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वह चिड़िया जो (कविता)
कवि : केदारनाथ अग्रवाल
वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्न से बहुत प्यार है।
शब्दार्थ :- जुंडी – ज्वार की बाली। रुचि – इच्छा। संतोषी – जिसके मन में अधिक पाने की इच्छा न हो।
भावार्थ :- प्रस्तुत पक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल एक नीले पंखों वाली छोटी चिड़िया का उल्लेख करते हैं कि वह दूध से भरे ज्वार के दानों को बहुत ही रुचि से और रस लेकर खाती है। यह चिड़िया बहुत ही संतोषी है तथा उसे अन्न से बहुत प्यार है।
कवि इन पंक्तियों के माध्यम से स्वयं के संतोषी होने तथा अन्न के महत्त्व के बारे में बता रहे हैं।
वह चिड़िया जो-
कंठ खोल कर
बूढ़े वन-बाबा की खातिर
रस उँडेल कर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्यार है।
शब्दार्थ :- कंठ – गला। बूढ़े वन-बाबा – पुराना घना वन। विजन – जंगल।
भावार्थ :- प्रस्तुत पक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल नन्हीं चिड़िया का उल्लेख करते हैं कि वह पुराने घने वन और उसके वृक्षों के लिए अपने मीठे कंठ से मधुर स्वर में गीत गाती है। इस नन्ही चिड़िया को उस वन से भी बहुत प्यार है जिसमें वह रहती है तथा उसे एकांत में रहना पसंद है तथा वह प्रकृति के साथ इस गीत का अकेले में आनंद लेना चाहती है।
इन पंक्तियों में कवि मनुष्य को प्रकृति से प्रेम के विषय में बता रहे हैं।
वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्यार है।
शब्दार्थ :- चढ़ी नदी- जल से भरी। दिल टटोलकर- बीच से। जल का मोती- पानी की बूँदें। गरबीली- गर्व करने वाली।
भावार्थ :- प्रस्तुत पक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल नीले पंखों वाली साहसी चिड़िया का उल्लेख करते हैं कि यह उफनती हुई नदी के ऊपर से जल रूपी मोती ले आती है अर्थात जल से अपनी प्यास बुझा लेती है। यह चिड़िया अत्यंत साहसी और गर्व से भरी हुई है। यह चिड़िया नदी और उसके जल से भी बहुत प्यार करती है।
यहाँ पर कवि मनुष्य के साहस के गुणों के बारे में बता रहे हैं।
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प्रश्न-अभ्यास
कविता से
प्रश्न :- कविता पढ़कर तुम्हारे मन में चिड़िया का जो चित्र उभरता है उस चित्र को कागज पर बनाओ।
उत्तर :- कविता पढ़कर हमारे मन में निम्नलिखित चित्र उभरते हैं-
- वह नीले पंखोंवाली सुंदर चिड़िया है।
- वह जंगल में गाती है।
- वह बहती नदी का पानी पीती है।
- उसका आकार छोटा है।
- वह गर्व से भरी हुई है।
प्रश्न :- तुम्हें कविता को कोई और शीर्षक देना हो तो क्या शीर्षक देना चाहोगे? उपयुक्त शीर्षक सोच कर लिखो।
उत्तर :- छोटी-सी चिड़िया।
प्रश्न :- इस कविता के आधार पर बताओ कि चिड़िया को किन-किन चीजों से प्यार है?
उत्तर :- कविता के आधार पर कह सकते हैं कि
- चिड़िया को दूध भरे अनाज के दानों से प्यार है।
- चिड़िया को नदी से प्यार है।
- चिड़िया को जंगल से प्यार है।
प्रश्न :- कवि ने चिड़िया को छोटी, संतोषी, मुँह बोली और गरबीली चिड़िया क्यों कहा है?
