कक्षा 6 » संसार एक पुस्तक है (पत्र)

संसार एक पुस्तक है

जवाहरलाल नेहरू

शब्दार्थ :- अकसर – प्रायः। दामन – पहाड़ के नीचे की जमीन। खत – पत्र, चिट्ठी। आबाद – बसा हुआ। गढ़ना – निर्माण करना। शर्त – प्रतिज्ञा, वह बात जिसपर किसी बात का होना, किया जाना, कायम रहना निर्भर हो। खुरदरा – जिसकी सतह चिकनी न हो। दरिया – नदी।

पाठ का सार

जवाहरलाल नेहरू (14 नवम्बर 1889-27 मई 1964) आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे। बच्चों से उन्हें बेहद लगाव था। वे ‘चाचा नेहरू’ के नाम से जाने
जाते हैं। उनकी बेटी इंदिरा जब 10 वर्ष की थीं, नेहरू जी ने उन्हें अनेक चिट्ठियाँ लिखीं। इनमें बताया गया है कि पृथ्वी की शुरुआत कैसे हुई और मनुष्य ने अपने आप को कैसे धीरे-धीरे समझा-पहचाना। ये चिट्ठियाँ बच्चों में अपने आस-पास
की दुनिया के बारे में सोचने-समझने और जानने की उत्सुकता पैदा करती हैं। नेहरू जी को अपने देश के बारे में बोलने-बताने में विशेष आनंद आता था। ये सभी चिट्ठियाँ ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ पुस्तक में संकलित हैं। ‘संसार पुस्तक है’ इसी पुस्तक से साभार लिया गया है। खास बात यह है कि ये पत्र नेहरू जी ने अंग्रेजी में लिखे थे और इनका हिदी में अनुवाद हिदी के मशहूर उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने किया है।

जवाहरलाल नेहरू इंदिरा को संबोधित करते हुए लिखते हैं कि जब तुम मेरे साथ रहती हो तो अकसर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो और मैं उनका जवाब देने की कोशिश करता हूँ। लेकिन अब, जब तुम मसूरी में हो और मैं इलाहाबाद में, हम दोनों उस तरह बातचीत नहीं कर सकते। इसलिए मैंने इरादा  किया है कि कभी-कभी तुम्हें इस दुनिया की और उन छोटे-बड़े देशों की जो इस दुनिया में हैं, छोटी-छोटी कथाएँ लिखा करूँ। तुमने हिदुस्तान और इंग्लैंड का कुछ हाल इतिहास में पढ़ा है। अगर तुम्हें इस दुनिया का कुछ हाल जानने का शौक है, तो तुम्हें सब देशों का और उन सब जातियों का जो इसमें बसी हुई हैं, ध्यान रखना पड़ेगा, केवल उस एक छोटे-से देश का नहीं जिसमें तुम पैदा हुई हो। मुझे मालूम है कि इन छोटे-छोटे खतों में बहुत थोड़ी-सी बातें ही बतला सकता हूँ। लेकिन मुझे आशा है कि इन थोड़ी-सी बातों को भी तुम शौक से पढ़ोगी और समझोगी कि दुनिया एक है और दूसरे लोग जो इसमें आबाद हैं हमारे भाई-बहन हैं। यह तो तुम जानती ही हो कि यह धरती लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है और बहुत दिनों तक इसमें कोई आदमी न था। आदमियों से पहले सिर्फ जानवर थे। आज जब यह दुनिया हर तरह के जानवरों और आदमियों से भरी हुई है। लेकिन पुराने जमाने में तो आदमी पैदा ही न हुआ था, किताबें कौन लिखता? तब हमें उस जमाने की बातें कैसे मालूम हों? यह तो नहीं हो सकता कि हम बैठे-बैठे हर एक बात सोच निकालें। लेकिन खुशी की बात है कि उस पुराने जमाने की लिखी हुई किताबें न होने पर भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे हमें उतनी ही बातें मालूम होती हैं जितनी किसी किताब से होतीं। ये पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियाँ, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियाँ और इसी तरह की और भी कितनी ही चीजें हैं, जिनसे हमें दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है। मुझे आशा है कि पत्थरों और पहाड़ों को पढ़कर तुम थोड़े ही दिनों में उनका हाल जानना सीख जाओगी। सोचो, कितनी मजे की बात है। एक छोटा-सा रोड़ा जिसे तुम सड़क पर या पहाड़ के नीचे पड़ा हुआ देखती हो, शायद संसार की पुस्तक का छोटा-सा पृष्ठ हो। शर्त यही है कि तुम्हें उसे पढ़ना आता हो। तुम्हें प्रकृति के अक्षर पढ़ने पड़ेंगे, तभी तुम उसकी कहानी उसके पत्थरों और चट्टानों की किताब से पढ़ सकोगी। शायद अब भी तुम उसे थोड़ा-थोड़ा पढ़ना जानती हो। जब तुम कोई छोटा-सा गोल चमकीला रोड़ा देखती हो, तो क्या वह तुम्हें कुछ नहीं बतलाता? यह कैसे गोल, चिकना और चमकीला हो गया और उसके खुरदरे किनारे या कोने क्या हुए? अगर तुम किसी बड़ी चट्टान को तोड़कर टुकड़े-टुकड़े कर डालो तो हर एक टुकड़ा खुरदरा और नोकीला होगा। यह गोल चिकने रोड़े की तरह बिलकुल नहीं होता। फिर यह रोड़ा कैसे इतना चमकीला, चिकना और गोल हो गया? अगर तुम्हारी आँखें देखें और कान सुनें तो तुम उसी के मुँह से उसकी कहानी सुन सकती हो। वह तुमसे कहेगा कि एक समय, जिसे शायद बहुत दिन गुजरे हों, वह भी एक चट्टान का टुकड़ा था। ठीक उसी टुकड़े की तरह, उसमें किनारे और कोने थे, जिसे तुम बड़ी चट्टान से तोड़ती हो। शायद वह किसी पहाड़ के दामन में पड़ा रहा। तब पानी आया और उसेबहाकर छोटी घाटी तक ले गया। वहाँ से एक पहाड़ी नाले ने ढकेलकर उसे एक छोटे-से दरिया में पहुँचा दिया। इस छोटे-से दरिया से वह बड़े दरिया में पहुँचा। इस बीच वह दरिया के पेंदे में लुढ़कता रहा, उसके किनारे घिस गए और वह चिकना और चमकदार हो गया। इस तरह वह कंकड़ बना जो तुम्हारे सामने है। किसी वजह से दरिया उसे छोड़ गया औरतुम उसे पा गईं। अगर दरिया उसे और आगे ले जाता तो वह छोटा होते-होते अंत में बालू का एक जर्रा हो जाता और समुद्र के किनारे अपने भाइयों से जा मिलता, जहाँ एक सुंदर बालू का किनारा बन जाता, जिस पर छोटे-छोटे बच्चे खेलते और बालू के घरौंदे बनाते। अगर एक छोटा-सा रोड़ा तुम्हें इतनी बातें बता सकता है, तो पहाड़ों और दूसरी चीजों से, जो हमारे चारों तरफ़ हैं, हमें और कितनी बातें मालूम हो सकती हैं।

