‘‘कैसा अजीब लग रहा है यहाँ! इसके अंदर क्या होगा पापा?’’ छोटू ने पूछा। ‘‘अभी नहीं बताया जा सकता। दूर से ही उसका निरीक्षण जारी है। उस पर बराबर हमारा ध्यान है और उसके हर अंग पर हमारा नियंत्रण है। वक्त आने पर ही हम अगला कदम उठाएँगे,’’ छोटू के पापा ने बताया। उन्होंने छोटू को एक कॉन्सोल दिखाया, जिस पर कई बटन थे। अब अंतरिक्ष यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। हर पल उसकी लंबाई बढ़ती ही जा रही थी। वह शायद जमीन तक पहुँचकर मिट्टी उकेर लेना चाहता था। सब लोग स्क्रीन पर दिखाई दे रही अंतरिक्ष यान की इस हरकत को ध्यान से देख रहे थे – सिवा एक के, उसका ध्यान कहीं और ही था। छोटू का सारा ध्यान था कॉन्सोल पैनेल पर। कॉन्सोल का एक बटन दबाने की अपनी इच्छा को वह रोक नहीं पाया। वह लाल-लाल बटन उसे बरबस अपनी तरफ़ खींच रहा था।—-और सहसा खतरे की घंटी बजी। सबकी निगाहें कॉन्सोल की तरफ़ मुड़ीं। पापा ने छोटू को अपनी तरफ खींचते हुए एक झापड़ रसीद कर दिया और लाल बटन को पूर्व स्थिति में ला रखा। मगर उस तरफ़ अब अंतरिक्ष यान के उस यांत्रिक हाथ की हरकत सहसा रुक गई थी। यंत्र बेकार हो गया था। उधर पृथ्वी पर नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा)
द्वारा प्रस्तुत वक्तव्य ने सबका ध्यान अपनी तरप़्ाफ़ आकर्षित कर लिया- ‘‘मंगल की धरती पर उतरा हुआ अंतरिक्ष यान वाइविफ़ंग अपना निर्धारित कार्य कर रहा है। हालाँकि किसी अज्ञात कारणवश अंतरिक्ष यान का यांत्रिक हाथ बेकार हो गया है। नासा के तकनीशियन इस बारे में जाँच कर रहे हैं तथा इस यांत्रिक हाथ को दुरुस्त करने के प्रयास भी जारी हैं—’’इसके कुछ ही दिनों बाद पृथ्वी के सभी प्रमुख अखबारों ने छापा- ‘‘नासा के तकनीशियनों को रिमोट वफ़ंट्रोल के सहारे वाइकिंग को दुरुस्त करने में सफलता मिली है। यांत्रिक हाथ ने अब मंगल की मिट्टी के विभिन्न नमूने इकट्ठे करने का काम आरंभ कर दिया है—’’ पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल की इस मि‘ी का अध्ययन करने के लिए बड़े उत्सुक थे। उन्हें उम्मीद थी कि इस मिट्टी के अध्ययन से इस बात का पता लगाया जा सकेगा कि क्या मंगल ग्रह पर भी पृथ्वी की ही तरह जीव सृष्टि का अस्तित्व है। यह प्रश्न आज भी एक रहस्य है।
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प्रश्न-अभ्यास
कहानी से
प्रश्न:- छोटू का परिवार कहाँ रहता था?
उत्तर:- छोटू का परिवार मंगल ग्रह पर ज़मीन के नीचे बनी एक कॉलोनी में रहता था।
प्रश्न:- छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत क्यों नहीं थी? पाठ के आधार पर लिखो।
उत्तर:- सुरक्षा कारणों की वजह से इस सुरंग में केवल ऐसा व्यक्ति जा सकता था जिसके पास सिक्योरिटी पास हो। सुरंग में लगे यंत्रों की देखभाल का काम करने वाले लोग जा पाते थे। इसलिए छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत नहीं थी।
प्रश्न:- कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या देखा और वहाँ उसने क्या हरकत की?
उत्तर:- कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने अंतरिक्ष यान क्रमांक-एक देखा। उस यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकल रहा था। हर पल उसकी लंबाई बढ़ती जा रही थी। छोटू का पूरा ध्यान कॉन्सोल-पैनल पर था जिस पर कई बटन लगे हुए थे। उसने उसका लाल बटन दबा दिया। बटन दबते ही खतरे ही घंटी बज उठी। अपनी इस गलती पर उसने अपने पिता से एक थप्पड़ भी खाया क्योंकि उसके बटन दबाने से अंतरिक्ष यान की क्रमांक-एक का यांत्रिक हाथ बेकार हो गया।
प्रश्न:- इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था। वह सब नष्ट कैसे हो गया? इसे लिखो।
उत्तर:- एक समय था जब लोग मंगल ग्रह पर जमीन के ऊपर रहते थे, वे बिना किसी तरह के यंत्रों की मदद के, बिना किसी खास किस्म के पोशाक के रहते थे लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। इससे मंगल की धरती पर रहने वाले कई प्रकार के जीव धीरे-धीरे एक के बाद एक मरने लगे। इस परिवर्तन का कारण सूर्य में आया परिवर्तन था। सूर्य में परिवर्तन होते ही प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया।
प्रश्न:- कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों?
