कक्षा 7 » एक तिनका (कविता)

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एक तिनका
(कविता का अर्थ)

मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ,
एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा।
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा।

शब्दार्थ :- ऐंठा – अकड़ा। मुंडेरे – छत का किनारा। तिनका – सूखी घास का टुकड़ा। 

भावार्थ :- अयोध्या सिह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा लिखित ‘एक तिनका’ कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि एक दिन कवि मुंडेरे परबैठकर स्वयं पर घमंड कर रहा था। वह स्वयं को सबसे बड़ा समझ रहा था। तभी अचानक हवा के एक झोंके से उड़कर एक तिनका उसकी आँख में आकर पड़ गया। 

मैं झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा,
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूँठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।

शब्दार्थ :- बेचैन – परेशान। दबे पाँव भागना –  चुपके से चले जाना।

भावार्थ :- अयोध्या सिह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा लिखित ‘एक तिनका’ कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि आँख में तिनका पड़ते ही उसको बहुत दर्द हुआ। उससे अपनी बेचैनी सही नहीं जा रही थी। दर्द की अधिकता से उसकी आँखें भी लाल हो उठीं। तब वह विवश होकर अपने आस-पास के लोगों से सहायता की याचना करने लगा। लोगों ने कपड़े के मूँठ की सहायता से उसकी आँख से तिनका निकालने का प्रयास किया। तब उसने पाया कि वह अन्य लोगों की सहायता के बिना अपनी रक्षा करने में असमर्थ है। यह अनुभव होते ही उसका घमंड दूर हो गया।

जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

शब्दार्थ :- ढब – उपाय।

भावार्थ :- अयोध्या सिह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा लिखित ‘एक तिनका’ कविता की इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि लोगों ने अनेक तरीकों से तिनका निकाला, तब कवि समझा कि दुनिया में कोई बड़ा-छोटा नहीं है। व्यक्ति का घमंड चूर करने के लिए छोटी-से-छोटी वस्तु ही पर्याप्त है।

पूरी कविता में कहने का तात्पर्य यह कि मनुष्य को कभी भी स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए।

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एक तिनका
(प्रश्न-अभ्यास)

कविता से

प्रश्न :- नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।जैसे-

एक तिनका आँख में मेरी पड़ा – मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।

मूँठ देने लोग कपड़े की लगे – लोग कपड़े की मूँठ देने लगे।

उत्तर – 

(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा

सामान्य वाक्य :- जब एक दिन मुंडेरे पर खड़ा था।

(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी

सामान्य वाक्य :- आँख भी लाल होकर दुखने लगी।

(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी

सामान्य वाक्य :- बेचारी ऐंठ दबे पाँवों भगी।

(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया

सामान्य वाक्य :- जब तिनका किसी ढब से निकल गया।

प्रश्न :- ‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?

उत्तर :- ‘एक तिनका’ कविता में कवि ने एक दिन की घटना की चर्चा की है, जब वह अपने ऊपर घमंड करने लगता है और स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझने लगता है। तभी अचानक कहीं से एक तिनका उसकी आँख में आ गिरता है, जिससे उसकी आँख लाल हो गई। बड़ी मुश्किल से वो तिनका आँख से निकला और तब कवि को महसूस हुआ कि मेरा घमंड तोड़ने के लिए तो एक नन्हा-सा तिनका ही काफी है। इसीलिए इस कविता के द्वारा कवि हमें भी घमंड ना करने का संदेश देता है।

प्रश्न :- आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?

उत्तर :- आँख में तिनका पड़ते ही उसको बहुत दर्द हुआ। उससे अपनी बेचैनी सही नहीं जा रही थी। दर्द की अधिकता से उसकी आँखें भी लाल हो उठीं। 

प्रश्न :- घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?

उत्तर :- घमंडी आँख से तिनका निकालवाने के लिए विवश होकर अपने आस-पास के लोगों से सहायता की याचना करने लगा। लोगों ने कपड़े के मूँठ की सहायता से उसकी आँख से तिनका निकालने का प्रयास किया। 

प्रश्न :- ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी-

ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है-

तिनका कबहूँ न निंदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।

इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।

उत्तर :- समानता – दोनों में घमंड से बचने की शिक्षा दी गई है। 

अंतर – दोनों काव्यांशों में अंतर यह है कि हरिऔध जी द्वारा लिखी पंक्तियों में किसी प्रकार के अहंकार से दूर रहने की चेतावनी दी गई है, क्योंकि एक तिनका भी हमारे अहंकार को चूर कर | कबीर जी कहते है कि छोटी-से-छोटी वस्तु का अपना महत्त्व होता है। 

अनुमान और कल्पना

प्रश्न :- इस कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरंभ किया है-‘मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ’। कवि का यह ‘मैं’ कविता पढ़नेवाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तबअनुभव यह होगा कि कविता पढ़नेवाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में ‘मैं’ की जगह ‘वह’ या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव आ जाएगा। कविता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।

उत्तर :- वह घमंडों में भरा ऐंठा हुआ।
एक दिन जब था मुँडेर पर खड़ा
आ अचानक दूर से उड़ता हुआ,
एक तिनका आँख में उसकी पड़ा
वह झिझक उठा, हुआ बेचैन-सा
लाल होकर आँख भी दुखने लगी।
मूठ देने लोग कपड़े की लगे,
ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी।।
जब किसी ढब से निकल तिनका गया,
तब उसकी ‘समझ’ ने यों उसे ताने दिए।
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

प्रश्न :- नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-

“ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।”

इन पंक्तियों में ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनका अभिनय कैसा होता?

उत्तर :- ऐंठ और समझ का अभिनय

समझ – ऐंठ! इतना ऐंठती क्यों हो?

ऐंठ – समझ! तू नहीं समझ सकती।

समझ – मैं समझ जाती हूँ तभी मेरा नाम समझ है।।

ऐंठ – मनुष्य को अपने ऊपर गर्व होना चाहिए, तभी लोग सम्मान करते हैं।

समझ – ऐसी कोई बात नहीं है। सम्मान गुणों का होता है।

प्रश्न :- नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।

उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।
तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास।।

उत्तर :-  जिस प्रकार के झोंके से उड़कर तिनके आसमान में चले जाते हैं और सभी तिनके बिखर जाते हैं उसी प्रकार ईश्वर के प्रेम में लीन हृदय सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर ऊपर उठ जाता है। वह आत्मा का परिचय प्राप्त कर परमात्मा से मिल जाता है।

भाषा की बात

प्रश्न :- ‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे-धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धम से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-

छप से, टप से, थर्र से, फुर्र से, सन् से

उत्तर :- 

(क) मेंढक पानी में छप से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूँद टप से चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।
(घ) ठंडी हवा सन् से गुजरी, मैं ठंड में थर्र से काँप गया।

 टेस्ट/क्विज

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