 

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संसार एक पुस्तक है

प्रश्न-अभ्यास

पत्र से

प्रश्न:- लेखक ने ‘प्रकृति के अक्षर’ किन्हें कहा है?

उत्तर:- लेखक ने प्राकृतिक चीजों जैसे पेड़-पौधों, पत्थरों, नदियों, जंगलों, हड्डियों, पहाड़ों आदि  को प्रकृति के अक्षर कहा है।

प्रश्न:- लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती कैसी थी?

उत्तर:- लेखक के अनुसार लाखों-करोड़ों वर्ष पहले हमारी धरती बहुत गर्म थी। इस पर कोई जीव जीवित नहीं रह सकता था।

प्रश्न:- दुनिया का पुराना हाल किन चीजों से जाना जाता है? उनके कुछ नाम लिखो।

उत्तर:-  दुनिया का पुराना हाल प्राकृतिक चीजों जैसे पहाड़, समुद्र, नदियाँ, जंगल के जानवरों की पुरानी हड्डियों, पत्थर के टुकड़ों से जाना जाता है।

प्रश्न:- गोल चमकीला रोड़ा अपनी क्या कहानी बताता है?

उत्तर:- गोल चमकीला रोड़ा पहले ऐसा नहीं था। पहले वह चट्टान का टूटा हुआ नोकीला खुरदरा टुकड़ा था। बारिश के पानी में बहकर वह छोटी घाटी तक आया। पानी के साथ निरंतर ढकेले जाने के कारण उसके कोण घिसकर गोल और चमकदार बन गए।

प्रश्न:- गोल चमकीले रोड़े को यदि दरिया और आगे ले जाता तो क्या होता? विस्तार से उत्तर लिखो।

उत्तर:- अगर दरिया गोल चमकीले रोड़े को और आगे ले जाता तो वह छोटा होते-होते अंत में बालू का एक जर्रा हो जाता और समुद्र के किनारे अपने भाइयों से जा मिलता, जहाँ एक सुंदर बालू का किनारा बन जाता, जिस पर छोटे-छोटे बच्चे खेलते और बालू के घरौंदे बनाते।

प्रश्न:-नेहरू जी ने इस बात का हलका-सा संकेत दिया है कि दुनिया कैसे शुरू हुई होगी। उन्होंने क्या बताया है? पाठ के आधार पर लिखो।

उत्तर:- नेहरू जी बताते हैं कि पृथ्वी लाखों-करोड़ों वर्ष पुरानी है। उस समय पृथ्वी बहुत गरम थी। इस पर कोई जानदार चीज़ नहीं रह सकती थी। पहले यहाँ न कोई आदमी था, न जानवर। करोड़ों वर्षों में धरती ठंडी हुई। धीरे-धीरे वनस्पतियाँ पैदा होने लगीं। फिर छोटे-छोटे जीव-जंतु पैदा हुए और फिर मनुष्य। इस तरह दुनिया की शुरुआत हुई।

पत्र से आगे

प्रश्न:- लगभग हर जगह दुनिया की शुरुआत को समझाती हुई कहानियाँ प्रचलित हैं। तुम्हारे यहाँ कौन सी कहानी प्रचलित है?