उत्तर:- इस कहानी में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक संस्था नासा–जिसका पूरा नाम “नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA)” है ने भेजा था। इस यान का नाम वाइकिंग था। नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह की मिट्टी का अध्ययन करने और मंगल ग्रह पर जीवन का अस्तित्व पता लगाने के उद्देश्य से अंतरिक्ष यान भेजा था।
प्रश्न:- नंबर एक, नंबर दो और नंबर तीन अजनबी से निबटने के कौन से तरीके सुझाते हैं और क्यों?
उत्तर:- नंबर एक का कहना था कि इस अजनबी यान में केवल यंत्र हैं। हम इसको स्पेस में खत्म करने की क्षमता रखते हैं, मगर इससे फिर कोई जानकारी हासिल नहीं होगी। ज़मीन पर उतरने को मजबूर करने के लिए यंत्र हमारे पास नहीं हैं। यदि वह खुद व खुद ज़मीन पर उतर जाए तो हम इसे बेकार करने की क्षमता रखते हैं।
नंबर दो वैज्ञानिक ने उन यानों को बेकार न करने का सुझाव दिया। उनका विचार था कि उन्हें बेकार कर देने से दूसरे ग्रह के लोग हमारे बारे में जान जाएँगे। जिन लोगों ने ये अंतरिक्ष यान भेजे हैं, वे भविष्य में इनसे भी बढ़िया अंतरिक्ष यान यहाँ भेजेंगे।
सामाजिक व्यवस्था का काम देखने वाले नंबर तीन ने कहा – “जहाँ तक हो सके हमें अपने अस्तित्व को छिपाए ही रखना चाहिए, क्योंकि हो सकता है जिन लोगों ने अंतरिक्ष यान भेजे हैं, वे कल को इनसे भी बड़े सक्षम अंतरिक्ष यान भेजें। हमें यहाँ का प्रबंध कुछ इस तरह रखना चाहिए जिससे इन यंत्रें को यह गलतप़्ाफ़हमी हो कि इस जमीन पर कोई भी चीज इतनी महत्वपूर्ण नहीं है कि जिससे वे लाभ उठा सकें। अध्यक्ष महोदय से मैं यह दरख्वास्त करता हूँ कि इस तरह का प्रबंध हमारे यहाँ किया जाए।’’
कहानी से आगे
प्रश्न:- (क) दिलीप एम- साल्वी (ख) जयंत विष्णु नार्लीकर (ग) आइजक ऐसीमोव (घ) आर्थर क्लार्क
ऊपर दिए गए लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ इकट्ठी करके पढ़ो और एक-दूसरे को सुनाओ। इन कहानियों में कल्पना क्या है और सच क्या है, इसे समझने की कोशिश करो। कुछ ऐसी कहानियाँ छाँटकर निकालो, जो आगे चलकर सच साबित हुई हैं।
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न:- इस पाठ में अंतरिक्ष यान अजनबी बनकर आता है। ‘अजनबी’ शब्द पर सोचो। इंसान भी कई बार अजनबी माने जाते हैं और कोई जगह या शहर भी। क्या तुम्हारी मुलाकात ऐसे किसी अजनबी से हुई है? नए स्कूल का पहला अनुभव कैसा था? क्या उसे भी अजनबी कहोगे? अगर हाँ तो ‘अजनबीपन’ दूर कैसे हुआ? इस पर सोचकर कुछ लिखो।
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- यह कहानी जमीन के अंदर की जिंदगी का पता देती है। जमीन के ऊपर मंगल ग्रह पर सब कुछ कैसा होगा, इसकी कल्पना करो और लिखो।
उत्तर :- ज़मीन के ऊपर मंगल ग्रह पर जन-जीवन सामान्य नहीं होगा। न तो कोई पेड़-पौधा होगा न पीने के पानी का स्रोत। मंगल ग्रह पर जिधर भी देखें उधर ही पठारी भूमि, रेगिस्तान और मिट्टी के पहाड़ होंगे, प्राणवायु की कमी होगी, ठंड बहुत अधिक होगी। वहाँ किसी प्रकार का जीवन नहीं होगा।
