कक्षा 8 » बस की यात्रा (व्यंग्य)

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बस की यात्रा

शब्दार्थ : निमित्त – कारण, साधन। गोता – डुबकी लगाना। इत्तफाक – संयोग। बियाबान – जंगल, उजाड़खंड। अंत्येष्टि – मृतक कर्म, दाह कर्म। प्रयाण – प्रस्थान, मरना। बेताबी – बेचैनी।

पाठ का सार

एक बार लेखक और उसके चार दोस्त एक साथ बस से जबलपुर जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए अपनी यात्रा बस से शुरु करने का फैसला लेते हैं। कुछ लोग उसे इस बस से सफर न करने की सलाह देते हैं। उनकी सलाह न मानते हुए वे उसी बस से जाते हैं किन्तु बस की हालत देखकर लेखक हँसी में कहते हैं कि बस पूजा के योग्य है।

बस की नाजुक हालत देखकर लेखक की आँखों में बस के प्रति श्रद्धा के भाव आ जाता है। बस का इंजन जैसे ही स्टार्ट होता है, ऐसा लगता है मानो पूरी बस ही इंजन हो। सीट पर बैठ कर लेखक सोचता है कि वह सीट पर बैठा है या सीट उसपर। बस की जर्जर हालत को देखकर लेखक के मन में विचार आता है कि ये बस जरूर गाँधी जी के असहयोग आंदोलन के समय की है क्योंकि बस के सारे पुर्जे एक-दूसरे को असहयोग कर रहे थे।

थोड़ी दूर चलने के बाद बस रुक गई। बस की पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया था। ऐसी दशा देखकर लेखक सोचने लगा न जाने कब ब्रेक फेल हो जाए या स्टेयरिंग टूट जाए। आगे पेड़ और झील को देख कर सोचता है न जाने कब टकरा जाए या गोता लगा ले। अचानक बस फिर रुक जाती है। लेखक का मन आत्मग्लानि से भर उठता है और विचार आता है कि क्यों इस वृद्धा (जर्जर बस) पर सवार हो गया।

इंजन ठीक हो जाने पर बस फिर चल पड़ती है। इस बार पहले से भी धीरे चलती है।आगे पुलिया पर पहुँचते ही टायर पंचर हो जाता है। अब तो सब यात्री समय पर पहुँचने की उम्मीद छोड़ देते है तथा चिंता मुक्त होने के लिए हँसी-मजाक करने लगते है। अंत में लेखक डर भी दूर हो जाता है। वह स्वयं को उस बस का एक हिस्सा स्वीकार कर सारे भय मन से निकाल देता है।

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बस की यात्रा
(प्रश्न-उत्तर)

कारण बताएँ

प्रश्न – मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।’ लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?

उत्तर – लेखक के मन में बस कंपनी के हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा इसलिए जाग गई कि वह टायर की स्थिति से भलीभाँति परिचित था, फिर भी जान हथेली पर लेकर उसमें सफर कर रहा था।  थोड़े से लालच की वजह से आत्म बलिदान की ऐसी दुर्लभ भावना देखकर लेखक हतप्रभ हो गया।

प्रश्न – ‘लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।’  लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

उत्तर – लोग जानते थे कि बस की हालत बहुत खराब है। लोग उस बस को डाकिन मानते थे। वे मानते थे कि यह कब और कहाँ रूक जाए कुछ पता नहीं। इसलिए लोगों ने लेखक को यह सलाह दी।

प्रश्न – ‘ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।’ लेखक को ऐसा क्यों लगा?

उत्तर – जब बस चालक ने इंजन स्टार्ट किया तब सारी बस इंजन की तरह  झनझनाने लगी। लेखक को लगा कि पूरी बस ही इंजन है। मानो वह बस के भीतर न बैठकर इंजन के भीतर बैठा हुआ हो। इंजन के स्टार्ट होने पर इंजन के पुर्जो की तरह बस के यात्री भी हिल रहे थे।

प्रश्न – ‘गजब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।’ लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर – बस की हालत देखने से लग नहीं रहा था कि बस चलती भी होगी लेकिन जब लेखक ने बस के हिस्सेदार से पूछा तो उसने कहा चलेगी ही नहीं, अपने आप चलेगी। बस की जर्जर स्थिति देखते हुए लेखक का हैरान होना स्वाभाविक था।

प्रश्न – ‘मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।’ लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?

उत्तर – बस की जर्जर हालत से लेखक को लग रहा था कि बस की स्टीयरिंग कहीं भी टूट सकती है तथा ब्रेक फेल हो सकता है। ऐसे में लेखक को डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से टकरा न जाए। एक पेड़ निकल जाने पर वह दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता था कि बस कहीं इस पेड़ से न टकरा जाए। इसीलिए लेखक को हर पेड़ अपना दुश्मन लग रहा था।

पाठ से आगे

प्रश्न – ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ किसके नेतृत्व में, किस उद्देश्य से तथा कब हुआ था? इतिहास की उपलब्ध पुस्तकाें के आधार पर लिखिए।

उत्तर – “सविनय अवज्ञा आंदोलन” महात्मा गाँधी के नेतृत्व में 1930 ई0 में हुआ था। इसे अंग्रेज़ी सरकार से असहयोग करने तथा पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए किया गया था।