उत्तर:- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न:- तुम्हारी पसंदीदा किताब कौन सी है और क्यों?

उत्तर:-  छात्र स्वयं करें।

प्रश्न:-मसूरी और इलाहाबाद शहर भारत के कौन से प्रदेश / प्रदेशों में हैं?

उत्तर:- मसूरी उत्तराखंड में है और इलाहाबाद उत्तर प्रदेश का शहर है।

प्रश्न:- तुम जानते हो कि दो पत्थरों को रगड़कर आदि मानव ने आग की खोज की थी। उस युग में पत्थरों का और क्या-क्या उपयोग होता था?

उत्तर:- आदि मानव पत्थरों का इस्तेमाल आग जलाने के अलावा निम्न रूप में भी किया –

  • मकान बनाने के लिए,
  • हथियार व औजारों के रूप में
  • जानवरों का शिकार करने के लिए
  • मांस काटने
  • चमड़ा या वृक्ष की छाल छीलने के लिए

अनुमान और कल्पना

हर चीज़ के निर्माण की एक कहानी होती है, जैसे मकान के निर्माण की कहानी-कुरसी, गद्दे, रजाई के निर्माण की कहानी हो सकती है। इसी तरह वायुयान, साइकिल अथवा अन्य किसी यंत्र के निर्माण की कहानी भी होती है। कल्पना करो यदि रसगुल्ला अपने निर्माण की कहानी सुनाने लगे कि पहले दूध था, उसे दूध से छेना बनाया गया, उसे गोल आकार दिया गया। चीनी की चाशनी में डालकर पकाया गया। फिर उसका नाम पड़ा रसगुल्ला।

तुम भी किसी चीज़ के निर्माण की कहानी लिख सकते हो, इसके लिए तुम्हें अनुमान और कल्पना के साथ उस चीज़ के बारे में कुछ जानकारी एकत्र करनी होगी।

उत्तर- छात्र स्वयं करें। 

भाषा की बात

प्रश्न:- ‘इस बीच वह दरिया में लुढ़कता रहा।’ नीचे लिखी क्रियाएँ पढ़ो। क्या इनमें और ‘लुढ़कना’ में तुम्हें कोई समानता नजर आती है?

ढकेलना, सरकना, खिसकना

इन चारों क्रियाओं का अंतर समझाने के लिए इनसे वाक्य बनाओ।

उत्तर:-

लुढ़कना – दवा की शीशी लुढ़क गई।

ढकेलना – एक बच्चे ने दूसरे को छत से ढकेल दिया।

गिरना – पानी का मटका गिर गया।

खिसकना – रेल में यात्री खिसककर बैठ गए।

प्रश्न:- चमकीला रोड़ा- यहाँ रेखांकित विशेषण ‘चमक’ संज्ञा में ‘ईला’ प्रत्यय जोड़ने पर बना है। निम्नलिखित शब्दों में यही प्रत्यय जोड़कर विशेषण बनाओ और इनके साथ उपयुक्त संज्ञाएँ लिखो-

उत्तर – 

पत्थर – पथरीला रास्ता

काँटा – कंटीला फूल।

रस – रसीला फल।

जहर – जहरीला साँप।

प्रश्न :- ‘जब तुम मेरे साथ रहती हो, तो अक्सर मुझसे बहुत-सी बातें पूछा करती हो।’ यह वाक्य दो वाक्यों को मिलाकर बना है। इन दोनों वाक्यों को जोड़ने का काम जब – तो (तब) कर रहे हैं, इसलिए इन्हें योजक कहते हैं।

योजक के रूप में कभी कोई बदलाव नहीं आता, इसलिए ये अव्यय का एक प्रकार होते हैं।

नीचे वाक्यों को जोड़ने वाले कुछ और अव्यय दिए गए हैं। उन्हें रिक्त स्थानों में लिखो। इन शब्दों से तुम भी एक-एक वाक्य बनाओ-

बल्कि / इसलिए / परंतु / कि / यदि / तो / नकि / या / ताकि

उत्तर – 

(क) कृष्णन फ़िल्म देखना चाहता है परंतु मैं मेले में जाना चाहती हूँ।
(ख) मुनिया ने सपना देखा कि वह चंद्रमा पर बैठी है।
(ग) छुट्टियों में हम सब या तो दुर्गापुर जाएँगे या जालंधर।
(घ) सब्जी कटवा कर रखना ताकि घर आते ही मैं खाना बना लूँ।
(घ) यदि मुझे पता होता कि शमीम बुरा मान जाएगा तो मैं यह बात न कहता।
(च) मालती ने तुम्हारी शिकायत नहीं बल्कि तारीफ़ ही की थी।
(छ) इस वर्ष फ़सल अच्छी नहीं हुई है इसलिए अनाज महँगा है।
(ज) विमल जर्मन सीख रहा है नकि फ़्रेंच।


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