प्रश्न:- मान लो कि तुम छोटू हो और यह कहानी किसी को सुना रहे हो तो कैसे सुनाओगे। सोचो और ‘मैं’ शैली में यह कहानी सुनाओ।
उत्तर:- छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न – ‘वार्तालाप’ शब्द वार्ता+आलाप के योग से बना है। यहाँ वार्ता के अंत का ‘आ’ और ‘आलाप’ के आरंभ का ‘आ’ मिलने से जो परिवर्तन हुआ है, उसे संधि कहते हैं। नीचे लिखे कुछ शब्दों में किन शब्दों की संधि है-
उत्तर –
शिष्टाचार = शिष्ट + आचार
श्रद्धांजलि = श्रद्धा + अंजलि
दिनांक = दिन + अंक
उत्तरांचल = उत्तर + अंचल
सूर्यास्त = सूर्य + अस्त
अल्पाहार = अल्प + आहार
प्रश्न:- सिक्योरिटी-पास उठाते ही दरवाजा बंद हो गया। यह बात हम इस तरीके से भी कह सकते हैं- जैसे ही कार्ड उठाया, दरवाजा बंद हो गया। ध्यान दो, दोनों वाक्यों में क्या अंतर है। ऐसे वाक्यों के तीन जोड़े तुम स्वयं सोचकर लिखो।
उत्तर:-
- वर्षा शुरू होते ही बिजली चली गई।
⇒ जैसे ही वर्षा शुरू हुई, बिजली चली गई। - स्टेशन पर पहुँचते ही ट्रेन निकल गई।
⇒ जैसे ही स्टेशन पर पहुँचे, ट्रेन निकल गई। - घर पहुँचते ही बिजली चली गई।
⇒ जैसे ही घर पहुँचा, बिजली चली गई।
प्रश्न:- छोटू ने चारों तरफ़ नजर दौड़ाई। छोटू ने चारों तरफ़ देखा। उपर्युक्त वाक्यों में समानता होते हुए भी अंतर है। वाक्यों में मुहावरे विशिष्ट अर्थ देते हैं। नीचे दिए गए वाक्यांशों में ‘नजर’ के साथ अलग-अलग क्रियाओं का प्रयोग हुआ है। इनका वाक्यों या उचित संदर्भों में प्रयोग करो- नजर पड़ना, नजर रखना, नजर आना, नजरें नीची होना।
उत्तर:-
नजर पड़ना – चोर पर नजर पड़ते ही वह गायब हो गया।
नजर रखना – कक्षा में शरारती छात्रों पर नजर रखनी पड़ती है।
नजर आना – परीक्षा के दिनों में पढ़ने वाले छात्र कम ही नजर आते हैं।
नजरें नीची होना – उसका झूठ पकड़े जाने पर पूरे परिवार की नजरे नीची हो गई।
प्रश्न:- नीचे दो-दो शब्दों की कड़ी दी गई है। प्रत्येक कड़ी का एक शब्द संज्ञा है और
दूसरा शब्द विशेषण है। वाक्य बनाकर समझो और बताओ कि इनमें से कौन-से शब्द संज्ञा हैं और कौन-से विशेषण। आकर्षक आकर्षण प्रभाव प्रभावशाली प्रेरणा प्रेरक।
उत्तर:-
- आकर्षक (विशेषण) – यह बगीचा बहुत आकर्षक है।
- आकर्षण (संज्ञा) – इस बगीचे में बहुत आकर्षण है।
- प्रभाव (संज्ञा) – नेताजी का क्षेत्र में बहुत प्रभाव है।
- प्रभावशाली (विशेषण) – नेताजी क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्ति है।
- प्रेरणा (संज्ञा) – बुद्ध की कथाएँ हमें प्रेरणा देती हैं।
- प्रेरक (विशेषण) – बुद्ध की कथाएँ प्रेरक है।
- प्रतिभाशाली (विशेषण) – वह प्रतिभाशाली छात्र है।
- प्रतिभा (संज्ञा) – छात्र को अपनी प्रतिभा निखारनी चाहिए।
प्रश्न:- पाठ से फ़ और ज़ वाले (नुक्ते वाले) चार-चार शब्द छाँटकर लिखो। इस सूची में तीन-तीन शब्द अपनी ओर से भी जोड़ो।
उत्तर:-
तरफ़, फ़रमा, सफ़र, स्टाफ़ – फ़ालतू, फ़ौरन, फ़िदा।
रोज़, रोज़ाना, नज़र, इंतज़ार – ज़मीन, ज़्यादा, ज़िक्र।
क्विज/टेस्ट
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