उत्तर :- कवि ने चिड़िया को छोटी, संतोषी, मुँह बोली और गरबीली चिड़िया इसलिए कहा है क्योंकि अनाज के खेत, जंगल और नदी के मुक़ाबले में उसका आकार बहुत छोटा है, उसे अधिक अनाज का लालच नहीं है, वह दिल खोलकर गाती है और वह साहसपूर्वक नदी से पानी पी लेती है।
प्रश्न :- आशय स्पष्ट करो-
(क) रस उँडेल कर गा लेती है
उत्तर :- प्रस्तुत पक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल नन्हीं चिड़िया का उल्लेख करते हैं कि वह पुराने घने वन और उसके वृक्षों के लिए अपने मीठे कंठ से मधुर स्वर में गीत गाती है।
(ख) चढ़ी नदी का दिल टटोलकर जल का मोती ले जाती है
उत्तर :- प्रस्तुत पक्तियों में कवि केदारनाथ अग्रवाल नीले पंखों वाली साहसी चिड़िया का उल्लेख करते हैं कि यह उफनती हुई नदी के ऊपर से जल रूपी मोती ले आती है अर्थात जल से अपनी प्यास बुझा लेती है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न :- कवि ने नीली चिड़िया का नाम नहीं बताया है। वह कौन-सी चिड़िया रही होगी? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए भारत की चिड़ियों के बारे में सबसे अधिक जानकारी रखने वाले पक्षी-विज्ञानी सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ देखो। उसमें ऐसे सभी पक्षियों का विस्तार से वर्णन है जो हमारे देश में पाए जाते हैं। इनमें ऐसे पक्षी भी शामिल हैं जो जाड़े में एशिया के उत्तरी भाग और अन्य ठंडे देशों से भारत आते हैं। सालिम अली की पुस्तक देखकर तुम अनुमान लगा सकते हो कि इस कविता में वर्णित नीली चिड़िया शायद इनमें से कोई एक रही होगी:
नीलकंठ , छोटा किलकिला, कबूतर, बड़ा पतरिंगा
उत्तर :- इस कविता में जिस चिड़िया का उल्लेख है वह शायद नीलकंठ रही होगी, क्योंकि उसका शरीर अधिकतर नीला, आकार छोटा तथा आवाज़ मीठी होती है।
प्रश्न :-नीचे पक्षियों के कुछ नाम दिए गए हैं। उनमें यदि कोई पक्षी एक से अधिक रंग का है तो लिखो कि उसके किस हिस्से का रंग कैसा है ? जैसे तोते की चोंच लाल है, शरीर हरा है। मैना कौआ बतख कबूतर
उत्तर :-
- मैना- मैना के पंख भूरे व सफ़ेद रंग के होते हैं। उनकी टाँगें हलकी लाल होती हैं।
- कौआ- कौआ का पूरा शरीर काला होता है।
- बतख- बतख सफ़ेद रंग की होती है और पैर हल्के गुलाबी रंग के होते हैं।
- कबूतर- कबूतर का रंग स्लेटी सफ़ेद होता है। गर्दन कुछ-कुछ नीले रंग की होती है। इसकी टाँगे लाल होती हैं।
प्रश्न :- कविता का हर बंध ‘वह चिड़िया जो’ से शुरू होता है और ‘मुझे— बहुत प्यार है’ पर खत्म होता है। तुम भी दी गईं इन पंक्तियों का अपनी कल्पना से प्रयोग करते हुए कविता में कुछ नए बंध जोड़ो।
उत्तर :- छात्र स्वयं करें।
भाषा की बात
प्रश्न :- पंखों वाली चिड़िया नीले पंखों वाली चिड़िया
ऊपर वाली दराज सबसे ऊपर वाली दराज
यहाँ रेखांकित शब्द विशेषण का काम कर रहे हैं। अगले पृष्ठ पर ‘वाला/वाली’ जोड़कर बनने वाले कुछ और विशेषण दिए गए हैं। ऊपर दिए गए उदाहरणों की तरह इनके आगे एक-एक विशेषण और जोड़ो-
उत्तर :-
सुनहरे मोरों वाला बाग
हरे-भरे पेड़ों वाला घर
खुशबूदार फ़ूलों वाली क्यारी
सफ़ेद खादी वाला कुर्ता
छोटा रोने वाला बच्चा
लंबी मूँछों वाला आदमी
प्रश्न :- वह चिड़िया———-जुंडी के दाने रुचि से———-खा लेती है। वह चिड़िया———-रस उँडेल कर गा लेती है।
कविता की इन पंक्तियों में मोटे छापे वाले शब्दों को ध्यान से पढ़ो। पहले वाक्य में ‘रुचि से’ खाने के ढंग की और दूसरे वाक्य में ‘रस उँडेल कर’ गाने के ढंग की विशेषता बता रहे हैं। अतः ये दोनों क्रिया-विशेषण हैं। नीचे दिए वाक्यों में कार्य के ढंग या रीति से संबंधित क्रिया-विशेषण छाँटो-
(क) सोनाली जल्दी-जल्दी मुँह में लड्डू ठूँसने लगी।
क्रिया-विशेषण :- जल्दी-जल्दी
(ख) गेंद लुढ़कती हुई झाड़ियों में चली गई।
क्रिया-विशेषण :- लुढ़कती हुई
(ग) भूकंप के बाद मुजफ्ऱ फ़राबाद की जिंदगी धीरे-धीरे सामान्य होने लगी।
क्रिया-विशेषण :- धीरे-धीरे
(घ) कोई सफ़ेद-सी चीज धप्प से आँगन में गिरी।
क्रिया-विशेषण :- धप्प से
(घ) इबोबी फ़ुर्ती से चोर पर झपटा।
क्रिया-विशेषण :- फ़ुर्ती
(च) तेजिंदर सहमकर कोने में बैठ गया।
क्रिया-विशेषण :- सहमकर
(छ) यह पत्र मिलते ही फ़ौरन घर चली आओ।
क्रिया-विशेषण :- फ़ौरन
(ज) आज अचानक ठंड बढ़ गई है।
क्रिया-विशेषण :- अचानक
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