प्रश्न – सविनय अवज्ञा का उपयोग व्यंग्यकार ने किस रूप में किया है? लिखिए।

उत्तर – ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ में अंग्रेज़ी सरकार के साथ सहयोग न करने और पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करने की भावना थी।

लेखक ने “सविनय अवज्ञा” का उपयोग बस के सन्दर्भ में किया है। लेखक एक स्थान पर कहते है – ‘पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी।’

वह इस प्रतीकात्मक भाषा के माध्यम से यह बताना चाह रहा है कि बस विनय पूर्वक अपने मालिक व यात्रियों से उसे स्वतंत्र करने का अनुरोध कर रही है।

प्रश्न – आप अपनी किसी यात्र के खट्टे-मीठे अनुभवों को याद करते हुए एक लेख लिखिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

मन-बहलाना

प्रश्न – अनुमान कीजिए यदि बस जीवित प्राणी होती, बोल सकती तो वह अपनी बुरी हालत और भारी बोझ के कष्ट को किन शब्दों में व्यक्त करती? लिखिए।

उत्तर – छात्र स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न – बस, वश, बस तीन शब्द हैं – इनमें बस सवारी के अर्थ में, वश अधीनता के अर्थ में, और बस पर्याप्त (काफी) के अर्थ में प्रयुक्त होता है, जैसे-बस से चलना होगा। मेरे वश में नहीं है। अब बस करो।

उपर्युक्त वाक्यों के समान वश और बस शब्द से दो-दो वाक्य बनाइए।

उत्तर –

वश – सच्ची भक्ति से भगवान भी वश में हो जाते हैं।

वश – ये रिक्शा चलाना उसके वश की बात नहीं।

बस – बस अब और झूठ मत बोलो।

बस – बस करो, कितना बोलते हो?

प्रश्न – ‘हम पाँच मित्रों ने तय किया कि शाम चार बजे की बस से चलें। पन्ना से इसी कंपनी की बस सतना के लिए घंटे भर बाद मिलती है।’ ऊपर दिए गए वाक्यों में ने, की, से आदि वाक्य के दो शब्दों के बीच सबंध स्थापित कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को कारक कहते हैं। इसी तरह दो वाक्यों को एक साथ जोड़ने के लिए ‘कि’ का प्रयोग होता है। कहानी में से दोनों प्रकार के चार वाक्यों को चुनिए।

उत्तर –

कारक आधारित वाक्य –

  • प्रकृति के दृश्य बहुत लुभावने थे।
  • बस को देखा तो श्रद्धा उमड़ पड़ी।
  • यह बस पूजा के योग्य थी।
  • डॉक्टर मित्र ने कहा-डरो मत, चलो!

‘कि’ पर आधारित वाक्य –

  • हमें लग रहा था कि हमारी सीट के नीचे इंजन है।
  • बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गांधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी।
  • यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है
  • मालूम हुआ कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है।

प्रश्न – हम फ़ौरन खिड़की से दूर सरक गए। चाँदनी में रास्ता टटोलकर वह रेंग रही थी।’  दिए गए वाक्यों में आई ‘सरकना’ और ‘रेंगना’ जैसी क्रियाएँ दो प्रकार की गतियाँ दर्शाती हैं। ऐसी कुछ और क्रियाएँ एकत्र कीजिए जो गति के लिए प्रयुक्त होती हैं, जैसे-घूमना इत्यादि। उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।

उत्तर-

  • दौड़ना – बच्चा दौड़ते हुए गिर गया।
  • टहलना – मुझे को टहलना अच्छा लगता है।
  • चलना – चलना सेहत के लिए बहुत लाभदायक है।

प्रश्न – ‘काँच बहुत कम बचे थे। जो बचे थे, उनसे हमें बचना था।’ इस वाक्य में ‘बच’ शब्द को दो तरह से प्रयोग किया गया है। एक ‘शेष’ के अर्थ में और दूसरा ‘सुरक्षा’ के अर्थ में। नीचे दिए गए शब्दों को वाक्यों में प्रयोग करके देखिए। ध्यान रहे, एक ही शब्द वाक्य में दो बार आना चाहिए और शब्दों के अर्थ में कुछ बदलाव होना चाहिए।

(क) जल (ख) हार

उत्तर –

  • जल – मेरा हाथ गर्म जल से जल गया।
  • हार – खेल में हार जाने वाले को हार नहीं पहनाया जाता।

प्रश्न – बोलचाल में प्रचलित अंग्रेजी शब्द ‘फर्स्ट क्लास’ में दो शब्द हैं- फर्स्ट और क्लास। यहाँ क्लास का विशेषण है फर्स्ट। चूँकि फर्स्ट संख्या है, फर्स्ट क्लास संख्यावाचक विशेषण का उदाहरण है। ‘महान आदमी’ में किसी आदमी की विशेषता है महान। यह गुणवाचक विशेषण है। संख्यावाचक विशेषण और गुणवाचक विशेषण के दो-दो उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर –

संख्यावाचक विशेषण –

  • बस की रफ़्तार अब पंद्रह-बीस मील हो गई थी।
  • एक पुलिया के ऊपर पहुँचे ही थे।

गुणवाचक विशेषण

  • नयी-नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है।
  • समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते।

 

क्विज/टेस्ट

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