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ध्वनि (कविता का अर्थ)
अभी न होगा मेरा अंत
अभी-अभी ही तो आया है
मेरे वन में मृदुल वसंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
शब्दार्थ : मृदुल – कोमल।
भावार्थ : कवि सूर्यकांत त्रिपाठी जी ध्वनि कविता की इन पंक्तियों में कह रहे हैं कि उनका अंत अभी नहीं होगा। कवि के जीवन में कोमल वसंत रूपी यौवन अभी-अभी आया है। अर्थात कवि का मन उत्साह से भरा हुआ है और वह आगे बढ़ना चाहता है।
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
शब्दार्थ : पात – पत्ता। गात – शरीर। निद्रित – सोया हुआ। प्रत्यूष – प्रातःकाल।
भावार्थ : इन पंक्तियों में कवि ने प्रकृति का बहुत सुंदर चित्रण करते हुए कहा है कि चारों तरफ हरे-भरे पत्ते, डालियाँ और कलियाँ हैं। मैं सोई हुई कलियों को जगाने के लिए अपना स्वप्न रूपी कोमल हाथ उनपर फेरूँगा और प्रातःकाल उनको जगा दूँगा।
कवि ने यहाँ निराश लोगों को सोई हुई कलियाँ कहा है। जिस प्रकार सूरज के आ जाने से सभी पेड़-पौधों और कलियों में जान आ जाती है वैसे ही कवि निराश लोगों के मन में उत्साह भरना चाहता है।
पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूँगा मैं,
शब्दार्थ : तंद्रालस – नींद से अलसाया हुआ। लालसा – कुछ पाने की चाह, अभिलाषा, इच्छा।
भावार्थ : इन पंक्तियों में कवि ने कहा है कि मैं हर पुष्प से आलस व उदासी खींचकर उसमें नए जीवन का अमृत भर दूँगा। अर्थात कवि वसंत रूपी उम्मीद बनकर सोये-अलसाए फूलों रूपी उदास लोगों से आलस और उदासी बाहर निकाल लेने की बात कर रहा है। वो इन सभी लोगों को नया जीवन देना चाहता है।
द्वार दिखा दूँगा फिर उनको।
हैं मेरे वे जहाँ अनंत-
अभी न होगा मेरा अंत।
शब्दार्थ : द्वार – लक्ष्य, रास्ता। अनंत – अमर।
भावार्थ : इन पंक्तियों में कवि कहता है कि मैं सोये हुए फूलों यानि निराश लोगों को जीवन जीने की कला सिखा दूँगा और लक्ष्य दिखा दूँगा। फिर वो कभी उदास नहीं होंगे और अपना जीवन सुख से व्यतीत कर पाएंगे।
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ध्वनि (प्रश्न-उत्तर)
कविता से
प्रश्न – कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अंत अभी नहीं होगा?
उत्तर – कवि मानते हैं कि उनका अंत अभी नहीं होगा क्योंकि कवि के जीवन में कोमल वसंत रूपी यौवन अभी-अभी आया है। अर्थात कवि का मन उत्साह से भरा हुआ है और वह आगे बढ़ना चाहता है।
प्रश्न – फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन-सा प्रयास
करता है?
उत्तर – कवि फूलों को अंनत तक विकसित करने के लिए अपने सपनों के स्पर्श से जगाने की कोशिश करते हैं ताकि कलियाँ सुप्रभात देख सकें। फिर कवि उन्हें नया जीवन जीने की कला सिखाने का प्रयास करते हैं जिससे फूल अंनत तक विकसित होते रहें।
प्रश्न – कवि पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर – कवि पुष्पों की तन्द्रा व आलस्य दूर हटाने के लिए उन्हें नव जीवन रूपी अमृत से सींचना चाहता है ताकि वो अनंत तक विकसित होते रहें।
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कविता से आगे
प्रश्न – वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर – वसंत के आगमन पर चारों ओर का वातावरण बादल जाता है। पेड़-पौधों पर हरियाली छा जाती है। लोगों के मन का आलस दूर हो जाता है।
प्रश्न – वसंत ऋतु में आनेवाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिए और किसी एक त्योहार पर निबंध लिखिए।
उत्तर – वसंत ऋतु में आने वाले त्योहार हैं – होली, वसंत पंचमी, बैसाखी, शिवरात्रि।
होली पर निबंध के लिए क्लिक करें।
प्रश्न – ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है – इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर – ऋतु परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है – ऋतु परिवर्तन पर लोगों के वस्त्र बदल जाते है, घरों में रहने का तरीका बदल जाता है, खान-पान बदल जाता है और त्योहार बदल जाते हैं।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न – कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूटे हैं।
उत्तर – इन पंक्तियों में वसंत ऋतु का वर्णन है।
प्रश्न – स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का संदेश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशी-खुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर –
- उनको बचाना चाहते हैं।
- उनको पानी से सीचना चाहते हैं।
प्रश्न – कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का अन्य किन-किन संदर्भों से संबंध जुड़ सकता है? जैसे-नन्हे-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो—।
उत्तर –
- कवि लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा हो।
भाषा की बात
‘हरे-हरे’, ‘पुष्प-पुष्प’ में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के ‘हरे-हरे ये पात’ वाक्यांश में ‘हरे-हरे’ शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ ‘पात’ शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य एक वचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में जैसे-वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है-
‘तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।’
जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है। एक शब्द ‘बेर’ का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है।
कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं जैसे-मन का/मनका। ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबह-सुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।
‘कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात’ विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमशः कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्दों से ज्ञात हो रही है। हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैं-गुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।
क्विज/टेस्ट
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